उत्तर प्रदेश की गोरखपुर पुलिस कर्मियों की करतूस सामने आने से देश भर में तूफान मच गया है। चुनाव से ठीक पहले इस मामले को राजनैनिक पार्टियां चुनावी मुदृा बनाने में कोई कोर कसर छोड़ने को तैयार नहीं हैं। वहीं, खाकी पर लगे इस दाग को अब अलग-अलग तरीके से परिभाषित किया जा रहा है।
रामगढ़ताल पुलिस की पिटाई से कानपुर के प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता की मौत का नया प्रकरण सामने आने पर पिछले करतूतों की चर्चा हो ही जाती है। गोरखपुर में सराफा व्यापारियों से हुई लूट के मामले में भी 22 जनवरी 2021 चार पुलिसकर्मी गिरफ्तार कर भेजे जेल जा चुके हैं। यह सभी बस्ती जिले में तैनात थे। इनमें एक दरोगा और तीन सिपाही मिलकर लूट करते थे।
CM योगी के फोन पर दर्ज हुआ पुलिसकर्मियों पर केस; 3 नामजद
पुरानी घटनाओं की फिर होने रही चर्चा
वहीं, मंगलवार को कानपुर के प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता की पुलिस से पिटाई से मौत के बाद कुछ पुरानी घटनाओं पर लोग जिक्र करने लगे। हाल के वर्षों के भीतर ही कई ऐसे मामले सामने आए, जिनमें पुलिस कर्मियों को जेल की हवा खाने की नौबत आ गई। गोरखपुर में खाकी पर कलंक की फेहरिस्त लंबी है।
केस-1
4 मार्च 2021, को शाहपुर इलाके में एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप के वीडियो वायरल होने के मामले में चौकी प्रभारी और सिपाही को निलंबित कर दिया गया है। इसके बाद इस मामले में तत्कालीन एसएसपी जोगेंद्र कुमार के आदेश पर पीड़िता के बयान के आधार पर चौकी इंचार्ज और सिपाहियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। सिपाहियों को जेल भी भेजा गया था।
केस-2
इससे पहले गोरखपुर में एसएसपी रहे सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज सख्त रवैये के लिए जाने जाते थे। उनके कार्यकाल में उरूवा थाने में तैनात रहे दरोगाओं पर 18 दिसंबर 2017 को अपहरण कर रंगदारी मांगने का केस दर्ज हुआ था। इस मामले में ट्रेनी दरोगा अभिजीत कुमार और रघुनंदन त्रिपाठी को गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि बिहार के गोपालगंज के छात्र एहसान आलम को धोखे से उसका दोस्त अफजल गोरखपुर लाया था फिर परिचित दोनों दरोगा की मदद से तीन लाख रुपये की फिरौती मांगी गई थी।
केस-3
2006 में कुशीनगर जिले के एक कारखाने में युवक की हत्या हुई थी। जिसका सिर काट दिया गया था। आरोप था कि सरकारी जीप का इस्तेमाल कर दरोगा निर्भय नारायण सिंह ने शव को गंडक नदी में बहा दिया था। इस मामले में आईजी के आदेश पर तब केस दर्ज हुआ था और बाद में दरोगा की गिरफ्तारी भी हुई थी। यह मामला भी काफी चर्चित रहा था। इसमें पूरी कार्रवाई आईजी की देखरेख में हुई थी।
केस-4
2000 में शाहपुर थाने में पूछताछ को लाए गए एक युवक की मौत हो गई थी। आरोप था कि एएसपी ने मारपीट की, इसमें थानेदार भी शामिल थे। पुलिस ने इस मामले में हत्या का केस तत्कालीन थानेदार रहे संजय सिंह पर दर्ज किया था। बाद में उनकी गिरफ्तारी की गई थी और जेल भेजा गया था। तब एसएसपी विजय कुमार यहां पर थे और उनके आदेश पर ही कार्रवाई हुई थी।
केस-5
22 मई 2019 को वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रामशरण श्रीवास्तव से रंगदारी वसूलने के मामले में ट्रांसपोर्ट नगर चौकी इंचार्ज रहे शिव प्रकाश सिंह और कथित पत्रकार प्रणव त्रिपाठी पर एफआईआर दर्ज की गई थी। मगर यह केस पुलिस ने नहीं दर्ज किया था। ना ही तब डॉक्टर को पुलिस पर भरोसा था। दो लाख रुपये देने के बाद डॉक्टर ने सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर शिकायत की थी और उनके ही आदेश पर रातों रात पुलिस हरकत में आ गई थी। आरोपियों पर केस दर्ज करने के साथ ही उनकी गिरफ्तारी भी की गई थी। पुलिस ने इस मामले में रुपये भी वापस कराए थे।
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