कोरोना के बाद इंसेफेलाइटिस लेने लगा जान:पूर्वांचल में 70 से ज्यादा मीरज मिले, महराजगंज में 28 कुशीनगर में सबसे ज्यादा 36 केस सामने आए, छह बच्चों की मौत

गोरखपुर2 वर्ष पहले
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कोरोना केस कम होने से कुछ राहत जरूर मिली लेकिन अब इंसेफेलाइटिस आफत बनकर आ गया है। गोरखपुर मंडल के जिलों में केस तेजी से बढ़ रहे हैं। वहीं, बीते दिनों छह बच्चों की मौत भी हुई है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से अब तक गोरखपुर मंडल के चार जिलों में 12 मासूमों की मौत हो चुकी है। इनमें से 5 गोरखपुर के हैं।

इस सभी जिलों में स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट मोड पर कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अगर इंसेफेलाइटिस के लक्षण समझ आते हैं, बच्चों में बुखार और दौरे पड़ने की शिकायत है तो 104 नंबर पर फोन किया जा सकता है।

सबसे ज्यादा मरीज कुशीनगर में
कुशीनगर में अब तक 36 मरीज मिल चुके हैं। दो बच्चों की मौत हुई है। इन सभी में इंसेफेलाइटिस के लक्षण देखने को मिले हैं। बुखार और दौरे पड़ने के लक्षण के चलते बच्चों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। डॉक्टर्स का कहना है कि सभी की हालत ठीक है, लेकिन तेजी से बढ़ रहे केस को रोकना बहुत जरूरी है।

गोरखपुर दौरे के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेडिकल कॉलेज जाकर इंसेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चों का हाल जाना।
गोरखपुर दौरे के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेडिकल कॉलेज जाकर इंसेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चों का हाल जाना।

महराजगंज में 28 मरीज, 4 की मौत
28 मरीजों के साथ महराजगंज दूसरे नंबर पर है। महराजगंज में चार मरीजों की मौत हुई है। जिले में इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। मरीजों को गोरखपुर ही रेफर किया जाता है। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस का वार्ड बनाया गया है। बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेडिकल कॉलेज में भर्ती महराजगंज के सिसवा की रहने वाली 6 वर्षीय सौम्या रौनियार व इंसेफेलाइटिस से पीड़ित अन्य मरीजों का हाल जाना। साथ ही, डॉक्टरों को बेहतर इलाज और व्यवस्थाओं के निर्देश दिए थे।

हर साल आती है मुसीबत, गोरखपुर मेडिकल कॉलेज का दावा- तैयार हैं
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार ने बताया कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन हर तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है। तीसरी लहर से पहले ही बच्चों के लिए अलग से 100 बेड का पीडियाट्रिक वार्ड बना दिया गया है। इंसेफेलाइटिस के लिहाज से अलग वार्ड बनाए गए हैं। इन वार्डों में मरीजों का इलाज चल रहा है। मौजूदा समय में करीब 100 के आसपास मरीज भी भर्ती हैं।

देवरिया में इंसेफेलाइटिस से मिले मरीजों को बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
देवरिया में इंसेफेलाइटिस से मिले मरीजों को बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

देवरिया में मिले 13 मरीज
कोरोना रफ्तार कम होने के बाद से ही देवरिया में तेज से इंसेफेलाइटिस के केस सामने आए हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, मई से अब तक जिले में कुल 13 मरीज मिले हैं, जिसमें एक मासूम बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल में भर्ती है तो 3 गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किए गए हैं। वहीं, 9 मरीज ठीक हो कर घर जा चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, देवरहा बाबा मेडिकल कालेज से सम्बद्ध बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल में पीएसयू वार्ड में 20 बेड का वार्ड बनाया गया। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य आनंद मोहन वर्मा ने बताया कि इंसेफेलाइटिस को देखते हुए पूरी तैयारी की गई।

ऐसे हो सकता है बचाव

  • नियमित टीकाकरण सत्र में दो साल तक के बच्‍चों को जापानी इंसेफेलाइटिस का टीका लगवाएं।
  • घरों के आसपास साफ-सफाई रखें।
  • मच्‍छरों से बचने के लिए पूरे आस्तीन की शर्ट और पैंट पहनें।
  • साफ पानी पीना जरूरी है।
  • आसपास जलजमाव न होने दें।
  • कुपोषित बच्‍चों का विशेष ध्यान रखें।
  • खुले में शौच के लिए न जाएं।
  • साबुन से हाथ धोएं।
  • रोजाना स्नान करें।

इंसेफेलाइटिस क्या है
जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस से संबंधित बीमारी है जो क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से होती है। यह खासकर मानसून के बाद बच्चों में होती है। इसके मच्छर धान के खेतों व गंदी जगहों पर पनपते हैं। इस बीमारी से बच्चों की मौत भी होती है।

इसे फैलने से रोकने के लिए यह की जाएगी पहल

  • इंसेफेलाइटिस की रोकथाम के लिए अब स्वास्थ्य विभाग नए सिरे से पहल करेगा।
  • 382 निजी डाक्टरों के मोबाइल में एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) एप डाउनलोड कराया जाएगा।
  • डॉक्टर इस बीमारी के लक्षणों वाले मरीजों का डाटा एप पर अपलोड करेंगे।
  • स्वास्थ्य विभाग उनका फालोअप करेगा।

इंसेफेलाइटिस के लक्षण

  • इस बीमारी में शुरुआत में तेज बुखार आता है।
  • शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है।
  • तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है।
  • बच्चे बुखार की वजह से बेहोश हो जाते हैं और दौरे भी पड़ने लगते हैं।
  • बुखार के साथ ही बेचैनी भी शुरू होती है और कई बार कोमा में जाने की स्थिति भी बन जाती है।
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