गोरखपुर में बन रही थी 'हॉलमार्क' की नकली ज्वैलरी:सराफा मंडल की शिकायत पर पुलिस ने की रेड, 12.50KG ज्वैलरी बरामद; दुकान सील

गोरखपुर2 महीने पहले
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गोरखपुर की सराफा मार्केट में नकली सोने की ज्वेलरी पर फर्जी हॉलमार्क का खेल चल रहा था। राजघाट पुलिस ने छापेमारी कर इस खेल का भंडाफोड किया है। पुलिस ने इस मामले में अमर जोहरी नाम के एक आरोपी को भी गिरफ्तार किया है। वे दोहरीघाट, मऊ कर रहने वाला है और यहां घंटाघर स्थित पुष्कर ज्वैलर्स नाम से दुकान चलाता है।

उसके पास से पुलिस ने 12.50 किलोग्राम नकली सोने की ज्वैलरी भी बरामद की है। यह कार्रवाई पुलिस ने सराफा मंडल की शिकायत पर की। आरोपी के खिलाफ राजघाट थाने में केस दर्ज कर उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। पुलिस का कहना है, ज्वैलर्स के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) को भी पत्र लिखा जाएगा। ताकि उसकी दुकान का लाइसेंस कैंसिल किया जा सके। जबकि, पुलिस ने दुकान को सील कर दिया है।

आरोपी के खिलाफ राजघाट थाने में केस दर्ज कर उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
आरोपी के खिलाफ राजघाट थाने में केस दर्ज कर उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

फर्जी ज्वैलरी तैयार करता था व्यापारी
SSP डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया, राजघाट इलाके के घंटाघर अम्बे गहना बाजार में अमर जोहरी की पुष्कर ज्वैलर्स के नाम से थोक दुकान है। अमर फर्जी हॉलमार्क और फर्जी हॉलमार्क यूनिक ​आईडेंटीफिकेशन की मोहर लगाकर सोने की फर्जी आभूषण तैयार करता है। इन ज्वैलरी को वे देहात इलाकों के छोटे-छोटे व्यपारियों को बेचता था। इस बात की लगातार सराफा मंडल को शिकायत मिल रही थी।

सराफा मंडल ने रंगे हाथों पकड़ा
वहीं, सराफा मंडल के पदाधिकारियों का कहना है कि इससे सराफा व्यापारियों की छवि धूमिल हो रही थी। सोमवार की शाम सराफा मंडल का एक डेलिगेशन पुष्कर ज्वैलर्स की दुकान पर पहुंचा। पदाधिकारियों ने जब यहां जेवरात की जांच की जांच में पाया कि जो जेवरात HUID के मानक अनुसार 75 प्रतिशत होने चाहिए थे, वो सोने के जेवरात में 10 प्रतिशत से भी कम था।इससके बाद पदाधिकारियों ने इसकी सूचना राजघाट पुलिस को दी।

पुलिस ने दुकान को सील करते हुए ज्वैलरी जब्त कर ली।
पुलिस ने दुकान को सील करते हुए ज्वैलरी जब्त कर ली।

दुकान सील कर पुलिस ने जब्त की ज्वैलरी
सूचना पर पहुंची पुलिस ने दुकान पर छापा मारा और यहां 12.50 किलोग्राम जेवरात बरामद हुए। पुलिस ने दुकान को सील करते हुए ज्वैलरी जब्त कर ली। पुलिस ने आरोपी दुकानदार के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और कॉपीराइट एक्ट के तहत केस दर्ज किया है।

ढाई करोड़ में लगता एक सेंटर
भारतीय मानक ब्यूरो के मुताबिक, हॉल मार्क सेंटर का लाइसेंस लेने के लिए ब्यूरो को 400 से 500 तरह के पेपर तैयार करके देने होते हैं। टीम ऑडिट करने जाती है और लैब की पूरी जांच करती है। हॉल मार्क लगाने का लाइसेंस दिया जाता है। ब्यूरो से ट्रेनर ट्रेनिंग देने के लिए भी आता है।

हॉल मार्क सेंटर चलाने के लिए दो से ढाई करोड़ रुपए में लैब तैयार होती है। जिसमें 7 से 8 लोगों का स्टाफ रखा जाता है। लैब में सोने की केमिकल से टेस्टिंग होती है। यदि 22 कैरट सोना है तो तभी हॉलमार्किंग होती है। 6 घंटे का समय लगता है लेकिन यहां छह सेकेंड में हो रही थी।