उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में शुक्रवार की रात विजय दशमी के पर्व पर 35 फुट के रावण का दहन किया गया। रामलीला कमेटी बर्डघाट में विगत 159 वे वर्षों से चले आ रहे रामलीला मंचन के क्रम में विजयदशमी के दिन भगवान श्रीराम और रावण के बीच घमासान युद्ध का मंचन किया गया। इसके बाद भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया। रावण वध के बाद रावण के विशालकाय 35 फुट के पुतले पर तीर चलाकर आग लगा दी गई। गोरखपुर के सबसे बड़े रावण का वध देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
प्रभु श्रीराम ने की मां दुर्गा की आरती
इसके साथ ही रावण वध के बाद गोरखपुर की सबसे पुरानी दुर्गा बाड़ी समिति की ओर से स्थापित दुर्गा की प्रतिमा का भगवान श्रीराम से राघव शक्ति मिलन हुआ। शहर के बसंतपुर चौक पर हुए इस शक्ति मिलन के दौरान भगवान श्रीराम ने मां दुर्गा की आरती की। इसके बाद ही शहर भर में स्थापित सभी मूर्तियों का विसर्जन शुरू हुआ।
शहर भर में लगा रहा मेला
वहीं, शक्ति मिलन और रावण वध देखने के लिए शहर ही नहीं बल्कि आसपास के इलाके से भी लोग शाम से ही जुटे रहे। शहर भर में इस आयोजन और प्रतिमा विजर्सन को लेकर मेला लगा रहा। शहर भर के मुख्य मार्गों से होकर गुजरने वाली प्रतिमाओं को देखने के लिए शाम से ही दुकानों के बाहर और छतों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रही। शहर भर में पूरी रात प्रतिमा विजर्सन जारी रहा।
अफजल ने तैयार किया था 35 फुट का रावण
वहीं, बर्डघाट रामलीला मैदान के लिए रावण का यह पुतला शहर के बेनीगंज ईदगाह के रहने वाले मुस्लिम कलाकार मोहम्मद अफजल ने तैयार किया था। अफजल के मुताबिक 35 फुट उंचा यह रावण गोरखपुर के सबसे बड़े पुतलों में शुमार रहा। अफजल ने बताया कि शहर भर के रामलीला कमेटियों के लिए वह वर्षों से रावण का पुतला बना रहे हैं।
वर्षों से तैयार कर रहे रावण
उनसे पहले उनके पिता और परिवार के अन्य सदस्य भी यही काम करते आए हैं। जबकि मोहर्रम के समय अफजल का परिवार ताजिया बनाता है। उन्होंने बताया कि पहले तो दशहरा पर्व पर 15 से 20 रावण बनाने का काम मिलता था, लेकिन कोरोना काल में पिछले साल तो सिर्फ एक अकेला बर्डघाट रामलीला कमेटी के लिए ही रावण तैयार किया। हालांकि इस बार उन्हें 6 रावण बनाने की जिम्मेदारी मिली थी।
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