ऐतिहासिक धरोहर बरगद का पेड़ हुआ जमीदोज,:इटावा कचहरी में डेढ़ शताब्दी से स्तिथ वृक्ष आंदोलनकारियों के लिए बना चिंता का विषय

इटावा9 महीने पहले
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इटावा कचहरी परिसर का वट वृक्ष बारिश में गिर गया। इस वृक्ष से कई ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हैं। करीब डेढ़ दशक से यह वृक्ष सत्याग्रहियों के संघर्ष का गवाह है। इस वृक्ष को पूजने वाले लोग अब फिर से इस स्थान पर वृक्ष लगाने के लिए प्रशासन से मांग कर रहे हैं। जिले में कई राजनेताओं ने इस वृक्ष के नीचे बैठकर अपनी राजनीति को धार दी है। जिसने एक बड़ा नाम नेता जी मुलायम सिंह यादव का भी है।

150 साल से लोग इसी पेड़ के नीचे धरना-प्रदर्शन देते थे। जिला मुख्यालय आने वाले लोग पेड़ के नीचे बैठते थे। इसके गिरने से आंदोलकारी, सत्याग्राही परेशान हैं। अब वह किस स्थान पर अनशन करके अपनी मांग उठाएंगे।

बारिश में इटावा कचहरी परिसर का वट वृक्ष गिर गया।
बारिश में इटावा कचहरी परिसर का वट वृक्ष गिर गया।

इस वृक्ष की प्रतिदिन पूजा करने वाले समाजसेवी वरिष्ठ पत्रकार गणेश ज्ञानार्थी बताते है कि, अंग्रेजी शासनकाल में इटावा मैनपुरी ज़िले के अन्तर्गत आता था। तब लगान न देने वालो को इस पेड़ पर लटका कर सजा दी जाती थी। साथ ही उस समय के क्रांतिकारियों को भी इस पेड़ से दिन भर बांधा जाता था। स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी का साथ देने वाले अहिंसक नेता जी सुभाष चंद बोस की आजाद हिंद फौज के लड़ाका वीर, इस वृक्ष से सबका नाता रहा।

कचहरी का वट वृक्ष गिरने के बाद लोगों ने माथ टेका।
कचहरी का वट वृक्ष गिरने के बाद लोगों ने माथ टेका।

कैप्टन हरपाल सिंह, सोलजर बोर्ड के सेक्रेटरी सन्मान सिंह यादव, पूर्व राज्य सभा सांसद सरला भदौरिया ने इस पेड़ की दस्ताने सुनी। बलराम सिंह यादव, मुलायम सिंह यादव, चौधरी रघुराज सिंह, गौरी शंकर,भारत सिंह चौहान, गोरे लाल शाक्य जैसे तमाम नेताओं को राजनीति का पाठ सिखाने वाला अब नजरो से ओझल हो गया। डीएम अवनीश राय से मांग की है कि इस स्थान पर दोबारा एक बरगद का पेड़ लगाने की मांग की है।