मनीष गुप्ता हत्याकांड के एक साल:बेटा अविराज आज भी कर रहा पापा का इंतजार; नौकरी, बेटा और केस अकेली देख रहीं मीनाक्षी

गोरखपुर6 महीने पहले
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कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता हत्याकांड के आज एक साल पूरे हो गए। आज ही के दिन साल 2021 में कानपुर से गोरखपुर घुमने आए मनीष को रामगढ़ताल थाने के 6 पुलिसकर्मियों ने होटल के कमरे में पीट-पीटकर मार डाला था।

हर मामले में अपनी दबंगई और वर्दी का खौफ दिखाकर जीत जाने वाले उन पुलिस वालों को क्या पता था, कि यह आज का ही दिन, उनके लिए पुलिस की नौकरी का आखिरी दिन होगा। और न ही मनीष को यह पता था कि कानपुर से गोरखपुर का यह सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर होगा।

पुलिस की बेरहमी से पिटाई के बाद मनीष तो इस दुनियां को छोड़कर चले गए। इस एक साल में काफी कुछ बदल गया। गोरखपुर के रामगढ़ताल थाने के तत्कालीन दबंग इंस्पेक्टर जेएन सिंह, सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा और 4 अन्य पुलिस वाले पुलिस की नौकरी से तिहाड़ जेल पहुंच गए।

CBI इन सभी 6 पुलिस वालों के खिलाफ हत्या की चार्जशीट लगा चुकी है। मामला दिल्ली के स्पेशल कोर्ट में ट्रायल पर चल रहा है। केस में गवाहियों का दौर जारी है। उम्मीद है जल्द ही इस मामले में कोर्ट का फैसला भी आ जाएगा।

...मम्मा पापा आ गए क्या?

लेकिन इस एक साल से अगर कुछ नहीं बदला तो वो है, मृतक मनीष की पत्नी की आंखों के आंसू, और उनके 5 साल के बेटे अविराज का वो सवाल, जिसका जवाब उसकी मां मीनाक्षी या भगवान के पास भी नहीं है। अवराज को आज भी अपने पापा का भगवान के घर से वापस लौटने का इंतजार है। कानपुर में हर रोज जब उसकी मां मीनाक्षी जब उसे स्कूल छोड़ने या लेने जाती हैं तो, वह पहला सवाल यही करता है, मम्मा पापा आ गए क्या?

अब आईए, आपको मनीष गुप्ता हत्याकांड से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताते हैं, जो उस घटना से भी अधिक दर्दनाक है...

27 सितंबर 2021 की रात हुई थी मनीष की हत्या

कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की गोरखपुर के रामगढ़ताल इलाके के होटल कृष्णा पैलेस में 27 सितंबर 2021 की रात पुलिस की पिटाई से मौत हो गई थी। परिवार वालों ने पुलिस की पिटाई से मौत का आरोप लगाया था।

इस मामले में मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी ने रामगढ़ताल थाने पर तैनात रहे इंस्पेक्टर जेएन सिंह, दरोगा अक्षय मिश्र, राहुल दुबे, विजय यादव, कांस्टेबल कमलेश यादव और आरक्षी प्रशांत सहित 6 पुलिस वालों पर पति की हत्या का केस दर्ज कराया है।

सभी पुलिसकर्मी फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। पहले तो इस मामले की जांच कानपुर SIT कर रही थी, लेकिन मीनाक्षी की मांग पर बाद में बाद में इस केस की CBI ने जांच की और सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या सहित, सबूत मिटाने और कई संगीन धाराओं में चार्जशीट लगाई है।

मीनाक्षी के आगे सरकार को भी झुकना पड़ा

हालांकि, इस मामले में शुरू में तो गोरखपुर के तत्कालीन SSP डाॅ. विपिन ताडा ने इस मामले को दबाने की पूरी कोशिश की, लेकिन मृतक मीनाक्षी की पत्नी की जिद के आगे नतीजा यह हुआ कि पुलिस अधिकारियों की गलतियों का खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ा। इस घटना से देश भर में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। हर तरफ सरकार की फजीहत होने लगी।

विपक्ष से लेकर आम पब्लिक तक ने यूपी सरकार को घेरना शुरू कर दिया। जिसके बाद मजबूरन सरकार को ही झुकना पड़ा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मीनाक्षी गुप्ता से मिलने कानपुर पहुंचे। उन्हें सरकार की तरफ से KDA में OSD बनाया गया। 40 लाख रूपए सरकार ने मुआवजा भी दिया और केस की जांच पहले SIT और फिर CBI से कराई। इतना ही नहीं, मीनाक्षी के कहने पर ही सरकार ने इस केस को गोरखपुर से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया।

