आयुषी मर्डर केस में एक के बाद एक सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। 22 साल की लड़की को उसके भाई के ट्रैवल बैग में पैक किया गया था। हत्या के वक्त बूढ़े दादा-दादी घर पर ही थे। भाई स्कूल गया था। दादा-दादी शव को देखकर चुपचाप खड़े रहे। दादा ने रोते हुए कहा कि काश मैं पोती को बचा पाता। पिता ने गुस्से में जब आयुषी को गोली मारी तो उसकी आवाज पड़ोसी ने नहीं सुनी। अब आयुषी के मां-बाप को जेल भेज दिया गया है। घर में अब बस हत्यारे दंपती के बूढ़े मां-बाप और एक बेटा रह गया है।
आयुषी के दादा बोले- हमें आभास नहीं था, वरना बचा लेते
22 साल की आयुषी यादव दिल्ली के बदरपुर इलाके में मोड़बंद एक्सटेंशन गली-65 में रहती थी। यहां करीब डेढ़ सौ से ज्यादा ऐसी गलियां हैं। इनमें 65 नंबर गली में 100 मीटर घुसते ही बाएं हाथ पर आयुषी का तीन मंजिला मकान है।
दैनिक भास्कर की टीम सोमवार शाम करीब 6 बजे इस गली में पहुंची। यहां सन्नाटा पसरा था। कुछ महिलाएं एक घर के गेट पर खड़े होकर आने-जाने वालों को एकटक देख रही थीं। आयुषी की बूढ़ी दादी गेट पर ही दो और महिलाओं के साथ उदास बैठी मिलीं। पिछले तीन-चार दिन से रोते-रोते उनके आंसू सूख चुके हैं।
आयुषी के दादा गामा प्रसाद यादव MCD से रिटायर हैं। वो घर के एक कमरे में अंदर बैठे थे। बोले- "अब कुछ नहीं बचा। सब खत्म हो गया। भगवान ने ये दिन दिखाने से पहले हमें क्यों नहीं उठा लिया। हमें जरा-सा भी आभास नहीं था कि ऐसा कुछ हो सकता है, वरना परिवार को बिखरने से पहले बचा लेते।"
'दीदी बहुत अच्छी थीं'
हमारी मुलाकात इसी गली में एक लड़के से हुई। उम्र करीब 16 साल। वो आयुषी को दीदी बुलाता था। कहता है, "दीदी बहुत अच्छी थीं। अपने मार्केट के सारे काम मुझसे कराती थीं। वो घर से बहुत कम निकलती थीं। भैया और अंकल (नितेश यादव) भी बहुत अच्छे हैं। भैया ही दीदी को स्कूटी से कोचिंग सेंटर तक छोड़कर और फिर वापस लेकर आते थे। इस घटना के बाद से मैं शॉक्ड हूं। मैंने कल से खाना तक नहीं खाया है। दीदी के साथ ये क्या हो गया?"
पड़ोसी बोला- जब पुलिस घर आई, तब हमें कांड का पता चला
आयुषी के एक और पड़ोसी ने बताया, "बच्चे अक्सर कहीं घूमने चले जाते हैं। इसलिए हमें कुछ पता नहीं चला। न कोई गोली की आवाज आई, न आयुषी के लापता होने का पता चला। हमें तो उस वक्त खबर मिली, जब रविवार को मथुरा पुलिस इनके घर पर आई। दिल्ली पुलिस भी साथ में थी। बदरपुर थाने के कुछ पुलिसवाले मेरे जानकार थे। मैंने उनसे पूछा। तब जाकर पता चला कि आयुषी की हत्या हो गई है। इस केस में परिस्थिति चाहें जो रही हो, लेकिन आयुषी और उनका परिवार बेहद अच्छा था।"
आयुषी के परिवार के गली में दो मकान
आयुषी के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी है। नितेश यादव मूल रूप से जिला देवरिया के भलुअनी के गांव सुनाड़ी के रहने वाले हैं। नितेश के पिता MCD दिल्ली में जॉब करते थे। इसलिए कई दशक पहले पूरा परिवार दिल्ली के बदरपुर इलाके में शिफ्ट हो गया था। गली नंबर-65 में नितेश के 2 मकान हैं। 1 मकान खाली रहता है। दूसरे मकान में ग्राउंड फ्लोर पर बूढ़े दादा-दादी रहते हैं।
