ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी में 6 मई को बीए फर्स्ट ईयर के पॉलिटिकल साइंस का पेपर था। इसमें एक सवाल पूछा गया- "क्या आप हिंदुत्व, फासिज्म और नासिज्म में समानता पाते हैं? तर्क के साथ समझाइए।" अब इस सवाल को लेकर विवाद पैदा हो गया है। हिंदुवादी संगठन इस पर सवाल उठा रहे हैं और ये पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
विवाद को बढ़ता देखकर विश्वविद्यालय ने इस पर जांच बैठा दी है। वहीं पेपर तैयार करने वाली फैकल्टी को सस्पेंड कर दिया गया है।
भाजपा नेता प्रीतम ने कहा-पेपर मुस्लिम टीचर ने बनाया है
भाजपा नेता विकास प्रीतम सिन्हा ने फोटो शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'यूनिवर्सिटी का नाम ‘शारदा’ पर कृत्य देखिए कि परीक्षा में छात्रों को ‘हिन्दुत्व’ को अनिवार्य रूप से फासीवाद और नाजीवाद के जैसा सिद्ध करने के लिए कहा जा रहा है। यह पेपर किसी मुस्लिम शिक्षक द्वारा बनाया गया है।'
क्वेश्चन नंबर 6 पर आपत्ति
ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क में स्थित शारदा यूनिवर्सिटी में इंटरनल एग्जाम चल रहा है। इन्हें मिड टर्म एग्जाम कहा जाता है। बीए फर्स्ट ईयर के 'पॉलिटिकल आइडियोलॉजी' विषय के पेपर के 6 नंबर सवाल पर आपत्ति है।
हिंदूवादी संगठनों ने किया विरोध
इस प्रश्न को लेकर सोशल मीडिया पर हिंदूवादी संगठनों ने भी विरोध किया है। लोगों का कहना है कि शारदा विश्वविद्यालय हिंदू विरोधी मानसिकता का प्रचार-प्रसार कर रही है। हिंदुत्व को फासिज्म और नासिज्म जैसा बताकर छात्रों को गलत शिक्षा दी जा रही है।
शारदा विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम की होनी चाहिए जांच
हिंदूवादी संगठनों का कहना है कि विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम की जांच होनी चाहिए। इस पर शिक्षा मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
यूनिवर्सिटी ने मामले में बैठाई जांच
शारदा यूनिवर्सिटी ने इस पूरे मामले को लेकर जांच बैठा दी है। रजिस्ट्रार अजीत सिंह ने जांच के लिए 3 सदस्यों की एक कमेटी बना दी है। जिसमें विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति भी शामिल हैं। जल्दी ही रिपोर्ट आ जाएगी। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। मैं बताना चाहता हूं कि विश्वविद्यालय में किसी भी विचारधारा का विरोध नहीं किया जा रहा है।
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