देवरिया की रुद्रपुर विधानसभा सीट की क्रम संख्या 336 है। रुद्रपुर सीट देवरिया जिले में आती है। कभी कांग्रेस के लिए यह सीट उसका गढ़ थी। भारतीय जनता पार्टी भी यहां से 3 बार जीत हासिल कर चुकी है। पिछले विधानसभा चुनाव में रुद्रपुर में शुरुआती दौर में मतदाताओं का रुझान कांग्रेस पार्टी की तरफ रहा, लेकिन बाद में हवा के रुख को देखते हुए मतदाताओं ने अपना वोट बदलना करना शुरू कर दिया। यही नहीं, वोटर जातीय समीकरण भी देखने लगे, जैसे कि यहां निषाद मतदाता बहुसंख्यक हैं। इसको देखते हुए भाजपा ने जय प्रकाश निषाद को उम्मीदवार बनाया और इनकी जीत हुई। जबकि कांग्रेस और सपा में हुए गठबंधन के बावजूद कांग्रेस के उम्मीदवार व पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, इस बार सियासी समीकरण बदले हैं।
निषाद की आबादी करीब 38 हजार है
जातीय समीकरण पर नजर डालें तो यह निषाद बाहुल्य क्षेत्र है। यहां निषाद की आबादी करीब 38 हजार तो ब्राह्मण 35000, क्षत्रिय 21000, दलित 37000, यादव 42000, सैठवार 18000, वैश्य 30000, मुस्लिम 15000 व अन्य 8000 हैं।
पहले कांग्रेस की दबदबे की रही सीट
रुद्रपुर विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास बहुत ही पुराना है। यहां साल 1952 से लेकर 2017 तक विधानसभा के जो आम चुनाव, मध्यावधि चुनाव और उपचुनाव हुए उसमें अब तक कांग्रेस का ही दबदबा रहा है। 1952 में रामजी सहाय कांग्रेस से विधायक हुए। 1957 में दुबारा कांग्रेस की सीट पर रामजी सहाय चुनाव जीते। रामजी सहाय स्वतंत्रता सेनानी थे। साल 1962 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से चन्द्रबली सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की तो 1967 में यह सीट आरक्षित हो गई जिस पर डॉक्टर सीताराम कांग्रेस से विधायक चुने गए। साल 1969 में हुए मध्यवधि चुनाव में दोबारा कांग्रेस से डॉक्टर सीताराम विधायक हुए। साल 1974 में राजेंद्र प्रसाद गुप्ता कांग्रेस से विधायक निर्वाचित हुए।1977 में प्रदीप बजाज ने जनता पार्टी से जीत दर्ज की। साल 1980 के मध्यावधि चुनाव में भास्कर पांडेय कांग्रेस से विधायक चुने गए। 1984 में कांग्रेस से गोरख नाथ जीते तो वहीं 1989 में जनता दल से मुक्तिनाथ यादव विधायक बने।
मध्यावधि चुनाव में जीती थी भाजपा
वहीं, साल 1991 में हुए मध्यावधि चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की और यहां से जय प्रकाश निषाद विधायक चुने गए।1993 में हुए दोबारा मध्यावधि चुनाव में सपा ने बाजी मार ली यहां से मुक्तिनाथ यादव सपा से विधायक बने। 1996 में भाजपा की वापसी हुई तो जय प्रकाश निषाद विधायक निर्वाचित हुए।2002 में सपा की सीट से अनुग्रह नारायण सिंह उर्फ खोखा सिंह विधायक हुए। जबकि 2007 में बसपा ने खाता खोला और सुरेश तिवारी जीते। 2012 में कांग्रेस पार्टी से अखिलेश प्रताप सिंह विधायक चुने गए तो वहीं 2017 में भाजपा से जय प्रकाश निषाद चुनाव जीते। कांग्रेस ने यहां से अब तक 8 बार जीत दर्ज की है तो भाजपा ने 3 बार जीत हांसिल की। सपा ने 2 बार और बसपा ने 1 बार जीत हासिल की।
बीजेपी ने साल 2017 में जीत हासिल की थी
साल 2017 के जनादेश में भारतीय जनता पार्टी के जय प्रकाश निषाद 77,754 वोट प्राप्त कर निर्वाचित हुए। वहीं कांग्रेस और सपा के गठबंधन से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार अखिलेश प्रताप सिंह जो कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता भी हैं। वहीं, 50,965 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे तो वहीं तीसरे स्थान पर बसपा के चंद्रिका निषाद को 23,081 मत प्राप्त हुआ ।इस बार देखना दिलचस्प होगा कि यहां की जनता किस पार्टी के नुमाइंदे पर विश्वास जताती है।
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