फर्स्ट फ्लोर पर नितेश, पत्नी बृजबाला, बेटी आयुषी और बेटा आयुष यादव रहते हैं। नितेश की नोएडा में इलेक्ट्रॉनिक शॉप है, जहां वो फोर्ड कार से डेली अप-डाउन करते थे। आयुषी देहली ग्लोबल इंस्टीट्यूट एंड टेक्नोलॉजी जनकपुरी दिल्ली में BCA फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रही थी, जबकि भाई आयुष 11वीं में पढ़ता है। मां बृजबाला गृहिणी है। इस परिवार की पुश्तैनी जमीन देवरिया जिले में है।
लाल सूटकेस को ट्रैवल पर लेकर जाता था आयुष
दंपती ने बेटी की हत्या करने के बाद लाश को पैक करने के लिए लाल रंग के जिस ट्रॉली बैग का प्रयोग किया। वो घर में पहले से ही मौजूद था। उनका बेटा आयुष यादव अक्सर इस बैग को अपने टूर पर लेकर जाता था। 'दैनिक भास्कर' को इस ट्रॉली बैग की एक वीडियो मिली है, जब वो जुलाई में कहीं घूमने के लिए इसी ट्रॉली बैग को लेकर गया था। नितेश के बेटे आयुष के दोस्त ने भी इस बात की पुष्टि की है कि ये वही सूटकेस है, जिसमें आयुषी यादव की लाश पैक की गई।
शादी की बात पर मोहल्लेवाले हैरान
मथुरा पुलिस के मुताबिक, "आयुषी का बॉयफ्रेंड छत्रपाल नाम का लड़का है। जिससे उसने शादी कर ली थी। मोहल्ले के लोगों को ये बात जरा भी हजम नहीं होती। वे कहते हैं कि हमें लोगों को अफेयर की भी बात पता नहीं थी। शादी तो दूर की बात है। वैसे आयुषी ऐसी बच्ची नहीं थी। उसकी ऐसी कोई बात आज तक सुनने में आई।"
पढ़िए 17 नवंबर की दोपहर से अगली सुबह तक क्या हुआ?
आयुषी एक साल पहले भरतपुर निवासी छत्रपाल के साथ लव मैरिज कर चुकी थी। ये शादी दिल्ली के शाहदरा स्थित आर्य समाज मंदिर विवाह बंधन ट्रस्ट स्कूल में हुई। इस संस्था ने आयुषी-छत्रपाल को विवाह प्रमाण पत्र भी दिया था।
ये बात आयुषी के परिवारवालों को पता चली तो वे नाराज हो गए। 17 नवंबर को इसे लेकर खूब लड़ाई हुई। जब बात नहीं बनी तो मां बृजबाला ने फोन करके नितेश यादव को घर बुलाया। नितेश दुकान से तैश में आया और 17 नवंबर की दोपहर में करीब दो-ढाई बजे घर के भीतर बेटी को गोली मार दी।
किसी को पता न चले, इसलिए दंपती ने इस पर पर्दा डालने की प्लानिंग की। नितेश मार्केट से सफेद रंग की बड़ी पॉलिथीन लेकर आया। मार्केट उनके घर से 100 कदम की दूरी पर है। लाश को पॉलिथीन में पैक किया, ताकि खून फैल न पाए। फिर बॉडी को ट्रॉली बैग में पैक किया और रात होने का इंतजार किया।
18 नवंबर की सुबह तीन बजे नितेश ने सूटकेस को अपनी फोर्ड कार में की डिग्गी में रखा। ड्राइविंग सीट पर नितेश और बराबर में पत्नी बृजबाला बैठी। बदरपुर में मोड़बंद एक्सटेंशन की गली नंबर-65 से एक किमी. चलने पर ही दिल्ली-आगरा हाईवे का रास्ता शुरू हो जाता है। सुबह 5.30 बजे मथुरा जिले का कोटवन टोल प्लाजा पार किया। 6.50 के आसपास उन्होंने ये सूटकेस मथुरा में राया थाना क्षेत्र स्थित यमुना एक्सप्रेस-वे के सर्विस रोड पर झाड़ियों में फेंक दिया। वापसी में 7.10 बजे मांट टोल प्लाजा पर ये कार वापस दिल्ली जाते हुए CCTV में दिखी।
नितेश व उसकी पत्नी लाश को ठिकाने लगाकर घर पर करीब 8.15 बजे पहुंच गए थे। उन्होंने अपनी कार किसी अन्य स्थान पर खड़ी की। फिर पैदल घर पर आकर चुपचाप अपने कमरे में चले गए। मोहल्ले-पड़ोस में किसी को कुछ पता न चले, इसलिए नितेश रोजाना की तरह उस दिन भी नोएडा में अपनी शॉप पर गया था।
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