फतेहपुर में नवरात्र पूर्व पर जिले में 1570 जगह पर देवी पंडाल सजाया गया था। जिनका जिले के यमुना व गंगा नदी के 20 घाटों में देवी भक्तों द्वारा भू विसर्जन किया जा रहा है। जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए हैं। देवी प्रतिमाओं का भू विसर्जन करने भक्त झूमते गाते माँ का जयकारा लगा पहुंचे रहे हैं। जिले में अब तक 11 सौ मूर्तियों का भू विसर्जन हो चुका है।
इन जगहों पर किया गया भू-विसर्जन
भू विसर्जन की शुरूआत फतेहपुर के स्वामी विज्ञानानंद महाराज ने 2002 से की थी जिस पर प्रयागराज के वकीलो ने समर्थन करते हुए 2005 में हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की जिसका संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने भू विसर्जन की व्यवस्था पूरी तरह लागू कर दिया था।
जिले के इन जगह पर मूर्तियों का भू विसर्जन गंगा नदी के भिटौरा, आदमपुर, असनी, मंडवा, इजूरा खुर्द, बघोली, एकौनगढ़, नौबस्ता, कोतला, मकदूमपुर, समापुर, कोटिया गुनीर, शिवराजपुर व यमुना के ललौली, कोर्राकनक, आती, बारा, असोथर, बिंदौर व दपसौरा में किया जा रहा है।
स्वामी विज्ञानानंद महाराज ने की थी पहल
देवी भक्तों ने देवी प्रतिमाओं का भू विसर्जन कर लोगों से अपील किया। मां गंगा को दूषित होने से बचाने को भू विसर्जन करें। वहीं, भू विसर्जन को लेकर स्वामी विज्ञानानंद महाराज ने बताया कि माँ गंगा व यमुना नदी के पानी को दूषित होने से बचाने को लेकर जल विसर्जन पर रोक लगाने की मांग की। साथ 2002 में भू विसर्जन की पहल किया था।
प्रयागराज के वकीलों का समर्थन मिला। 2005 में हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर फल सरस्वती नदी पर जल विसर्जन फिर पूरे प्रयागराज मंडल और उसके बाद यह व्यवस्था पूरे जगह लागू हुई। और कोर्ट ने गंगा नदी में मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाने का आदेश हुआ था।
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