गोरखपुर में 7 डॉक्टर समेत मिले 272 कोरोना पॉजिटिव:DIG कार्यालय के 15 कर्मी भी कोरोना संक्रमित, 2602 पहुंचा एक्टिव मरीजों का आंकड़ा

गोरखपुरएक वर्ष पहले
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संक्रमितों में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के 4 डॉक्टर समेत 10 एमबीबीएस के छात्र व रेजीडेंट डॉक्टर शामिल हैं। - Dainik Bhaskar
संक्रमितों में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के 4 डॉक्टर समेत 10 एमबीबीएस के छात्र व रेजीडेंट डॉक्टर शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मंगलवार को 272 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। इसके बाद से एक्टिव मरीजों की संख्या 2602 पहुंच गई है। संक्रमितों में डीआईजी कार्यालय के 15 कर्मी, बीआरडी मेडिकल कॉलेज और एम्स के सात डॉक्टर समेत पुलिस के जवान शामिल हैं।

DIG कार्यालय में मचा हड़कंप
संक्रमितों में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के 4 डॉक्टर समेत 10 एमबीबीएस के छात्र व रेजीडेंट डॉक्टर शामिल हैं। इनके अलावा डीआईजी आवास के बाद संक्रमण कार्यालय तक पहुंच गया है। कार्यालय में 15 कर्मचारी संक्रमित मिले हैं। इसके बाद से डीआईजी कार्यालय में हड़कंप मच गया है। एम्स में दो डॉक्टरों समेत चार अन्य कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। एडी कार्यालय में एक कर्मी, मोहद्दीपुर स्थित एक कार एजेंसी में एक कर्मी, रेलवे कारखाना में तीन कर्मी, रेलवे कॉलोनी में तीन लोग संक्रमित मिले हैं।

जिला अस्पताल की OPD में लगातार मिल रहे संक्रमित
वहीं, रेलवे स्टेशन और जिला अस्पताल की ओपीडी में 7-7 व्यक्ति पॉजि‌टिव पाए गए हैं। इनकी जांच एंटीजन किट से की गई है। इनके अलावा रानीडीहा, दुर्गा चौक, रेती चौक में एक ही परिवार तीन-तीन लोग, झरना टोला, रामजानकी नगर में एक ही परिवार के चार-चार लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं। सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि संक्रमितों में 200 शहर के और 72 ग्रामीण क्षेत्रों के रहने वाले हैं। पहली लहर से लेकर अब तक जिले में 62814 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 59362 लोगों ने कोरोना को मात दी है। 850 की मौत हो चुकी है।

423 ने कोरोना को दी मात
कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच राहत भरी खबर है। 270 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं। वहीं, 423 लोगों ने कोरोना को होम आइसोलेशन में रहकर मात दी है। इस पर ‌स्वास्थ्य विभाग ने राहत की सांस ली है। सीएमओ ने कहा कि अगर लोग कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें तो संक्रमण से जंग जीत सकते हैं। होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों ने इसका ध्यान रखा है। यही वजह है कि संक्रमित मरीजों की ठीक होने की रफ्तार काफी तेज है। इन सबके बीच अगर लापरवाही हुई तो काफी संख्या में लोग संक्रमण के शिकार हो सकते हैं।

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