गोरखपुर में गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी के पहले वॉटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का चुनावी लोकार्पण किया है। अभी बिल्डिंग का काम अधूरा है, जिसमें वायरिंग तक नहीं हुई है। इसके अलावा कॉम्प्लेक्स के पास स्थित रामगढ़ ताल में गंदा पानी है। यहां पर योगी सरकार तैराकी के खिलाड़ी तैयार करने की योजना बना रही है।
इसके साथ ही न ही लोगों के मुताबिक न स्टीमर हैं और न ही ट्रेनर। चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद विकास की सभी योजनाएं ठप हो जाएंगी। ऐसे में नई सरकार बनने के बाद भी 4 महीने से ज्यादा का समय वॉटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स चालू होने में लगेगा।
अधूरे कामों के लोकार्पण पर जोर
इससे पहले भी गोरखपुर में एम्स, गड्ढा मुक्त सड़क, सीवरेज सिस्टम सहित अन्य योजनाएं केवल चुनावी लोकार्पण और उद्धाटन ही साबित हो रही हैं। PM नरेंद्र मोदी के हाथों लोकार्पित होने वाला गोरखपुर फर्टिलाइजर कारखाना भी शुरू होने से पहले ही 45 दिनों के लिए बंद हो गया। अभी यहां मशीनों को चेक करने का काम चल रहा है। एम्स भी अभी पूरी तरह तैयार नहीं है। यह डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। जिन डॉक्टरों का यहां के लिए सेलेक्शन किया गया, उनमें से ज्यादातर ने अभी तक ज्वाइन ही नहीं किया है।
आधे-अधूरे लोकार्पण में बिल्डिंग का मुख्य द्वार ही पूरा सजा दिखा
वॉटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के लोकार्पण के मौके पर योगी आदित्यनाथ ने भाजपा सरकार के विकास कार्य गिनाए। इसके अलावा उन्होंने सपा-बसपा सरकार में अनियमितता भी खूब गिनाईं। साथ ही स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स से युवाओं को होने वाले फायदे के बारे में बताया। हालांकि, आधे-अधूरे लोकार्पण में बिल्डिंग का मुख्य द्वार ही पूरा सजा हुआ दिखा। बिल्डिंग के अंदर के हिस्से में न तो रहने की व्यवस्था है और न ही खिलाड़ियों के लिए कोई इंतजाम हैं। इतना ही नहीं, CM योगी का कार्यक्रम खत्म होते ही वहां के कर्मचारी फर्नीचर को समेटने लगे। तब सारी अव्यवस्थाएं और खुलकर सामने आ गईं।
11 बोट और 3 ठेकेदार
नौकायान के लिए फिलहाल 11 छोटी-बड़ी बोट आ गई हैं। इसके लिए GDA ने 3 ठेकेदार रखे हैं। हाउस बोट के संचालक श्रीचंद श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने यह बोट वाराणसी से मंगाई है। इसमें 150 लोगों के एक साथ बैठने की व्वयस्था है। हालांकि अभी सिर्फ 40-50 लोगों को ही एक बार में बैठाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति के सफर के लिए 60 रुपए किराया निर्धारित किया गया है। यात्रियों की संख्या काफी कम होने से खर्चा निकाल पाना भी बेहद मुश्किल हो रहा है।
हरिनाथ दुबे ने बताया कि यहां कई अन्य बोट लाने की भी योजना है। मगर, जितने में ठेका लिया गया, वही नहीं निकल पा रहा है। ऐसे में स्टाफ और अन्य खर्चे निकलना काफी मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक बाहर के लोग नहीं आएंगे, यहां ठेकेदारों का खर्च निकलना बेहद मुश्किल होगा।
टूरिस्ट के अभाव में योजना फ्लॉप होने का अंदेशा
रामगढ़ ताल को लेकर योगी सरकार पिछले 5 सालों के दौरान 50 अरब से ज्यादा खर्च कर चुकी है। इसके बाद भी टूरिस्ट के अभाव में रामगढ़ ताल को लेकर योगी का सपना टूटता नजर आ रहा है। वहां पर स्टीमर, मोटर बाइक, लेजर शो करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि स्थानीय लोगों से लागत के मुताबिक पैसे नहीं वसूल हो रहे हैं। ऐसे में अधिक दिनों तक रोजगार करना संभव नहीं है।
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