राजनीतिक दल भले ही महिलाओं को टिकट देने में संकोच करें, लेकिन जौनपुर की मड़ियाहूं विधानसभा महिलाओं के लिए फायदेमंद साबित हुई है। मड़ियाहूं विधानसभा में 6 बार जनता ने महिला उम्मीदवार को विधानसभा सदन तक पहुंचाया है।
जौनपुर की पहली महिला विधायक भी मड़ियाहूं विधानसभा से चुनी गई थीं। 1957 से लेकर 2017 तक 6 महिला यहां से विधायक चुनी गई हैं। कांग्रेस, सपा और अपना दल की महिला उम्मीदवारों ने ना सिर्फ जीत हासिल की है, बल्कि अपने सामने पुरुष उम्मीदवारों को पटखनी भी दी है।
मड़ियाहूं विधानसभा से ही बनीं पहली महिला विधायक
1957 के आम विधानसभा में कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार तारा देवी विधायक चुनी गईं। तारा देवी स्वतंत्रा संग्रामी थी। वो जौनपुर की पहली महिला विधायक चुनी गई थीं। इसके बाद मड़ियाहूं विधानसभा में 32 वर्षों तक कोई भी महिला जीत नहीं दर्ज कर सकी।
1989 में जनता दल के टिकट से सावित्री देवी ने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। सावित्री देवी की जीत का सिलसिला यही नहीं रुका। 1993 में सावित्री देवी ने समाजवादी पार्टी से किस्मत आजमाई। सावित्री देवी दोबारा मड़ियाहूं विधानसभा से विधायक चुनी गईं।
महिलाओं को लुभाती है मड़ियाहूं विधानसभा की सीट
2004 के विधानसभा उपचुनाव में सपा के टिकट से श्रद्धा यादव ने चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्होंने अपने भतीजे और बसपा के प्रत्याशी अमित यादव को चुनाव में मात दी थी। इसके बाद 2012 के चुनाव में श्रद्धा यादव को जीत मिली। 2017 के आम विधानसभा चुनाव में अपना दल की लीना तिवारी ने श्रद्धा यादव को चुनाव में हरा दिया। 1957 से लेकर 2017 तक मड़ियाहूं विधानसभा में 6 बार महिलाओं का कब्ज़ा रहा है।
इस बार क्या कहते हैं समीकरण
आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर मड़ियाहूं विधानसभा में समीकरण बदलते नज़र आ रहे हैं। मुंगराबादशाहपुर विधानसभा से बसपा की मौजूदा विधायक सुषमा पटेल ने समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली है। सुषमा पटेल मड़ियाहूं विधानसभा से इस बार दावेदारी पेश कर रही हैं।
मड़ियाहूं से अपना दल की विधायक लीना तिवारी भी अपनी सीट से ही किस्मत आजमाएंगी। ऐसे में मड़ियाहूं विधानसभा में दिलचस्प लड़ाई होने की उम्मीद है। सुषमा पटेल की सास सावित्री देवी दो बार मड़ियाहूं से विधायक रह चुकी हैं।
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