प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानून रद्द करने का ऐलान कर दिया है। आइए आपको ले चलते हैं, उस गाजीपुर बॉर्डर पर, जहां सबसे पहले किसानों ने धरना शुरू किया था। गाजीपुर बॉर्डर का नजारा बिल्कुल बदल गया है। यहां सुबह से जलेबियां बांटी जा रही हैं। किसानों ने इसे बड़ी जीत बताया। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि जिस दिन संसद में तीनों कानून रद्द करने का फैसला होगा, उस दिन पूरी जीत मानी जाएगी।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूद नही हैं। वे मुंबई में किसानों की एक बैठक को संबोधित करने के लिए गए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन भी लखनऊ में हैं। जहां 22 नवंबर की महापंचायत की तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं। भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत के पुत्र गौरव टिकैत पिछले 2 दिनों से गंगा मेले में व्यस्त हैं।
मोदी के फैसले का किया स्वागत
मुजफ्फरनगर के गांव काजीखेड़ा के किसान रमेश मलिक (63) गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे धरने में पहले दिन से ही मौजूद हैं। रमेश मलिक कहते हैं कि पहली रात जब वह बॉर्डर पर आए तो टेंट-तंबू लगे नहीं थे। खुले आसमान में ठंड के बीच रात गुजारी थी। वह शुरू से यही कहते थे कि इस आंदोलन का हल जरूर निकलेगा। आज वो दिन आ ही गया। उन्होंने PM मोदी के फैसले का स्वागत किया।
बॉर्डर पर पुलिस का जमावड़ा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की हलचल बढ़ गई है। सुरक्षा के लिए एसपी सिटी ज्ञानेंद्र सिंह और कौशांबी थाने की पुलिस फोर्स मौजूद है। सुबह से ही यहां पर पुलिस का जमावड़ा लगा है। हर कोई तीनों कृषि कानून पर प्रधानमंत्री के फैसले की चर्चा में मशगूल है।
एक साल बाद चेहरे पर दिखी रौनक
गाजीपुर बॉर्डर पर सड़क किनारे लगे टेंट और तंबू में चहल-पहल तेज है। ज्यादातर किसान या तो मंच के नजदीक मौजूद हैं या फिर वे किसान क्रांति गेट के नजदीक जमघट लगाए हैं। करीब 1 साल बाद किसानों के चेहरे पर रौनक दिखाई दे रही है।
अभी सिर्फ एक मोर्चे पर जीत हुई
बुलंदशहर जिले के शिकारपुर क्षेत्र के गांव हुर्थला निवासी सुरेंद्र सिंह भी गाजीपुर बॉर्डर पर आए हैं। वह फार्मर प्रोटेस्ट पर अब तक 115 कविताएं लिख चुके हैं। प्रधानमंत्री के ऐलान पर सुरेंद्र सिंह ने कहा कि डरी हुई सरकार को एहसास हुआ है कि वे गलत हैं। कहा, सरकार ने तमाम जख्म दिए, लेकिन अभी सिर्फ एक जख्म पर पट्टी लगाई है। अभी किसानों की जीत केवल एक मोर्चे पर हुई है। सभी मोर्चों पर जीत होना बाकी है।
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