गाजीपुर में किसान आंदोलन के प्रणेता परमहंस दंडी स्वामी सहजानंद सरस्वती की 71वीं पुण्यतिथि पर स्वामी सहजानंद पीजी कालेज में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर हवन-पूजन किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.डा.वीके राय ने स्वामी जी को 20वीं सदी का श्रेष्ठ चिंतक-विचारक तथा भारतीय पुनर्जागरण और स्वाधीनता आंदोलन का श्रेष्ठ नायक बताया। उन्होंने कहा कि संगठित किसान आंदोलन के जनक तथा प्रणेता के रूप में स्वामी जी का योगदान कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता।
स्वामी सहजानंद सरस्वती को किसान आंदोलन का जनक कहा जाता है। स्वामी सहजानंद सरस्वती का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के एक ब्राह्मण परिवार में 22 फरवरी, 1889 को हुआ था। स्वामी सहजानंद सरस्वती दण्डी सन्यासी थे। उन्होंने रोटी को ही भगवान माना और अन्नदाता यानि किसान को भगवान से भी ऊपर। सहजानंद सरस्वती के बचपन में ही उनकी माता का निधन हो गया था। उनके पिता किसान थे। स्वामी सहजानंद बचपन से ही कुशाग्र और गुणी थे।
उनकी प्रतिभा निकलकर सामने आई
प्रारंभिक शिक्षा के दौरान ही उनकी प्रतिभा निकलकर सामने आने लगी थी। लेकिन पढ़ाई के दौरान ही उनका मन अध्यात्म की ओर जाने लगा था। कहते हैं, बचपन से ही स्वामी सहजानंद इस बात को देखकर हैरान थे, कि कैसे भोले भाले लोग नकली धर्माचार्यों की शरण में जा रहे हैं और उनसे गुरुमंत्र ले रहे हैं। इसके बाद ही उनके मन में पहली बार विद्रोह का भाव आया। 1927 में सहजानंद सरस्वती ने पश्चिमी किसान सभा की नींव रखी। साल 1936 में वो अखिल भारतीय किसान सभा के प्रमुख बने। 1950 में स्वामी सहजानंद सरस्वती का निधन हो गया। उनके निधन पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था 'दलितों का संन्यासी' चला गया। आजादी के इतने वर्षों बाद भी किसानों का संघर्ष आज भी जारी है।
ये लोग रहे मौजूद
इस अवसर पर रविंद्र नाथ शर्मा, प्रो. अवधेश राय, प्रो. अजय राय, मनोज राय, रामधारी राम, डा. अभय मालवीय, डा. नरनारायण राय, संजय राय, प्रवीण राय, शशांक राय, समीर राय, बांके राम, धर्मेंद्र कुशवाहा, पुष्कर सारस्वत, कृष्णनानंद उपाध्याय तथा आलोक शर्मा आदि शिक्षक-कर्मचारी उपस्थित रहे।
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