हाथरस में प्रशासन ने सासनी की पराग डेयरी के सामने संचालित अष्टलक्ष्मी राइस मिल पर छापा मारा। मौके से हरियाणा और उत्तर प्रदेश की मोहर लगी चावल की लगभग 24 हजार बोरी बरामद की गईं। प्रशासन ने राइस मिल को सील कर दिया है। मिल मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने को कोतवाली में तहरीर दी है। मिल के लाइसेंस को निरस्त कर दिया गया है।
आगरा-अलीगढ़ रोड स्थित कंकाली मंदिर के पास अष्टलक्ष्मी राइस मिल में सरकारी राशन के चावल होने की शिकायत एडीएम एवं एसडीएम को मिल रही थी। प्रशासन की टीम मिल की निगरानी में लगी एसडीएम सदर व एडीएम डॉ बंसत अग्रवाल अपनी टीम को लेकर राइस मिल पहुंच गए।
मिल में ट्रैक्टर-ट्रॉली को माल उतारते रंगेहाथ पकड़ लिया। उसमें हरियाणा, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश के मार्का लगे बोरे मिले हैं। अफसरों ने मिल संचालक से जब अभिलेख मांगे तो वह दिखा नहीं सका। टीम को वहां दो ट्रक और दो ट्रैक्टर खड़े हुये मिले।
गाड़ियों को सासनी पुलिस को सौंपा
टीम ने वाहनों को सासनी पुलिस के हवाले के कर दिया। टीम ने जब जांच पड़ताल की तो उसे गोदाम में भारी मात्रा में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के चावल के बोरे पाये।गये जिनकी अनुमानित संख्या करीब 24 हजार है। गोदाम को प्रशासन ने सील कर दिया है। प्रशासन की माने तो फर्म का मालिक पुनित अग्रवाल पुत्र स्व एसके अग्रवाल निवासी मोहनगंज हाथरस के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
छापे मारी के दौरान टीम में एसडीएम, जिला पूर्ति अधिकारी, जिला खाद्य विपणन अधिकारी, तहसीलदार सासनी, पूर्ति निरीक्षण सासनी मौजूद रहे। एसडीएम अंजली गंगवार का कहना है कि राइस मिल मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। चावल के गोदाम को सील कर दिया गया है।
कहां से आया बारह लाख कुन्तल चावल
प्रशासन के इस छापे से राशन माफियाओं की पोल खुल गई है। कुछ दिन पहले ही आपूर्तिविभाग ने एक नई व्यवस्था शुरु की है।पहले राशन डीलर गोदाम से खुद ही माल का उठान करते थे, लेकिन अब माल को राशन डीलर के ठिकाने तक पहुंचाने का ठेका प्राइवेट लोगों को दे दिया गया है। इस गोदाम के अंदर 12 लाख कुन्तल चावल मिलना कहीं न कहीं आपूर्ति विभाग की व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।
शहर के कई लोग इस धंधे में शामिल
चावल की कालाबाजारी में एक नहीं बल्कि कुछ सफेदपोश भी शामिल हैं। जिन्होंने माफियाओं को पूरा संरक्षण दे रखा है। बताया जाता है कि जनपद में पूरा गैंग सक्रिय है। जो बड़े पैमाने पर सरकारी चावल की खरीद करता है और बाद में उसे गाड़ियों में भरकर दिल्ली और एनसीआर में महंगे दामों में बेच दिया जाता है।
17 रुपये में खरीद, 40 में बिक्री
बताया जाता है कि गरीबों से 17 रुपये किलो में चावल खरीदकर लाया जाता है और शहर में आकर माफियाओं को बीस रुपये किलो में बेच दिया जाता है। उसके बाद माफिया उस चावल को तीस से चालीस रुपये किलो में बेचते हैं।
दो महीने पहले भी पकड़ा गया था चावल
करीब दो महीने पहले पुलिस प्रशासन ने सासनी के निकट चावल पकड़ा था। इन माफियाओं ने तमाम गांवों में चोरी छिपे अपने गोदाम बना रखे है। जहां गाड़ियों में भरकर माल को इकठ्ठा किया जाता है। एक गाड़ी का माल पूरा होते ही उसे बाजार में बेच दिया जाता है
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