फिरोजाबाद में बुधवार को भीकनपुर रैपुरा में कृषि विज्ञान केंद्र हजरतपुर के वैज्ञानिकों ने दौरा कर फसलों का भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने किसानों को बारिश और ठंड से फसल बचाने की जानकारी दी।
उद्यान वैज्ञानिक डा. सुभाष चंद्र शर्मा ने फसलों का आंकलन करते हुए कहा कि बारिश और शीतलहर से फसलों में नुकसान हो सकता है। गेहूं, जौ, चना, मटर में जहां सिंचाई नहीं हुई है। वहां, किसान फिलहाल सिंचाई न करें। इस समय आलू में हल्का रंग परिवर्तित हो सकता है।
आलू के खेतों में किसान जलभराव न होने दें। यदि किसी खेत में बारिश का पानी भरा हुआ है तो उसे निकाल दें। नहीं तो आलू के हरा होने की संभावना बढ़ जाएगी। आलू में पिछेती झुलसा रोग लगने की भी संभावना है। बैगन, टमाटर, मिर्च, शिमला मिर्च में फूल झड़ने की आशंका है। इस मौके पर प्रगतिशील किसान कायम सिंह, राकेश कुमार, सुरेंद्र सिंह आदि उपस्थित रहे।
इस तरह करें फसल की रखवाली
उद्यान वैज्ञानिक डा. सुभाष चंद्र शर्मा ने बताया कि पिछैती झुलसा रोग नियंत्रण के लिए फफूंदनाशी दवा मेनकोजेव (एम-45) जिनेव (डाइथेन जैड-78), कापर आक्सीक्लोराइड (सीओसी) दवा दो से 2.5 ग्राम एक लीटर पानी के हिसाब से घोल तैयार करके लगभग 700-800 लीटर पानी में फफूंदनाशी दवा और तीन से चार पुड़िया एंटीवायोटिक दवा स्ट्रैप्टोसाइक्लिन अथवा एग्रोमाइसिन को मिलाकर एक हैक्टेयर के हिसाब से आलू में धूप निकलने पर छिड़काव करें।
जिन किसानों का आलू देर से बोया गया है और 60 से 70 दिन का हुआ है। ऐसे किसान जल विलेय 17:44:0 एनपीके की मात्रा 1.5 किग्रा साथ में 750 मिली सागरिका-के को 600-700 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हैक्टेयर के हिसाब से आलू, गेहूं फसल में छिड़काव करें। फसल में आलू कंद का निर्माण भार और आकार अच्छा होगा। आलू की बाहरी त्वचा पर चमक आएगी। फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि होगी। फूल झड़ने वाली फसलों में फूल रोकने वाली दवा का प्रयोग करें।
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