हमीरपुर में चौकड़ी भर रहे हिरण:सौ से ज्यादा हिरण खेतों में दौड़ रहे, फसल को हो रहा नुकसान; किसान परेशान

हमीरपुरएक वर्ष पहले
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हमीरपुर में हिरण बने किसानों के लिए मुसीबत। - Dainik Bhaskar
हमीरपुर में हिरण बने किसानों के लिए मुसीबत।

हमीरपुर जिले में किसान खेती-किसानी कर अपना जीवन-यापन करते हैं। इलाके में सिंचाई का सही बंदोबस्त न होने की वजह से किसान साल में सिर्फ एक फसल ही पैदा कर पाते हैं, लेकिन उस पर भी कभी दैवीय आपदा या फिर अन्ना प्रथा मुसीबत बनी रहती है।

अब जब गांव-गांव में गौशाला बन गई हैं और अन्ना जानवर से राहत मिली है, तब एक नई मुसीबत किसानों के सामने आ खड़ी हुई है, वह है हिरणों का झुंड। इस इलाके में हिरणों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। जो किसानों के लिए मुसीबत का सबब बनते जा रहे हैं। इसकी वजह से किसान सर्द मौसम में भी रात-दिन खेतों की निगरानी करने में लगा है।

जंगलों से निकल कर खेतों की तरफ आ रहा झुंड।
जंगलों से निकल कर खेतों की तरफ आ रहा झुंड।

सुमेरपुर ब्लॉक क्षेत्र सहित मौदहा ब्लॉक क्षेत्र में 100-100 हिरणों का झुंड देखने को मिल रहा है, जिसमें ब्लैक बग सहित बारहसिंघा भी शामिल हैं। वह अभी हाल ही में बोई गई फसलों को उजाड़ने में लगे हैं, जिससे किसान परेशान हैं। किसान रात-दिन खेती की रखवाली करने में लगा है, क्योंकि अगर फसल उजड़ी तो फिर अगले साल ही दूसरी फसल हो सकेगी। तब तक परेशानी ही परेशानी झेलनी पड़ेगी।

किसानों ने की हिरणों से निजात दिलाने की अपील

इस समय इलाके में मटर, मसूर, अरहर सहित चना और गेहूं की फसल बोई हुई है। जिसमें से चना, मटर, मसूर और अरहर की फसल हिरणों को बहुत पसंद है और जब यह झुंड किसी खेत में घुस जाता है तो एक घंटे में यह झुंड उस खेत को साफ कर देता है। ऐसे में किसान परेशान हो उठा है और अब अन्ना जानवरों के बाद इनसे निजात दिलाने की अपील कर रहा है।

जिले में जंगल का रकबा तो ठीक ठाक है, लेकिन जंगलों में शिकारी जानवर नहीं हैं। जिसकी वजह से हिरणों की तादाद में तेजी से इजाफा हो रहा है। इस मामले में जब डीएफओ उमेश चंद्र राय से बात की गई तो उनका कहना है कि हिरणों को मुलायम घास या पत्तियां पसंद हैं, जिसकी वजह से यह जंगल से निकल रहे हैं।

चारे और पानी की व्यवस्था की जाएगी

साथ ही अगर जंगल के एरिया में पानी नहीं होगा तो पानी के लिए भी यह बाहर आते हैं। अभी चूंकि फसल बोई गई है जिसकी कोपल निकली है। हो सकता है कि यह उसे नुकसान पहुंचा रहे हों, लेकिन जब फसल बड़ी हो जाएगी तो यह उसे नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। डीएफओ का कहना है यह दिखाया जाएगा कि जंगल इलाके में चारा या पानी का इंतजाम है या नहीं। अगर नहीं है तो वहां उपलब्ध कराया जाएगा।