संजय निषाद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी:जिस कसरवल कांड से बने नेता, अब उसी में जाना पड़ सकता है जेल

गोरखपुर7 महीने पहले
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कैबिनेट मंत्री एवं निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद को बड़ा झटका लगा है। CJM जगन्नाथ ने मंत्री को 10 अगस्त तक गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। उनके खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। बता दें कि कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद, जिस कसरवल कांड की वजह से नेता बने।

अब उसी कांड की वजह से उनके जेल जाने की नौबत आ गई। 2015 में निषादों के आरक्षण देने की मांग के आंदोलन के दौरान उग्र होने पर मुकदमा हुआ था। उन पर भीड़ को भड़काने का आरोप है।

हालांकि कैबिनेट मंत्री संजय निषाद का कहना है कि उन्हें कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं है। अधिवक्ता से बात करके जानकारी ली जाएगी। कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा।

जून 2015 में हुआ था कसरवल कांड
जून 2015 की है। सुबह से ही गोरखपुर-सहजनवां रेलवे लाइन पर कई लोग पहुंचने लगे। सरकारी नौकरियों में निषादों को 5% आरक्षण देने की मांग को लेकर राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के बैनर तले ट्रेन चक्का जाम कर दिया।

राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के संयोजक डा.संजय निषाद की अगुवाई में सभी जिलों से निषाद समुदाय के लोग आए थे। गोपनीय तरीके से हुई तैयारी की जानकारी रेलवे प्रशासन, पुलिस- प्रशासन को नहीं हो सकी थी।

भीड़ देखकर अफसर घबरा गए। गोरखपुर और संतकबीरनगर की पुलिस और आरपीएफ ने आंदोलनकारियों को समझा-बुझाकर रेल ट्रैक खाली कराने का प्रयास किया तो बवाल हो गया।

निषादों ने किया था उग्र आंदोलन
पुलिस पर पथराव के दौरान गोलियां चलीं। तोड़फोड़ और आगजनी शुरू हो गई। इस दौरान कई राउंड गोली भी चली। जिससे आंदोलन में शामिल 22 साल के एक युवक की मौत हो गई थी। पथराव में गोरखपुर के तत्कालीन डीआइजी और संतकबीरनगर के एसपी सहित 30 से अधिक पुलिस कर्मचारी घायल हो गए थे।

संजय निषाद पर दर्ज हुआ था हत्या का केस
मामले में संजय निषाद सहित 36 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस ने एक-एक करके सभी को अरेस्ट किया। संजय निषाद ने कोर्ट में सरेंडर किया। करीब सात साल पूर्व यह पहला मौका था।

जब संजय निषाद का नाम सुर्खियों में प्रमुखता से आया। गोरखपुर शहर से इलेक्ट्रो होम्योपैथी की प्रैक्टिस और उसे मान्यता दिलाने का संघर्ष दिलाने वाले संजय निषाद यूपी के विधानसभा चुनाव 2022 में महत्वपूर्ण बने।”

भारत सरकार से निषादों को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलाने की मांग करने वाली निषाद पार्टी को बेहद ही कम समय में उन्होंने चौथे नंबर का दर्जा दिला दिया। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने निषाद पार्टी को गठबंधन के तहत 15 सीटें दीं।

जिनमें 11 सीटों पर जीत मिली। 11 में कुल पांच सीटों पर निषाद पार्टी के नेता भाजपा के सिंबल पर चुनाव लड़े थे। जिनमें डॉ. संजय निषाद के छोटे बेटे सरवन निषाद भी शामिल हैं।

कई नेताओं और प्रभावशाली लोगों से मुलाकात की। फिर अपने समाज के उत्थान के लिए उन्होंने वर्ष 2013 में निषाद पार्टी का गठन कर लिया।
कई नेताओं और प्रभावशाली लोगों से मुलाकात की। फिर अपने समाज के उत्थान के लिए उन्होंने वर्ष 2013 में निषाद पार्टी का गठन कर लिया।

निषाद पार्टी का गठन किया, बढ़ता गया कारवां
डॉ. संजय निषाद ने वर्ष 2002 में पूर्वांचल मेडिकल इलेक्ट्रो होम्योपैथी एसोसिएशन का गठन​ किया। इसके माध्यम से वह इस विधा को मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष करने लगे। कई नेताओं और प्रभावशाली लोगों से मुलाकात की।

फिर अपने समाज के उत्थान के लिए उन्होंने वर्ष 2013 में निषाद पार्टी का गठन कर लिया। इसके पहले उन्होंने वर्ष 2008 में आल इंडिया बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी वेलफेयर मिशन और शक्ति मुक्ति महासंग्राम नाम के दो संगठन भी बनाए थे। संघर्ष को मुकाम देने के लिए वह राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद बनाकर भी लोगों को सहेज चुके थे।

पीस पार्टी के साथ समझौता कर लड़े चुनाव
2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार निषाद पार्टी ने पीस पार्टी के साथ समझौता कर चुनाव लड़ा। गठबंधन के तहत निषाद पार्टी ने 72 सीटों पर प्रत्याशी उतारे मगर जीत सिर्फ ज्ञानपुर सीट पर विजय मिश्रा को मिल सकी।

इस चुनाव में डॉ. संजय निषाद गोरखपुर ग्रामीण से चुनाव हार गए। उन्हें सिर्फ 34,869 वोट मिले। 2017 में योगी जब मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने गोरखपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।

