गोरखपुर में बैन चाइनीज मांझे से एक बिजलीकर्मी घायल हो गया। राह चलते अचानक उनकी गर्दन में चीनी मांझा फंस गया, जिसकी वजह से गर्दन कट गई और गहरा घाव हो गया। राहगीरों ने आनन-फानन घायल बिजलीकर्मी को अस्पताल में भर्ती कराया। घायल की गर्दन में 17 टांके लगे हैं। हालत नाजुक बनी हुई है। घटना मंगलवार की शाम गोरखनाथ इलाके के तरंग क्रॉसिंग की है।
हुमायूंपुर उत्तरी के रहने वाले विजय प्रकाश चौधरी बिजली विभाग में काम करते हैं। मंगलवार की शाम वे ड्यूटी पूरी कर घर जा रहे थे। वह अलीनगर से तरंग क्रॉसिंग पुल पर पहुंचे थे कि उनके गले में पतंग का मांझा फंस गया। अभी वह कुछ समझ पाते तब तक उनकी गर्दन कट गई और उससे तेजी से खून बहने लगा। जिसके बाद राहगीरों की मदद से उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
सिटी मजिस्ट्रेट अंजनी सिंह का कहना है, चाइनीज मांझा पूरी तरह से प्रतिबंधित है। अगर किसी को भी इसकी बिक्री होने की जानकारी मिलती है तो इसकी जानकारी प्रशासन काे दें। तत्काल कार्रवाई की जाएगी। साथ ही पुलिस को भी निर्देश दिया जाएगा कि संबंधित थाना क्षेत्र में निगरानी करें कि चीनी मांझे की बिक्री न हो।
दो दिन में दूसरी घटना
अभी दो दिन पहले चीनी मांझे से हुमायूंपुर में ग्रीन सिटी निवासी ईशानंद पांडेय भी घायल हो गए थे। सोमवार को ईशानंद पांडेय तिवारीपुर में दुर्गा जी का पाठ करने जा रहे थे। इसी दौरान मांझे की चपेट में आ गए। नाक पर गहरा घाव हो गया। तत्काल परिचितों ने उन्हें डॉक्टर के पास ले जाकर इलाज कराया।
बिक्री पर नहीं लग सका प्रतिबंध
वहीं, पतंग उड़ाने का शौक राहगीरों के लिए मुसीबत बन गया है। पतंगबाजी के लिए बाजारों में धड़ल्ले से चीनी मांझा बिक रहा है। जबकि, यह प्रतिबंधित है। कटने के बाद सड़कों और छतों पर गिरने वाली पतंगों में लगे चीनी मांझे में उलझकर लोग और पंछी भी घायल हो रहे हैं, लेकिन इसकी बिक्री पर प्रतिबंध सख्ती से लागू नहीं हो पा रहा है।
ऐसे बनता है चाइनीज मांझा
जानकारों के मुताबिक, चीनी मांझे को नायलाॅन और मैटेलिक पाउडर से मिलाकर बनाया जाता है, जो की काफी लचीला होता है। पतंग के पेच लड़ाते समय यह आसानी से कटने के बजाय खिंच कर और बढ़ जाता है। साथ ही सामान्य डोर से बने मांझे से सस्ता होने के चलते भी लोग इसे खरीदते हैं। पतंग कटने के बाद यह मांझा पंछियों के साथ ही दो पहिया वाहन चालकों के हाथ और गले में फंसकर उन्हें घायल करता है, कई मामलों में तो इससे लोगों की जान भी जा चुकी है।
2017 में लगी थी पाबंदी
हालांकि, साल 2017 में NGT ने चीनी मांझे पर पाबंदी लगा दी थी। इसके बाद कहा गया था कि चीनी मांझा बेचने वालों के खिलाफ एनवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट (पर्यावरण संरक्षण अधिनियम) के तहत कार्रवाई की जाए। यदि किसी के खिलाफ इस अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी तो उसे पांच साल की सजा या एक लाख जुर्माना तक हो सकता है। लेकिन, इस पर कार्रवाई नहीं की जाती है। इसकी एक वजह यह भी है कि कोई आगे आता नहीं और इसकी खरीद-फरोख्त करने वाले इसका फायदा उठाते हैं।
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