नेपाल से दो विशाल शालिग्राम शिलाएं अयोध्या पहुंचने से पहले कल यानी कि 31 जनवरी गोरखपुर लाई जा रही हैं। इनसे श्रीराम और माता सीता की मूर्ति बनाई जाएंगी। दावा है कि ये शिलाएं करीब 6 करोड़ साल पुरानी हैं।
इनसे श्रीरामजन्म भूमि मंदिर में स्थापित होने वाली भगवान श्रीराम के बाल्य स्वरूप और माता सीता के विग्रह निर्माण में करने का निर्णय श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने लिया है। मूर्ति निर्माण के दौरान शिला की कटाई-छंटाई से निकलने वाले कणों का विग्रह निर्माण में ही समुचित प्रयोग किया जाएगा।
सीएम योगी करेंगे स्वागत
कल गोरखपुर में इन शालिग्राम शिलाओं का भव्य स्वागत होगा। शालिग्राम शिलाओं के गोरखपुर पहुंचने पर स्वागत के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद गोरखनाथ मंदिर में मौजूद रहेंगे। गोरखनाथ मंदिर में ही देवशिला रथ का रात्रि विश्राम होगा। इसके बाद एक फरवरी की सुबह मुख्यमंत्री विधि-विधान से रथ को अयोध्या के लिए रवाना करेंगे।
गोरखपुर मंदिर में होगा रात्रि विश्राम
इसके लिए गोरखनाथ मंदिर प्रबंधन ने इसे लेकर तैयारी शुरू कर दी है। हिंदू सेवाश्रम में देवशिला रथ के साथ आने वाले लोगों के ठहरने की व्यवस्था की जा रही है। रथ को मंदिर परिसर में सुरक्षित खड़ा किया जाएगा। विश्व हिंदू परिषद के प्रांत प्रचार प्रमुख दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि शहर में रथ का प्रवेश दोपहर बाद होने की संभावना है। प्रवेश द्वार जगदीशपुर से ही भव्य स्वागत की तैयारी है।
रथ के शहर में पहुंचते ही होगी फूलों की बारिश
कुशीनगर के रास्ते शहर में प्रवेश करने से लेकर गोरखनाथ मंदिर पहुंचने तक श्रद्धालुओं द्वारा सभी चौक-चौराहों पर पुष्पवर्षा की जाएगी। हालांकि, इसे लेकर कहीं किसी आयोजन या सभा की व्यवस्था नहीं है। रथ पूरी सादगी के साथ रात्रि विश्राम के लिए गोरखनाथ मंदिर पहुंचेगा। रथ के साथ करीब 100 लोग मौजूद रहेंगे। इनमें जानकी मंदिर जनकपुर के संत-महात्मा और विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र पंकज भी होंगे।
26 जनवरी को नेपाल से भेजी गई हैं शिलाएं
नेपाल में पोखरा स्थित शालिग्रामी नदी (काली गंडकी ) से यह दोनों शिलाएं जियोलॉजिकल और ऑर्किलॉजिकल विशेषज्ञों की देखरेख में निकाली गई हैं। 26 जनवरी को ट्रक में लोड किया गया। पूजा-अर्चना के बाद दोनों शिलाओं को ट्रक से सड़क मार्ग से अयोध्या भेजा जा रहा है। रास्ते में इन शिलाओं के दर्शन और स्वागत के लिए भी लोग जुटे हैं। एक शिला का वजन 26 टन जबकि दूसरे का 14 टन है। यानी दोनों शिलाओं का वजन 40 टन है।
कल अयोध्या होंगी रवाना
जनकपुर में 5 कोसी परिक्रमा के बाद इन शिलाओं का अयोध्याजी की ओर प्रस्थान हुआ है। महंत संत श्रीरामतपेश्वरदास महाराज स्वयं और उनके उत्तराधिकारी महंत रामरोशनदान महाराज की अगुआई में परिक्रमा होगी। कल यानी कि 31 जनवरी यह शिलाएं कुशीनगर के रास्ते गोरखपुर में प्रवेश करेंगी।
इसके बाद एक फरवरी की सुबह यह शिलाएं संतकबीर नगर और बस्ती होते हुए अयोध्या पहुंचेंगी।
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