नरसिंहानंद बोले- हिंदुओं को कुरान पढ़ना चाहिए:AMU के मुद्दे पर कहा- बंटवारे के समय मुस्लिमों को पाकिस्तान न भेज कर हिंदुओं ने गलती की

गाजियाबाद9 महीने पहलेलेखक: सचिन गुप्ता
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डासना मंदिर के पीठाधीश्वर यति नरसिंहानंद गिरि एक बार फिर चर्चा में हैं। उन्होंने AMU को बम से उड़ाने की बात कही है। साथ ही षड्यंत्र का अड्डा भी बताया। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने कई बड़ी बातें कहीं।

उन्होंने कहा, "जितनी भी अल्पसंख्यकों के नाम पर भारत में इमारतें हैं। इन्होंने दुनिया को मारकाट के सिवाय कुछ नहीं दिया है। जब देश का बंटवारा हुआ तो मुसलमानों को पाकिस्तान भेज देना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिसका नतीजा है कि आज पूरे देश में AMU-जामिया और दारूल उलूम जैसे मदरसे जेहाद फैला रहे हैं।"

आइए पढ़ते हैं भास्कर से पूरी बातचीत...

डासना देवी मंदिर के गेट पर मोटे अक्षरों में साफ लिखा है- यहां मुसलमानों का प्रवेश वर्जित है।
डासना देवी मंदिर के गेट पर मोटे अक्षरों में साफ लिखा है- यहां मुसलमानों का प्रवेश वर्जित है।

सवाल : AMU में ऐसा क्या हो रहा है, जो आप कह रहे हैं कि उसे बम से उड़ा दो?
जवाब :
मैंने ये कहा कि जो लोग AMU में रहते हैं। उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजकर, उस बिल्डिंग को बम से उड़ा देना चाहिए। भारत के विभाजन में AMU की भूमिका सबको याद है। जब देश का बंटवारा हुआ तो हिंदू को चाहिए था कि सारे मुसलमानों को पाकिस्तान भेज देते। मगर इन हिंदुओं ने मुसलमानों को भाई बनाकर अपने पास रखा। आज पूरे देश के अंदर जेहाद फैल गया है। दुनिया को जेहाद की कोई जरूरत नहीं है। दुनिया को शांति, प्यार, अमन चाहिए।

सवाल : देश में मुसलमानों को आप किस जगह देखते हैं? जवाब : मुसलमान एक मोहम्मद नाम के व्यक्ति के अनुयायी हैं। मोहम्मद की एक पुस्तक है कुरान। आज मैं सारे हिंदुओं को कहता हूं कि मोहम्मद के चरित्र का अध्ययन करना चाहिए और कुरान पुस्तक पढ़नी चाहिए।

फिर हिंदू खुद तय करे कि ये (मुसलमान) क्या हैं। मुसलमान का सबसे बड़ा फर्ज है कि जो भी मोहम्मद ने किया था, हर मुसलमान वही काम करे। अगर मुसलमान वही काम करता है तो ये दुनिया के लिए बहुत खतरनाक होगा। ऐसे में जब तक दुनिया मोहम्मद और कुरान को समझेगी नहीं, तब तक मेरी बात नहीं समझी जा सकती।

यति नरसिंहानंद गिरि ने इंटरव्यू में कहा, मुझे अपने लोगों को बचाने की जरूरत है और उसके लिए ही लड़ रहा हूं।
यति नरसिंहानंद गिरि ने इंटरव्यू में कहा, मुझे अपने लोगों को बचाने की जरूरत है और उसके लिए ही लड़ रहा हूं।

सवाल : आप कैसा हिन्दुत्व चाहते हैं? जवाब : मैं विश्व बंधुत्व चाहता हूं.. हिंदुत्व नहीं। लेकिन मैं ये नहीं चाहता कि विश्व बंधुत्व की आड़ में कोई आकर मेरे बच्चों का कत्ल करे। मेरी बेटियों का बलात्कार करके मंडियों में बेच दे। मेरे मठ-मंदिरों को उजाड़ दे। मैं ये चाहता हूं कि दुनिया में जितना सम्मान से रहने का अधिकार किसी और को है। उतना ही अधिकार हिंदुओं को भी है।

