हाथरस में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। यहां BSA ऑफिस में खुदाई के बाद एक हनुमान जी की मूर्ति निकली है। दरअसल, शुक्रवार सुबह एक बाबा BSA ऑफिस पहुंचे और एक पेड़ के नीचे पहुंच कर खुदाई करने लगे। इस पर विभागीय अफसरों ने उन्हें रोक दिया।
इसके बाद बाबा ने दावा किया कि उसे हनुमान जी ने सपने में आकर बताया है कि मैं धरती के अंदर दबा हूं। यहां मेरा दम घुट रहा है। मुझे बाहर निकालो। इसके बाद मैं यहां खुदाई कर रहा हूं।
हिंदूवादी नेताओं के हंगामे के बाद मिली परमिशन
हनुमान जी की मूर्ति जमीन के अंदर दबी होने की सूचना मिलने पर सैकड़ों हिंदूवादी नेता BSA ऑफिस पहुंच गए। उन्होंने खुदाई करने को कहा, लेकिन अधिकारियों ने मना कर दिया। इसके बाद हिंदूवादी नेता DM के पास पहुंच गए।
DM ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए खुदाई की परमिशन दे दी। इसके बाद BSA ऑफिस में खुदाई शुरू की गई। करीब 2 घंटे की खुदाई के बाद जमीन के अंदर हनुमान जी की मटमैली मूर्ति मिली। हालांकि, यह मूर्ति वहां कैसे पहुंची, इसकी जानकारी किसी को नहीं है।
बाबा को महीने भर से आ रहे थे सपने
हाथरस के मीतई निवासी बाबा पंकज ने बताया, "महीने भर से मुझे हनुमान जी का सपना आ रहा था। मुझसे हनुमान जी कहते थे कि मैं धरती के अंदर दबा हुआ हूं। यहां मेरा दम घुट रहा है। मुझे बाहर निकालो।'' उन्होंने बताया, ''जब पहली बार यह सपना आया तो मैंने बहुत हल्के में लिया। मगर, उसके बाद लगातार यह सपना आने लगा। लेकिन सपने में जगह नहीं क्लियर हो रही थी कि हनुमान जी कहां दबे हैं।"
बाबा ने कहा, "3 दिनों से हनुमान जी का सपना खूब आने लगा। चाहे दिन हो या रात, हर बार वह सपने में आते। यही बात कहते कि मुझे जमीन से निकालो। फिर मैंने सपने में ही उनसे विनती कि भगवान मुझे जगह पता नहीं चल पा रही है। कृपया मार्गदर्शन करें। इसके बाद बीती रात मुझे सपने में BSA ऑफिस का बोर्ड दिखा। मैं यहां आया और अंदर जगह ढूंढी, तो हूबहू वही जगह मिल गई। मैं इस जगह कभी नहीं आया हूं। पहली बार यह जगह देख रहा हूं।"
जहां मूर्ति मिली, 40 साल पहले वहां मंदिर था
मौके पर पहुंचे हिंदूवादी नेताओं का दावा है कि जहां हनुमान जी की मूर्ति मिली, वहां 40 साल पहले हनुमान जी का मंदिर था। हालांकि, मूर्ति मिलने के बाद इलाके के लोगों के साथ BSA ऑफिस के अफसर भी हैरान हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है। बहरहाल, हनुमान जी की मूर्ति मिलने के बाद उसे उसी पेड़ के नीचे स्थापित कर दिया गया है। हिंदूवादी नेताओं का कहना है कि यहां अब मंदिर बनवाया जाएगा।
लोगों ने शुरू की हनुमान की पूजा
हनुमान जी की मूर्ति मिलने के बाद स्थानीय लोगों ने वहां पहले प्रसाद चढ़ाया। इसके बाद लोगों ने उसकी पूजा शुरू कर दी। लोग आते ही जा रहे हैं। हनुमान भक्तों में महिला, पुरुष और बच्चे सभी शामिल हैं। सभी मूर्ति के पैर छूकर आशीर्वाद ले रहे हैं। बताया जा रहा है कि मूर्ति डेढ़ फुट से दो फुट की है। मूर्ति धातु की है या पत्थर की, यह अभी नहीं पता चल पाया है। मूर्ति पर मिट्टी की परत चढ़ी हुई है।
खेती किसानी करते हैं बाबा पंकज
हाथरस BSA ऑफिस से लगभग 7 किमी दूर मीतई में बाबा पंकज रहते हैं। बाबा पंकज के बारे में बताया जा रहा है कि वह खेती-किसानी करते हैं। साथ ही वह एक स्थानीय मंदिर में पूजा-अर्चना भी करते हैं।
2017 को यह भूमि कब्जा मुक्त कराई गई थी
BSA ऑफिस की जिस जमीन पर आज हनुमान जी की मूर्ति निकली है, उस पर पहले छोटे मियां बड़े मियां मजार समिति का कब्जा था। इसके रास्ते पर भी मजार समिति का कब्जा था। 19 मार्च, 2017 को हिंदूवादियों ने इस जमीन पर प्रदर्शन करके प्रशासन की सहायता से कब्जा मुक्त कराया था। बताया जाता है कि जहां मूर्ति निकली है, उससे 50 मीटर दूर एक बाउंड्रीवॉल के पीछे मजार बनी हुई है। यहां हर साल उर्स पर मेला भी लगता है।
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