गोरखपुर सीट पर हुए उप चुनाव में संजय निषाद ने सपा से गठबंधन कर अपने बेटे प्रवीण निषाद को चुनाव लड़ाया और भाजपा को हराकर बेटे को संसद पहुंचा दिया। इसके बाद वर्ष 2019 के पूर्व वह भाजपा में शामिल हो गए।

भाजपा ने प्रवीण निषाद को संतकबीर नगर जिले से टिकट दिया। वह संतकबीर नगर से सांसद चुने गए। साथ ही भाजपा ने डॉ. संजय निषाद को विधान परिषद में पहुंचाया।

कसरवल कांड से उठी चर्चा, प्रदर्शनकारी की हुई मौत
निषादों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के लिए संजय ने गांव- गांव संघर्ष शुरू किया। वह अपने समाज के लोगों के बीच जाकर उनको जागरूक करने लगे।

बच्चों को पढ़ाने से लेकर रोजगार की बात करके उन्होंने सभी को जोड़ना शुरू किया। छोटे- छोटे प्रदर्शन से काफी उठकर संजय निषाद कसरवल कांड को अंजाम दिया। इसकी जानकारी खुफिया तंत्रों को नहीं लगी।

खलीलाबाद के मगहर में जनसभा का एलान करके वह कसरवल में पहुंच गए। रेलवे ट्रैक जाम करके प्रदर्शन करने के दौरान पुलिस से झड़प हुई। इस दौरान उनके एक साथी की मौत हो गई।

प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से लोग पहुंचे थे। इसलिए इसकी चिंगारी पूरे प्रदेश में फैली। आगजनी, हिंसा, रेलवे ट्रैक जाम करने और पुलिस पर हमले में संजय निषाद जेल भेजे गए।

राजनीति की बीच धारा में उतर चुके संजय निषाद ने मंझधार में अपनी पतवार को संभालकर रखा।
राजनीति की बीच धारा में उतर चुके संजय निषाद ने मंझधार में अपनी पतवार को संभालकर रखा।

उपचुनाव में बेटे को बनाया सांसद
जून 2015 में सहजनवां के कसरवल कांड ने संजय निषाद को नई पहचान दी। जेल से रिहा होने के बाद वह संगठन को मजबूत करने में जुट गए। जुलाई 2016 में चंपा देवी पार्क में विशाल रैली कर निषादों के एकजुट होने का प्रदर्शन किया था।

2017 के विधानसभा चुनाव में 72 सीटों पर प्रत्याशी उतारे, जिसमें ज्ञानपुर से विजय मिश्रा को जीत हासिल हुई। पनियरा, कैंपियरगंज, सहजनवां, खजनी सीट पर उनके प्रत्याशियों को 10 हजार से अधिक वोट मिले।

गोरखपुर ग्रामीण सीट से खुद लड़ रहे संजय चुनाव हार गए। लेकिन इस बीच उनके लिए किस्मत का दरवाजा खुला। प्रदेश में भाजपा लौटी तो पार्टी ने सदर सांसद महंत योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का सीएम बना दिया।

इससे गोरखपुर लोकसभा की सीट खाली हो गई। तब सपा ने संजय निषाद के बेटे इंजीनियर प्रवीण निषाद को उप चुनाव लड़ा दिया। सपा के टिकट पर वह लोकसभा गोरखपुर उप चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे।

समाज के लिए करते रहे संषर्घ
बेटे के सांसद बनने के बाद संजय निषाद ने अपने आंदोलन को धार देनी शुरू कर दी। वह लगातार अपने मंसूबे को अंजाम देने में लगे रहे। गोरखपुर में कभी पूर्व मंत्री जमुना निषाद अपनी बिरादरी के अगुवा थे।

उनके बाद पूर्व मंत्री रामभुआल सहित अन्य ने कमान संभालने की कोशिश की। मगर कामयाब नहीं हो सके। राजनीति की बीच धारा में उतर चुके संजय निषाद ने मंझधार में अपनी पतवार को संभालकर रखा। बिरादरी में बढ़ते वर्चस्व को देखते हुए एक बार फिर भाजपा ने उनको मौका दिया।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रवीण निषाद को भाजपा ने खलीलाबाद लोकसभा क्षेत्र का प्रत्याशी बनाया। पूर्वांचल के बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे कुशल तिवारी के मुकाबले प्रवीण को उतारा। पार्टी नेतृत्व की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए प्रवीण सांसद चुने गए। मगर, इसके बाद भी संजय निषाद ने अपना आंदोलन जारी रखा।

आंदोलनों को देते रहे धार
वह लगातार पार्टी के शीर्ष नेताओं से मिलकर निषाद समाज की लड़ाई लड़ते रहे। इस बीच संजय निषाद का एक स्टिंग भी हुआ। मगर इन सब से परे हटकर वह अपने कामों में लगे रहे।

जिसका नतीजा सामने है। विधान सभा चुनावों में निषाद वोटों की बदौलत नैया पार करने के लिए संजय निषाद को विधान परिषद में भेजने का निर्णय लिया गया। संजय के एमएलसी बनने से उनके कार्यकर्ताओं में उत्साह है। उनका कहना है कि हमारे मुखिया बिरादरी के लिए आगे भी संघर्ष करते रहेंगे।