बेहद खतरनाक है जापानी इंसेफेलाइटिस का नया वेरिएंट:मरीजों में नहीं दिख रहे लक्षण, जांच में निकल रहे JE पीड़ित, 9 मरीज ​मिलने से डॉक्टर भी हैरान

गोरखपुर2 महीने पहले
  • कॉपी लिंक

गोरखपुर में जापानी इंसेफेलाइटिस (JE) पर अंकुश तो लगा लेकिन, अब इसका स्वरूप बदल गया है। अब यह बीमारी चोर हो गई है। जोकि मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है। JE के मरीजों में ऐसे लक्षण नहीं मिल रहे हैं, जिससे यह पता चल सके कि मरीज को इंसेफेलाइटिस हुआ है।

डॉक्टरों के मुताबिक, बीते 6 महीने में गोरखपुर में ऐसे 9 मरीज मिले हैं, जिनमें JE के लक्षण नहीं थे। जबकि, डॉक्टरों ने आशंका पर जांच कराई तो इसकी पुष्टि हुई। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि यह चिंता का विषय है। अगर लोगों में लक्षण नहीं पता चलेंगे तो इलाज में देरी होगी, जो मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

जांच में हो रही पुष्टि
वेक्टर बोर्न डिजीज के प्रभारी ACMO डॉ. एके चौधरी ने बताया, ऐसे मरीजों के मिलने और JE के नए लक्षणों ने परेशानी बढ़ा दी है। इस बार जो भी JE के मरीज मिले हैं, उन्हें झटका आने की शिकायत हुई है। वह भी खेलने के दौरान।

ऐसी स्थिति में परिजन इलाज के लिए जिला अस्पताल और बीआरडी लेकर पहुंचे हैं, जहां पर इलाके की स्थिति को देखते JE की जांच की गई, तो रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है। राहत की बात यह है कि 8 मरीज स्वस्थ हो गए हैं। जबकि, एक का इलाज बीआरडी मेडिकल कॉलेज में चल रहा है।

बच्चों को आ रहे झटके, जांच में मिले पॉजिटिव
मझघाट के रहने वाला 5 साल के बच्चे को अचानक झटका आना शुरू हुआ। परिजन बीआरडी लेकर गए, जहां पर जांच की गई तो उसे बुखार नहीं आ रहे थे। न ही JE का लक्षण था। लेकिन, जेई पीड़ित इलाके की वजह से डॉक्टरों ने जांच कराई तो जेई की पुष्टि हुई।

वहीं, कुसम्ही के 10 साल के बच्चे और फुलवरिया की एक साल की मासूम में भी JE के कोई भी लक्षण नहीं थे। परिजन झटका आने पर बीआरडी में भर्ती कराएं, जांच में दोनों बच्चे जेई पॉजिटिव निकले। खोराबार के जंगल चौरी का रहने वाला 12 साल का बच्चा सीढ़ी से गिरा गया। इस बीच उसे झटके आने लगे। परिजन इलाज के लिए CHC ले गए, जहां से डॉक्टरों ने बीआरडी रेफर कर दिया। एहतियात के तौर पर जांच कराई गई तो JE की पुष्टि हुई है।

यह तस्वीर, CMO डॉ. आशुतोष कुमार दूबे की है।
यह तस्वीर, CMO डॉ. आशुतोष कुमार दूबे की है।

संचारी रोग अभियान में ढूंढे जाएंगे हाईग्रेड फीवर के मरीज
CMO डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने बताया, JE और AES के मरीजों की जांच के लिए संचारी रोग अभियान में हाईग्रेड फीवर के मरीज ढूंढे जाएंगे। इसके लिए एक अप्रैल से अभियान की शुरुआत की जाएगी। हाईग्रेड फीवर के मरीजों की इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर (ETC) पर जांच कराई जाएगी।

कुत्ते, बिल्ली से पनपने वाले बैक्टीरिया से हो रही बीमारी
JE और AES के जो भी मरीज पूर्वांचल में मिल रहे हैं, उनमें 60 फीसदी कारण स्क्रबटाइफस हैं, जिसके वाहक चूहा छछूंदर है। इसके अलावा 15 फीसदी कारण लेप्टोस्पायरोसिस के हैं, जिनके कारण कुत्ते, बिल्ली से पनपने वाले बैक्टीरिया है।

बुखार के साथ आए झटका तो हो जाएं सावधान!
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अमरेश सिंह ने बताया, JE और AES के मरीजों में सबसे सामान्य लक्षण तेज बुखार है। अगर यह लक्षण नहीं मिल रहे हैं, तो ज्यादा खतरनाक है। बताया कि बुखार के साथ अगर बच्चों को झटका आ रहा है तो जेई जांच जरूर कराएं।

ये हैं JE के लक्षण
तेज बुखार आना (हाइग्रेड फीवर), गर्दन में अकड़न, सिर में दर्द, ठंड के साथ कंपकपी, कभी-कभी मरीज कोमा में चला जाना।

खबरें और भी हैं...