अफगानिस्तान में फंसा गोरखपुर के शैलेंद्र शुक्ला सोमवार को सही सलामत घर आ गए हैं। शैलेंद्र 150 भारतीयों के साथ एयरफोर्स के विमान से अपने देश वापस लौटे हैं। यहां आने के बाद शैलेंद्र ने भावुक होते हुए सरकार और मीडिया का धन्यवाद किया। वहीं, परिजन ने मिठाई खिलाकर उनका स्वागत किया। इस दौरान शैलेंद्र ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालातों और अपने पर बीती परेशानियों का जिक्र किया।
शैलेंद्र ने बताया, अफगानिस्तान के काबुल का माहौल इस वक्त काफी बुरा है। तालिबानियों ने एयरपोर्ट पर हम लोगों को 4.5 घंटे तक बंधक बना लिया था। मगर, मीडिया में जब हम लोगों को बंधक बनाने की खबर चली, तो हम लोगों के प्रति तालिबानियों का रवैया बदल गया। लगभग 4:30 घंटे बाद उन्होंने हमे छोड़ दिया।
जरा सी बात पर तालिबानी गोली मार देते हैं
शैलेंद्र बताते हैं कि तालिबानी यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि हम नरम दिल हैं, मगर हालात इसके इतर हैं। वहां छोटी बात पर भी तालिबानी गोलियां चलाकर जवाब देते हैं। हमें बहुत डर लग रहा था। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होते ही हम लोगों को वहां कंपनी के मालिक ने फैक्ट्री में ही कैद कर रखा था। सुरक्षा की दृष्टि से वे हमें बाहर नहीं जाने देते थे। हालांकि, अंदर खाने-पीने से लेकर किसी भी चीज की दिक्कत नहीं थी। हमारे मालिक लगातार आश्वासन देते रहे कि जल्द ही तुम सभी को तुम्हारे वतन वापस भेज दिया जाएगा।
चंद कदम पर खड़ी थी मौत, मीडिया की खबरों से वापस मिली जिंदगी
शैलेंद्र शुक्ला ने बताया, 20 अगस्त की रात एंबेसी से फोन आया। भारत का वायुसेना विमान अपने नागरिकों को लेने आ रहा है। कंपनी के मालिक ने तत्काल 6 बसों से सभी को एयरपोर्ट भेजा। तड़के 4 बजे एयरपोर्ट पहुंचने पर वहां हजारों की संख्या में भीड़ जुटने लगी थी। मगर इस बीच सुबह करीब 8 बजे तालिबानी आए और हमें बंदुक की नोंक पर एक सुनसान जगह पर ले गए। उस वक्त लगता था कि मौत अब हम लोगों से सिर्फ चंद कदम ही दूर है। इस बीच भारतीय मीडिया में यह खबर चलते ही तालिबानी दबाव में आ गए।तत्काल उनका रवैया बदल गया। आश्वासन दिया कि आप सभी को सुरक्षित आपके देश भेजा जाएगा।
शैलेंद्र के साथ गोरखपुर और आस-पास के 4 अन्य भी लौटे
शैलेंद्र बताते हैं कि इस बीच तालिबान की सेना ने हमें चाय नाश्ता भी कराया, फिर भारतीय सेना का विमान आने की सूचना मिली। इसके बाद तालिबानियों ने हमें खुद सुरक्षित तरीके से एयरपोर्ट पर पहुंचाया। करीब 150 लोग वहां से सुरक्षित दोपहर करीब 1 बजे एयरपोर्ट पहुंचे। इसके बाद हम लोग भारतीय वायुसेना की विमान से गाजियाबाद हिंडन एयरबेस पहुंचे। वहां से भारतीय सेना की बस से हम लोगों को आनंद विहार स्टेशन पहुंचाया गया। उनके साथ गोरखपुर और आस-पास के चार अन्य लोग भी आए हैं। जिनमें बड़हलगंज इलाके के भईसहट के रहने वाले नीरज मौर्या भी हैं। वहां से शैलेंद्र सोमवार की दोपहर करीब एक बजे गोरखपुर स्थित अपने घर पहुंचे।
ढाई महीने के लिए अफगानिस्तान गए थे शैलेंद्र
शैलेंद्र से विदेश में टेक्नीशियन (फोरमैन) का कार्य करते हैं। इससे पहले 11 सालों तक श्रीलंका और 8 महीने नाइजीरिया में काम किया। 5 साल ओमान में रहे हैं। बीते 16 जुलाई को वह ढाई महीने के लिए अफगानिस्तान गए थे। इस बीच वहां तालिबान का कब्जा होने से शैलेंद्र भी फंस गए। शैलेंद्र बताते हैं कि अभी भी वहां भारत के हजारों लोग फंसे हुए हैं। जिनमें करीब 24 से अधिक लोग गोरखपुर मंडल के शामिल हैं। शैलेंद्र की मां ने कहा कि अब कुछ भी हो जाए, वे अपने बेटे को देश से बाहर नहीं जाने देंगी।
तीन लोगों ने वतन वापसी से किया इंकार
शैलेंद्र ने बताया कि इस वक्त वहां फंसे लोग जहां वतन वापसी की राह देख रहे हैं। जबकि ऐसे भी कई लोग हैं, जिन्होंने वतन वापसी से इंकार कर दिया है। शैलेंद्र के मुताबिक, उनकी वापसी के दौरान गाजियाबाद, गोरखपुर और चेन्नई के 3 लोगों ने भारत आने से इंकार कर दिया। शैलेंद्र के मुताबिक, इन लोगों ने बड़ा बीमा करा रखा है। ऐसे में उनका मानना है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो वे आगे काम करेंगे। अगर इस बीच कोई दुर्घटना हो गई तो परिवार के लोगों को उनके बीमा की अच्छी खासी रकम मिल जाएगी।
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