गोरखनाथ मंदिर पर हुए हमले से जुड़ी बड़ी खबर है। मंदिर की सुरक्षा में तैनात PAC और पुलिस के जवानों पर हमला करने वाले मुर्तजा अब्बासी को ATS कई दिनों से ढूंढ रही थी। यह दावा खुद मुर्तजा के पिता मुनीर अहमद अब्बासी ने किया है। मुनीर का दावा है कि 2 अप्रैल को उनके घर पर 2 लोग पहुंचे थे। वे सादी वर्दी में थे। उस वक्त न तो मुनीर घर पर थे न ही उनका बेटा मुर्तजा। घर पर उनके बड़े भाई शहर के चर्चित डॉक्टर अब्बासी मिले।
उन दोनों ने बड़े भाई अब्बासी से बताया कि वो मुर्तजा की तलाश कर रहे हैं। उसके खिलाफ समन जारी हुआ है। कोई 35 लाख रुपए से जुड़ा मामला है। जब अब्बासी ने कागजात मांगे तो मुर्तजा को बुलाने के लिए कहा। कुछ देर बाद दोनों शख्स बाइक से वापस चले गए। गाड़ी नंबर और CCTV फुटेज के आधार पर पता चला कि दोनों शख्स ATS के लोग थे।
पिता ने कहा- दिमागी रूप से ठीक नहीं है मुर्तजा
मुर्तजा पिता मुनीर अहमद और मां के साथ शुरू से मुबंई ही रहता था। उसकी पढ़ाई- लिखाई भी मुबंई से ही हुई है। उसने मुबंई IIT से केमिकल में इंजीनियरिंग भी की। परिवार में माता- पिता के अलावा मुर्तजा की एक बड़ी बहन भी है। जिसकी शादी हो चुकी है। कोरोना लॉकडाउन के दौरान मुर्तजा परिवार सहित गोरखपुर आ गया। मुंबई का फ्लैट परिवार ने किराए पर दे रखा है।
पिता का कहना है कि उनका बेटा दिमागी रूप से ठीक नहीं है। काफी दिनों से उसका इलाज चल रहा था। इसी वजह से उसने नौकरी भी छोड़ दिया था और उसकी पत्नी भी उसे छोड़कर अलग रहने लगी थी। उन्होंने पुलिस और सरकार से अपील की है कि मामले की पूरी तरह जांच करने के बाद ही बेटे पर एक्शन लिया जाए।
पढ़ाई में अच्छा था बेटा
पिता मुनीर अहमद अब्बासी ने बताया कि उनका बेटा मुर्तजा पढ़ाई लिखाई में काफी अच्छा था, लेकिन बचपन से ही उसे कुछ दिक्कत थी। यह परिवार की कमी ही थी कि हम लोगों ने कभी उसकी बीमारी पर खास ध्यान नहीं दिया और शुरू में इलाज नहीं कराया।
करीब 24 साल की उम्र में मुर्तजा रिलायंस पैट्रोकैमिकल्स मुंबई में केमिकल इंजीनियर के पद पर काम करने लगा। वह अक्सर दफ्तर नहीं जाता था। कमरे से निकलता भी नहीं था। 10 महीने बाद नौकरी छोड़कर वापस गोरखपुर चला आया।
केमिकल इंजीनियर बनाता था मोबाइल एप
गोरखपुर आने के बाद वह यहां मोबाइल एप्लिकेशन बनाता था। हम लोगों ने एक साइकिल दिला दी थी। वह कहता था, मेरा दिल करता है कि अपनी साइकिल को किसी कार से एक्सीडेंट करा दूं, जिससे मेरी जान चली जाए। परिवार के लोग डरे भी रहते थे। इसके बाद फिर उसे एक नौकरी मिली।
एक बार वह मुंबई में भी प्लांट पर चढ़ गया, वहां से उतरने का नाम नहीं ले रहा था। सभी लोग परेशान हो गए। बोला कि सिर्फ अल्लाह के कहने से ही मैं नीचे उतरूंगा। इसके बाद किसी तरह से लोगों ने समझाकर उतारा और फिर हम लोगों को इसकी सूचना दी। कंपनी के लोगों ने कहा कि मुर्तजा को इलाज की जरूरत है। 2017 से लगातार मुर्तजा का इलाज चल रहा था। उसे लगता था, उसके ऊपर जिन्न है।
पिता के मुताबिक, मुर्तजा की हरकतों से डॉक्टर भी हैरान और परेशान थे। डॉक्टरों ने उसे साई मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर को रेफर किया था। जहां उसका काफी दिनों से इलाज चल रहा है। पिता कहते हैं कि हम लोग उसे कभी घर से निकलने नहीं देते थे, लेकिन इस बीच मौका पाकर वह भाग निकला।
ATS के डर से नेपाल भागा था मुर्तजा
गिरफ्त में आने के बाद मुर्तजा ने पुलिस को बयान दिया है कि उसके बड़े पापा घर पर पुलिस आने की बात कर रहे थे। जिसकी वजह से वह डर गया था और डर की वजह से तुरंत नेपाल भाग गया था। इस बीच वह रविवार की शाम नेपाल से गोरखपुर लौटा और सीधा गोरखनाथ मंदिर पहुंच गया। मुर्तजा ने कहा कि यहां मंदिर गेट पर सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को देख मुझे बड़े पापा की बात याद आ गई और डर व गुस्से की वजह से मैंने पुलिस पर हमला कर दिया। हालांकि, थोड़ी ही देर में वह फिर दूसरी बातें करने लगा।
एजेंसियों को इन सवालों के जवाब चाहिए
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