दिल्ली में चल रहा केस का ट्रायल
वहीं, मृतक की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता की मांग पर सरकार ने इस केस को गोरखपुर से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया। फिलहाल इस केस का ट्रायल दिल्ली की स्पेशल कोर्ट में चल रहा है। फिलहाल केस में गवाहियों का दौर जारी है।

CBI की जांच में मनीष की हत्या के सबूत भी मिले। साथ ही CBI ने इस केस में दो चश्मदीद भी बनाए हैं। पहला होटल कृष्णा पैलेस का मैनेजर आदर्श पांडेय और दूसरा मृतक मनीष का दोस्त हरबीर सिंह। क्योंकि जिस वक्त होटल कृष्णा पैलेस के कमरा नंबर 512 में जिस वक्त मनीष की पीटकर हत्या हुई थी, उस वक्त कमरे के अंदर मनीष के अलावा सिर्फ तीन लोग थे।

यह तस्वीर होटल के कमरे में उस वक्त की है, जब हत्या से पहले होटल में चेकिंग के बहाने पुलिस वाले पहुंचे थे।
यह तस्वीर होटल के कमरे में उस वक्त की है, जब हत्या से पहले होटल में चेकिंग के बहाने पुलिस वाले पहुंचे थे।

दो चश्मदीदों की गवाही पर न्याय की उम्मीद

इनमें होटल कृष्णा पैलेस का मैनेजर आदर्श पांडेय और दूसरा मृतक मनीष का दोस्त हरबीर सिंह और प्रदीप सिंह शामिल हैं। लेकिन घटना के वक्त प्रदीप गहरी नींद में सो रहा था, जिसकी वजह से उसे CBI ने चश्मदीद नहीं बनाया।

हालांकि CBI ने गवाहों की गवाही गोरखपुर के कोर्ट में तो हो चुकी है, लेकिन केस ट्रांसफर होने के बाद अब उनकी गवाही दिल्ली कोर्ट में होनी बाकी है। ऐसे में मृतक की पत्नी मीनाक्षी कहती हैं, कि अब गवाहों की गवाही से ही उन्हें न्याय की उम्मीद है।

साथ ही वह यह भी कहती हैं कि इस एक साल में मैंने अपनी जिंदगी में सब कुछ खो दिया, लेकिन इस दरमियान मैं इंसाफ की लड़ाई लड़ने के लिए पहले से और भी मजबूत हो चुकी हूं। अगर किसी वजह से गवाहों पर दबाव बनाकर या फिर किसी भी वजह से मुझे इंसाफ नहीं मिला तो मैं हार नहीं मानूंगी। मैं इस केस को आगे हाईकोर्ट में अपील करूूंगी।

मृतक मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी और उनका बेटा अविराज। (फाइल फोटो)
मृतक मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी और उनका बेटा अविराज। (फाइल फोटो)

चाहकर भी पूरी नहीं कर पाती पापा की कमी
मीनाक्षी कहती हैं, "पति की मौत के बाद मैं पूरी तरह टूट गई, लेकिन इसके साथ ही मेरे कंधों पर जिम्मेदारियों का दायरा बढ़ता चला गया। सरकार की तरफ से कानपुर KDA में मिली नौकरी मैं पूरी मेहनत और ईमानदारी से कर रही हूं। लेकिन नौकरी में मेरे उपर काफी जिम्मेदारियां हैं।

इसके साथ ही 5 साल का बेटा अविराज, जिसे कुछ भी समझा पाना मेरे लिए बेहद मुश्किल है। कोशिश करती हूं, उसे कभी पापा की कमी महसूस न होने दूं, लेकिन ऐसा नहीं हो पाता। 27 सितंबर 2021 से आज तक कोई ऐसा दिन नहीं बीता, जिस दिन वो अपने पापा के लौटने का इंतजार नहीं करता।"

मासूम बेटे को छोड़कर केस देखने दिल्ली जातीं मीनाक्षी

मीनाक्षी बताती हैं, "नौकरी और बेटे की जिम्मेदारियां जितनी बड़ी हैं, उससे कहीं अधिक बड़ी जिम्मेदारी मेरे लिए मेरे पति को इंसाफ दिलाना है। इसलिए मुझे पति की हत्या के केस की लगातार पैरवी भी करनी होती है। हर महीने कोर्ट में एक से दो तारीख लगती है।

ऐसे में दफ्तर से छुट्टी लेना, मासूम बेटे को अकेला छोड़कर दिल्ली जाना, यह सब मेरे लिए काफी मुश्किल होता जा रहा है। लेकिन सिर्फ एक बात की मुझे उम्मीद है कि मुझे इंसाफ मिलेगा। भगवान मेरे साथ अब और गलत नहीं करेंगे।"

अब आईए, उन 6 पुलिस वालों के बारे में जानते हैं, जिन पर मनीष की हत्या का आरोप है...

