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गोरखपुर ग्रामीण सीट पर BJP V/s निषाद पार्टी:निषादों के आगे बैकफुट होगी BJP, 1.55 लाख निषाद वोटर बिगाड़ सकते हैं किसी का भी समीकरण; 1.30 लाख अल्पसंख्यक भी यहां हैं बहुसंख्यक

गोरखपुरएक वर्ष पहले
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गौर करने वाली बात ये है कि गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र में निषाद वोटरों का ही बोलबाला है। यहां के 1.55 लाख निषाद वोटर बीजेपी ही नहीं ​बल्कि किसी का भी समीकरण बिगाड़ सकते हैं। - Dainik Bhaskar
गौर करने वाली बात ये है कि गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र में निषाद वोटरों का ही बोलबाला है। यहां के 1.55 लाख निषाद वोटर बीजेपी ही नहीं ​बल्कि किसी का भी समीकरण बिगाड़ सकते हैं।

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में योगी आदित्यनाथ के मैदान में आने से चुनाव का उत्साह बढ़ गया है। वहीं ये भी तय हो गया कि भारतीय जनता पार्टी गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ को लड़ाकर पूर्वांचल की सीटों पर कब्जा करने की रणनीति पर काम कर रही है। योगी के लिए भी अब जरूरी हो गया है कि पूर्वांचल से लगाए गोरखपुर की 9 सीटों पर उनका असर दिखे। ऐसे में आज हम गोरखपुर की ग्रामीण सीट की बात करते हैं। जहां दो बार से लगातार भाजपा जीत जरूर हासिल कर रही है। लेकिन जीत हार का अंतर बेहद कम है।

गौर करने वाली बात ये है कि गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र में निषाद वोटरों का ही बोलबाला है। यहां के 1.55 लाख निषाद वोटर बीजेपी ही नहीं ​बल्कि किसी का भी समीकरण बिगाड़ सकते हैं। वहीं, यहां अल्पसंख्यक कहे जाने वाले मुस्लिम जाति यहां बहुसंख्यक हैं। यहां मुस्लिम वोट भी करीब 1.30 लाख हैं। ऐसे में ये वोटर अगर एक तरफ हो जाएं तो बड़े से बड़े नेता या पार्टी इनके सामने बौने साबित होंगे।

वर्ष 2012 में बना गोरखपुर ग्रामीण
गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र वर्ष 2007 तक कौड़ीराम विधान सभा में था। वर्ष 2012 परिसीमन के बाद इसे गोरखपुर ग्रामीण नाम दिया गया। इसमें शहर क्षेत्र का वो हिस्सा भी शामिल हुआ जिसमे सबसे अधिक व्यापारी और मुस्लिम हैं। परिसीमन के बाद यहां दो विधान सभा चुनाव हुए। जिसमे भाजपा को जीत मिली। वर्तमान में यहां से भाजपा से विपिन सिंह विधायक हैं। वर्ष 2017 में विपिन सिंह ने सपा के कैंडिडेट विजय बहादुर यादव को कांटे की टक्कर में 4 हजार वोटों से हराया था।

क्या है यहां का जातीय समीकरण
गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा में जातिगत आंकड़े की बात करें तो दलित-निषाद की कुल संख्या करीब 1 लाख 55 हजार है। मुस्लिम मतदाता यहां एक लाख 30 हजार के करीब हैं। ब्राह्मण 40 हजार, व्यापारी 40 हजार, क्षत्रिय मात्र 5 हजार और बाकि अन्य छोटी जातियों की संख्या यहां 30 से 35 हजार हैं (ये आकंड़ें अनुमानित हैं)। वर्ष 2017 के चुनाव में बीजेपी के विपिन सिंह को कुल 83,686 वोट मिले थे। हारे कैंडिडेट सपा के विजय बहादुर यादव को 79,276 वोट मिले थे। जबकि निषाद पार्टी के डॉक्टर संजय निषाद भी 34,901 वोट हासिल किए थे। बीएसपी यहां चौथे स्थान पर रही और उसके प्रत्याशी राजेश पाण्डेय मात्र 30,097 वोट ही मिले थे।

...तो जीत जाती सपा
ये माना जाता है कि अगर निषाद पार्टी यहां चुनाव नहीं लड़ती तो सपा इस सीट को जीत जाती। फिलहाल इस बार विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी का भाजपा से गठबंधन है। निषाद पार्टी ने गोरखपुर ग्रामीण सीट से टिकट भी मांगा है। जातिगत आंकड़े और निषाद वोट बैंक को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि यहां से भाजपा विधायक का टिकट कट सकता है। यहां की सीट भाजपा निषाद पार्टी को दे सकती है। इसको लेकर गोरखपुर में चर्चाओं का बाजार गरम है।

अपने ही सिंबल पर सरवन निषाद को उतार सकती है BJP
ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी के पास अब सीट के लिए अन्य कोई रास्ता नहीं बचा है। जबकि दूसरी ओर निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद इस सीट को अपने बेटे सवरवन निषाद के लिए मांग रहे हैं। जबकि दूसरी ओर उम्मीद है कि सपा इस सीट से पूर्व विधायक विजय बहादुर यादव को मैदान में खड़ा कर सकती है।

ऐसे में अब बीजेपी के सामने इस सीट के लिए अन्य कोई रास्ता नहीं बचा है। ​माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी अंत में इस सीट से अपने ही सिंबल पर सरवन निषाद को मैदान में उतार सकती है। वहीं, इसके अलावा यूपी की कटहरी, ज्ञानपुर, शाहगंज, जयसिंहपुर, मेहदावल, तमकुही राज, नौतनवां, अतरौलिया, बारां, हंडिया, तिंदवारी, काल्पी, सकलडीहा, सुआर, जखनिया सीट निषाद पार्टी के खाते में जा सकती है।

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