अयोध्या में बाबरी विध्वंस की बरसी पर 6 दिसंबर 1993 को लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में सिलसिलेवार बम धमाके हुए। इसके आरोपी तीन आतंकियों पर चार्ज फ्रेम करने के लिए 24 सितंबर को अजमेर की टाडा कोर्ट में सुनवाई हुई है। किस-किस धारा में आरोपियों पर आरोप बनते हैं, इस पर कोर्ट अपना फैसला 30 सितंबर को देगी। इसके बाद टाडा कोर्ट में उन्हीं धाराओं में मुकदमा चलेगा, जिन धाराओं में चार्ज फ्रेम हुए हैं। माना जा रहा है कि बेहद जल्द बम धमाकों में फैसला आ सकता है। तीन में से एक आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा यूपी की गाजियाबाद जेल में बंद था। 24 सितंबर को उसको गाजियाबाद जेल से अजमेर पहुंचा दिया गया है। अब मुकदमे में फैसला आने तक वह अजमेर जेल में बंद रहेगा। टुंडा आखिरी बार साल-2013 में नेपाल बॉर्डर से पकड़ा गया था, तब से वह गाजियाबाद जेल में था। टुंडा के दो साथी शमशुद्दीन और इरफान उर्फ पप्पू पहले से अजमेर जेल में बंद हैं।
पिलखुवा का रहने वाला है आतंकी अब्दुल करीम टुंडा
अब्दुल करीम उर्फ टुंडा उत्तर प्रदेश में हापुड़ जिले के कस्बा पिलखुवा का रहने वाला है। अपने जीवन के शुरुआत में वह पिलखुवा कस्बे में कारपेंटर (बढ़ई) का काम करता था, लेकिन चला नहीं। इसके बाद कपड़े का कारोबार करने मुंबई चला गयाा। मुंबई के भिवंडी इलाके में उसके कुछ रिश्तेदार रहते थे। 1985 में भिवंडी के दंगों में उसके कुछ रिश्तेदार मारे गए। इनका बदला लेने के लिए उसने आतंकवाद की राह पकड़ी। 1980 के आसपास वह आतंकी संगठनों के संपर्क में आया।
33 क्रिमिनल केस, 40 धमाके कराने का आरोप
सुप्रीम कोर्ट के रूख से सुनवाई में तेजी
11 साल से अजमेर जेल में बंद कथित आतंकी जहीरुद्दीन की याचिका पर 30 अगस्त 2021 को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अजमेर की टाडा अदालत को आदेश दिया था कि वह या तो आरोपी को दोषी ठहराएं या बरी करें। दो हफ्ते में इस याचिका पर निचली अदालत से जवाब मांगा गया था। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इस रूख के बाद अजमेर की कोर्ट ने बम धमाकों के मामले की सुनवाई में तेजी दिखाई है।
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