कोर्ट से नहीं मिली पुलिस वालों को राहत
इस एक साल के दौरान मनीष की पत्नी मीनाक्षी आरोपियों को सजा दिलाने के लिए जहां दिन-रात जूझ रहीं हैं, वहीं पुलिस वाले अपने बवाव में नए-नए कदम उठा रहे हैं। पुलिस वालों को फिलहाल कोई राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही है।

इस केस में नामजद थाने के जीप चालक समेत तीन पुलिस वालों ने घटना के बाद मौके पर पहुंचने का तर्क देकर खुद को मुकदमे से बाहर करने की अपील कोर्ट से की थी, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया। इसके साथ ही अदालत में सभी 6 आरोपितों के खिलाफ आरोप तय होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

जेएन सिंह के घर पर बुलडोजर भी चला

इस बीच आरोपी इंस्पेक्टर जेएन सिंह के चिनहट स्थित जगत नारायण के तीन मंजिला आलीशान मकान को एलडीए लखनऊ विकास प्राधिकरण ने ढहा भी दिया। प्राधिकरण के मुताबिक, इंस्पेक्टर ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए बिना नक्शा पास कराए ही मकान बनाया था।

3 पुलिस वालों ने की थी कोर्ट में अपील

दरअसल, इस हत्याकांड में गोरखपुर के रामगढ़ताल थाने के जीप चालक आरक्षी कमलेश, सिपाही प्रशांत और दरोगा राहुल दूबे ने अदालत में याचिका डालकर अपना नाम केस से बाहर करने का अनुरोध किया था। आरोपी पुलिस वालों की ओर से कोर्ट में तर्क दिया था कि जब वह कमरे में गए तो मनीष घायल थे। उन्होंने उसे अस्पताल ले जाने में मदद की। अंदर कमरे में क्या हुआ, उन्हें नहीं मालूम।

6 पुलिस वालों की अभी नहीं हुई बर्खास्तगी

हालांकि फिलहाल अभी आरोपी 6 पुलिस वालों के बर्खास्तगी की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। हालांकि करीब 6 महीने पहले ही गोरखपुर पुलिस की ओर से इस मामले में आरोपी पुलिस वालों के बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी, जिसपर DIG की संस्तुति भी हो गई है। लेकिन फिलहाल यह प्रक्रिया अभी जारी है।

जानिए...अब तक क्या कुछ हुआ

  • 27 सितंबर की देर रात गोरखपुर के होटल में पुलिस वालों पर मनीष को पीट-पीटकर मारने का आरोप लगा।
  • 28 सितंबर को पोस्टमॉर्टम के बाद तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या की FIR दर्ज, 6 को सस्पेंड किया गया।
  • 29 सितंबर की सुबह परिजन शव लेकर कानपुर पहुंचे। सीएम से मिलने की जिद पर अड़े थे। अंतिम संस्कार करने से भी इनकार किया।
  • 30 सितंबर को प्रशासन के आश्वासन के बाद सुबह पांच बजे मनीष का अंतिम संस्कार किया गया। फिर उसी दिन सीएम ने मनीष की पत्नी से मुलाकात की।
  • 2 अक्टूबर से इस मामले की जांच कानपुर SIT ने शुरू की।
  • 10 अक्टूबर की शाम रामगढ़ताल पुलिस ने इंस्पेक्टर जेएन सिंह और दरोगा अक्षय मिश्रा को गिरफ्तार किया।
  • 12 अक्टूबर को पुलिस ने दरोगा राहुल दुबे और कांस्टेबल प्रशांत कुमार को गिरफ्तार किया। 13 अक्टूबर को पुलिस ने मुख्य आरक्षी कमलेश यादव को गिरफ्तार किया था।
  • 16 अक्टूबर को पुलिस ने आखिरी आरोपी दरोगा विजय यादव को गिरफ्तार किया।
  • 2 नवंबर को CBI ने इस मामले में केस दर्ज कर अपनी जांच शुरू की।
  • 7 जनवरी को CBI ने इस केस में सभी पुलिस वालों के खिलाफ हत्या के आरोप में चार्जशीट दाखिल कर दी।
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