सवाल : लोग कहते हैं कि आप पॉपुलर होने के लिए ऐसे विवादित बयान देते हैं?
जवाब :
जो लोग ऐसा कहते हैं, वो मूर्ख हैं। मैं सिद्धांत के लिए लड़ रहा हूं। दुनिया में कोई व्यक्ति पॉपुलेरिटी के लिए अपनी जिंदगी दांव पर नहीं लगाता। मैंने पिछले 25 सालों से अपनी जान दांव पर लगा रखी है। मोहम्मद की सच्चाई दुनिया को हमने बताई। भारत में वसीम रिजवी का धर्मांतरण हमने कराया। ये सबसे बड़ा धर्मांतरण है।

सवाल : वसीम रिजवी ने ऐसा क्यों कहा कि सनातन में वो प्यार नहीं मिल पाया?
जवाब :
हमने तो उन्हें बहुत प्यार दिया। हमें आज भी उनसे बहुत लगाव है। हो सकता है कि उन्हें हमसे ज्यादा अपेक्षा हो। जितनी आकांक्षाएं हों, उतने हम ताकतवर न हों। रिजवी निर्दोष थे। उनकी कोई गलती नहीं थी। पहली बार वो साढ़े चार महीने जेल में रहे।

फिर 15 दिन और जेल में रहे। ऐसी स्थितियों में उनका हमसे विश्वास उठना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने मोहम्मद के बारे में साढ़े तीन सौ किताबों से रेफरेंस लेकर एक किताब लिखी थी। उस किताब को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है, ये फ्रीडम ऑफ स्पीच है। फिर भी उत्तराखंड में उन्हें जेल भेज दिया गया। सुप्रीम कोर्ट से जैसे-तैसे जमानत मिल पाई थी। उनके साथ कानून का मजाक बनाया गया है।

उप्र शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी का धर्मांतरण यति नरसिंहानंद गिरि ने ही कराया था। जिसके बाद उन्हें नया नाम जितेंद्र नारायण त्यागी दिया गया था।
उप्र शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी का धर्मांतरण यति नरसिंहानंद गिरि ने ही कराया था। जिसके बाद उन्हें नया नाम जितेंद्र नारायण त्यागी दिया गया था।

अब यति नरसिंहानंद गिरि के बारे में जानते हैं...
मॉस्को से इंजीनियरिंग की पढ़ाई, मां के बीमार होने पर लौट आए परदेस
यति नरसिंहानंद सरस्वती का असली नाम दीपक त्यागी है। वे उत्तर प्रदेश में जिला मेरठ स्थित एक गांव के रहने वाले हैं। यति के मुताबिक, हापुड़ के चौधरी ताराचंद इंटर कॉलेज से शुरुआती पढ़ाई करके वे 1989 में केमिकल टेक्नोलॉजी की डिग्री लेने मॉस्को चले गए थे। 1994 में उन्होंने डिग्री हासिल की और 1997 में भारत लौट आए। भारत लौटने से पहले दीपक त्यागी ने मॉस्को में ही इंजीनियर के तौर पर नौकरी की। 1997 में मां के बीमार होने की वजह से उन्हें भारत लौटना पड़ा।

साल-1998 में यति की मुलाकात भाजपा नेता बीएल शर्मा से हुई और इसके बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया। घरेलू जीवन से संन्यास लेकर दीपक त्यागी ने अपना नाम दीपेंद्र नारायण सिंह रखा और फिर बाद में वो यति नरसिंहानंद गिरि हो गए। साल-2007 से यति गाजियाबाद में डासना देवी मंदिर के पीठाधीश्वर हैं और फिलहाल हिंदुओं के सबसे बड़े सम्प्रदाय जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर हैं।

विवादित बयानों को लेकर दर्ज हैं 15 से ज्यादा मुकदमे
यति नरसिंहानंद गिरि अपने विवादित बयानों के लिए देशभर में चर्चाओं में रहते हैं। हाल ही में उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) और मदरसों में रहने वाले लोगों को डिटेंशन सेंटर भेजने और इन बिल्डिंगों को बम से उड़ाने जैसी बात कही है। इस बयान पर उनके विरुद्ध अलीगढ़ में FIR हुई है।

हालांकि यति के लिए ये FIR कोई नई बात नहीं है। हेट स्पीच और विवादित बयानों पर उनके खिलाफ करीब 15 से ज्यादा मुकदमे देशभर के विभिन्न राज्यों-शहरों में दर्ज हो चुके हैं। हरिद्वार की धर्म संसद में हेट स्पीच को लेकर वे कुछ दिनों तक जेल में भी रहे थे।