देवरिया के बरहज विधानसभा सीट पर कब्जा बरकार रखना भाजपा के लिए इस बार चुनौतीपूर्ण होगा। हालांकि पार्टी कार्यकर्ता काफी सक्रिय हैं, लेकिन टिकट के लिए कई मजबूत दावेदार नजर आ रहे हैं। जिससे टिकट कटने के बाद से कुछ लोगों के बागी होने के भी आसार हैं।
भाजपा सूत्रों की माने, बरहज विधानसभा से टिकट के सबसे प्रबल दावेदार पूर्व कैबिनेट मंत्री दुर्गा प्रसाद मिश्र के पुत्र दीपक मिश्र शाका हैं, लेकिन पूर्व में बरहज से बसपा विधायक रह चुके राम प्रसाद जायसवाल के पुत्र और देवरिया से बसपा सांसद गोरख जायसवाल के पौत्र मुरली जायसवाल के बसपा छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद उन्हें भी टिकट मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है।
वहीं, सिटिंग विधायक सुरेश तिवारी भी टिकट के दावेदारों में मौजूद हैं। सूत्रों का मानना है कि उम्र को देखते हुए सुरेश तिवारी अपने पुत्र के लिए टिकट मांग रहे हैं।
7 बार सपा के कब्जे में रही यह सीट
अब तक के नतीजे देखें तो इस सीट पर 4 बार कांग्रेस, 2 बार बसपा, 2 बार भाजपा और 7 बार समाजवादियों के कब्जे में रही है। निर्दलीयों ने भी दो बार यहां से बाजी मारी है। 1984 के बाद इस विधानसभा क्षेत्र से गायब हो गई कांग्रेस आजादी के बाद पहली बार 1952 में हुए चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के देवनंदन शुक्ल जीते थे। फिर 1957, 1962 और 1967 के चुनाव में लगातार तीन बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से उग्रसेन विधायक बने।
1969 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस की वापसी हुई और राजा अवधेश प्रताप मल्ल तथा 1974 में कांग्रेस से सुरेंद्र नाथ मिश्रा विधायक बने। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी से मोहन सिंह और 80 के चुनाव में भी मोहन सिंह लोकदल से जीते। 1984 में सुरेंद्र नाथ मिश्रा कांग्रेस से जीते। इस चुनाव के बाद कांग्रेस इस सीट पर बहुत पीछे चली गई और फिर कभी वापसी नहीं हो पाई।
राम लहर में पहली बार लहराया भगवा
1989 के चुनाव में यहां के मतदाताओं ने लहर के विपरीत मतदान किया। निर्दलीय स्वामीनाथ यादव विधायक चुने गए। 1991 की राम लहर में पहली बार इस सीट पर भगवा लहराया। पंडित दुर्गा प्रसाद मिश्र विधायक बने। 1993 में सपा से स्वामीनाथ और 1996 के चुनाव में बसपा से प्रेम प्रकाश सिंह जीते। 2002 में यहां के मतदाताओं ने सभी दलों को नकार दिया।
दुर्गा प्रसाद मिश्र को निर्दल चुनाव जिताया। 2007 में बसपा से राम प्रसाद जायसवाल और 2012 में सपा से प्रेम प्रकाश जीते, जबकि 2017 की मोदी लहर में भाजपा की वापसी हुई और सुरेश तिवारी विधायक हैं।
भाजपा का दावा- कब्जे में ही रहेगी सीट
2022 के चुनाव में भी इस सीट पर भाजपा से दावेदार तो बहुत हैं, लेकिन अब यह देखना है कि जिन लोगों को टिकट नहीं मिलेगा क्या वह संगठन द्वारा चयन किए गए प्रत्याशी के प्रति निष्ठा रखते हैं। हालांकि भाजपा का दावा है कि 2022 के लिए संगठन ने इस सीट पर काफी तैयारी की है। इस बार भी सीट पर भाजपा के कब्जे में ही रहेगी।
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