देश की पहली रीजनल रैपिड रेल पूरी तरह स्वदेशी है। हैदराबाद में इसे डिजाइन किया गया था और गुजरात के सांवली स्थित एल्सटॉम कंपनी के प्लांट में यह बनकर तैयार हुई है। यह रैपिड रेल 'मेक इन इंडिया' और 'मेड इन इंडिया' दोनों ही बातों को पूरा करेगी।
NCRTC के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने बताया, एल्सटॉम कंपनी ने ही रैपिड रेल तैयार की है। अब यही कंपनी इसका अगले 15 साल तक रखरखाव भी करेगी। भारत सरकार से हुए अनुबंध में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर के लिए रेल डिजाइनिंग, डिलीवरी, इन्स्टॉलिंग, टेस्टिंग एंड सिग्नलिंग, ट्रेन कंट्रोल, सुपरविजन, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर और दूरसंचार प्रणाली शामिल हैं। मेरठ-दिल्ली रैपिड रेल के लिए गुजरात से कुल 30 ट्रेनें आएंगी, जबकि तीन कोच वाली 10 ट्रेनें मेरठ सिटी मेट्रो के लिए आएंगी।
हर साल ढाई लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड कम होने का अनुमान
अपने स्लीक और आधुनिक डिजाइन के साथ ये ट्रेनसेट रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से लैस हल्के वजन वाले होंगे। ये ट्रेन सेट ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी), ऑटोमेटिक ट्रेन कंट्रोल (एटीसी) और ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन्स (एटीओ) से लैस होंगे। रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम इन ट्रेनों की एक महत्वपूर्ण विशेषता है कि यह ब्रेक लगाने पर बिजली पैदा करती है और यह उत्पादित बिजली ट्रेन सिस्टम के ओवरहेड ट्रैक्शन के माध्यम से वापस इलेक्ट्रिक ग्रिड में चली जाती है।
RRTS कॉरिडोर से प्रतिवर्ष वाहनों से होने वाले उत्सर्जन में ढाई लाख टन कार्बन डाइ ऑक्साइड कम होने का अनुमान है। लगभग आठ लाख यात्रियों के साथ RRTS सबसे अधिक ऊर्जा कुशल फ्यूचरिस्टिक ट्रांजिट सिस्टम होगा।
इस ट्रेन की विशेषताएं
दो हफ्ते में गाजियाबाद आ जाएगी पहली ट्रेन
दिल्ली से मेरठ के बीच 82 किलोमीटर लंबे रूट पर रीजनल रैपिड रेल दौड़ेगी। पहले चरण में गाजियाबाद के साहिबाबाद से दुहाई डिपो तक साल 2023 में इसका संचालन होगा। इसके लिए पहले चरण का काम तेजी से चल रहा है। कुल 30 ट्रेन सेट गुजरात से आने हैं, जिसकी पहली डिलीवरी शनिवार को हुई है। पहला ट्रेन सेट अगले दो हफ्ते में गाजियाबाद के दुहाई स्थित डिपो में पहुंच जाएगा।
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