गोरखपुर में 13 साल से फरार चल रहे शातिर लूटेरे राजू अंसारी उर्फ आफताब को वाराणसी STF ने गोरखपुर से गिरफ्तार कर लिया। राजू गोरखपुर के कुख्यात अपराधी रहे बृजेश यादव गैंग का खास सदस्य रहा है। हालांकि, बृजेश यादव को साल 2008 में गोरखपुर STF ने एनकाउंट में मार गिराया था।
इसके बाद राजू इस गैंग का सरगना बन गया और गोरखपुर में ताबड़तोड़ अपराध की वारदातों को अंजाम देने लगा। यह बदमाश अतिक अहमद गैंग के गुड्डू मुस्लिम की तरह ही शातिर बमबाज भी है। किसी भी वारदात को अंजाम देते समय यह गोलियों के साथ बम का भी इस्तेमाल करता था। राजू मूल रुप से बिहार के सीतामढ़ी जिले के बगहा, रसूलपुर बाजपट्टी का रहने वाला है।
2010 से फरार चल रहा था
इसके खिलाफ गोरखपुर के बड़हलगंज, चिलुआताल, शाहपुर और कैंट थानों में लूट, हत्या, हत्या की कोशिश, विस्फोटक अधिनियम और गैंगेस्टर समेत 7 मुदकमे दर्ज हैं। राजू साल 2010 से फरार चल रहा था। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने उसपर 50 हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा था।
STF ने गोरखपुर से दबोचा
STF को भी इसकी काफी दिनों से तलाश थी। इस बीच गोरखपुर STF के जरिए वाराणसी STF को सूचना मिली कि राजू बड़लहगंज बस स्टैंड के पास मौजूद है। टीम ने घेराबंदी कर उसे दबोच लिया। उसके पास से मोबाइल फोन, भारतीय और नेपाली रुपए भी बरामद हुए हैं। STF पकड़े गए बदमाश के खिलाफ बड़लहलगंज थाने में केस दर्ज करा उसे सुपुर्द कर दी।
ऐसे बृजेश यादव गैंग के संपर्क में आया बदमाश
वाराणसी STF इंस्पेक्टर पुनीत परिहार ने बताया, राजू अंसारी गोरखपुर कई बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुका है। वह पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था। STF की पूछताछ में राजू अंसारी उर्फ आफताब ने पूछताछ में बताया, वह लुधियाना (पंजाब) में सिलाई का काम करता था।
वहां काम के दौरान इसकी मुलाकात गोरखपुर के राजू, राजेश गुप्ता और अरमान से हुई। राजू की बहन की शादी में ये सभी गोरखपुर आए थे। यहां आने पर इनकी मुलाकात दीपक मिश्रा से हुई। इसके बाद इन लोगों का संपर्क गोरखपुर के कुख्यात अपराधी बृजेश यादव गैंग से हो गया।
साल 2006 में बम मारकर जेल गया था राजू
बृजेश यादव ने इन बदमाशों को पैसा, गाड़ी और असलहा उपलब्ध कराया था। साल 2006 में राजू अंसारी ने अपने साथियों संग पुरानी रंजिश में बृजेश यादव के गांव बैदौली के रहने वाले मारकण्डेय सिंह पर बम से हमला किया था।
हालांकि, इस घटना में मारकण्डेय सिंह बाल-बाल बच गए। इस मामले में राजू अंसारी उर्फ आफताब को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भी भेजा था। लेकिन, करीब 3 महीने के बाद वह जमानत पर छूटकर दोबारा गैंग चलाने लगा और गोरखपुर में अपने साथियों संग ताबड़तोड हत्या, लूट जैसी वारदातों को अंजाम देने लगा।
बजेश के एनकाउंटर के बाद गैंग का सरगना बन गया राजू
वहीं, साल 2008 में गोरखपुर STF की कुख्यात बदमाश बृजेश यादव से मुठभेड़ हो गई। जिसमें STF ने बृजेश को ढेर कर दिया। इसके बाद गैंग की कमान राजू ने संभाल ली। तभी से यह गोरखपुर समेत आसपास के इलाकों में ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम देने लगा।
ताबड़तोड़ लूट करता था राजू
वहीं, साल 2010 में राजू अंसारी ने अमृतसर (पंजाब) के सर्राफा व्यापारी जसवीर सिंह को गोरखपुर के बडहलगंज में गोली मारकर 5.50 लाख रुपए की गहने लूट लिए थे। इतना ही नहीं, राजू ने ही चिलुआताल इलाके के रहने वाले पंकज कुमार के सिर में गोली मारकर उनकी लाइसेंसी पिस्टल और 2 लाख रूपए की लूट की थी। शाहपुर इलाके के रहने वाले आकाश दत्त पाण्डेय को गोली मारकर रुपए और मोबाइल फोन भी इसी ने लूटा था।
सिपाही की हत्या कर साथी को छुड़ा ले गया था राजू
STF के मुताबिक, साल 2010 में ही राजू ने अपने गैंग के साथ मिलकर गोरखपुर में एक बड़ी वारदात को अंजाम देकर सनसनी फैला दी थी। इसके गैंग का शातिर अपराधी रणविजय यादव जो जेल में बंद था। राजू ने पेशी के दौरान रणविजय को छुड़ाने की प्लानिंग बना डाली।
जब रणविजय को जेल से कोर्ट में पेशी पर लाया गया तो इसने अपने साथियों के साथ मिलकर पुलिस टीम पर फॉयरिंग करते हुए रणविजय यादव को छुड़ाकर भगा लिया था। इस हमले में पेशी ड्यटी में लगे आरक्षी मैनेजर सिंह की गोली लगने से मौत हो गई थी। गोरखपुर में ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम देने के बाद राजू साल 2010 से ही फरार चल रहा था।
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