देवरिया के 7 विधानसभा सीटों में से 6 पर भाजपा का कब्जा है। जबकि मोदी लहर के बाद भी 2017 के चुनाव में भाटपाररानी विधानसभा सीट पर भाजपा सांसद रविंद्र कुशवाहा के भाई जयनाथ कुशवाहा सपा प्रत्याशी से हार गए थे। हालांकि कुशवाहा बाहुल्य भाटपाररानी में भाजपा सांसद रविंद्र कुशवाहा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। हालांकि हार के बाद उनको निराशा हाथ लगी।
कुशवाहा बाहुल्य है भाटपाररानी विधानसभा सीट
जातिगत वोटों के सहारे भाई को विधायक बनाने का सपना रविंद्र कुशवाहा पूरा नहीं कर पाए और कुशवाहा बाहुल्य भाटपाररानी विधानसभा से सपा के ब्राह्मण प्रत्याशी आशुतोष उपाध्याय विधायक बन गए। हालांकि आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा जनपद की सभी सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है, लेकिन राजनीति के जानकारों की मानें तो भाटपाररानी में आशुतोष उपाध्याय को हराना काफी मुश्किल है।
वहीं जनपद की अन्य सीटों पर भाजपा के दिग्गज नेता अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। विधायक बनने का सपना संयोजे कई दिग्गजों की दावेदारी से जनपद की विधानसभा सीटों पर टिकट देना आलाकमान को परेशानी में डाल सकता है। वहीं टिकट कटने से नाराज नेताओं के बागी होने या भीतरघात का भी अंदेशा बना रहेगा।
जनपद में हाशिये पर है कांग्रेस और बसपा
कभी कांग्रेसियों का गढ़ रहा देवरिया जनपद में आज कांग्रेस हाशिये पर है। 1990 के पहले तक जनपद में सोशलिस्टों और कांग्रेसियों का गढ़ रहा। यह जनपद आज भाजपा के लिए उर्वरा बना हुआ है। वहीं बसपा का भी जनपद से सफाया हो गया है।
ये हैं जनपद की 7 सीटें
वर्तमान विधायक
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