प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले नौनिहालों को भोजन खिलाने वाले रसोइयों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। पिछले 7 महीनों से रसोइयों को उनका मानदेय नहीं मिला है। मानदेय नहीं मिलने के कारण पारिवारिक स्थिति डामाडोल हो गई है।
आलम यह है कि रसोईये किराना की दुकान से उधार में राशन लेकर किसी तरह अपने परिवार का गुजारा बसारा कर रहे हैं। रसोइयों का मानदेय 1500 रुपये हैं लेकिन पिछले 7 महीने से उनको मानदेय नहीं मिला है। दीपावली के त्योहार को लेकर भी रसोइयों में किसी भी तरह का उत्साह नहीं नज़र आ रहा है।
1500 रुपए मिलता है मानदेय
प्राथमिक विद्यालय मियांपुर में काम करने वाली रसोइयां विमला के माथे पर चिंता की गहरी लकीरे हैं। पिछले 7 महीनों से उनको मानदेय नहीं मिला है। किराने की दुकान से उधार पर सामान लेकर किसी तरह परिवार में लोगों का भरण पोषण हो रहा है। लेकिन अब किराने की दुकान वाला भी उधारी के पैसे मांग रहा है। वह कहती हैं कि 1500 रुपये महीने में कैसे परिवार का खर्च चल सकता है। उनकी मांग है कि उनका मानदेय भी बढ़ाया जाए।
परिवार के सामने संकट
रसोइया लालमणि की हालत भी विमला देवी जैसी ही है। वह कहती हैं कि परिवार की स्थिति ठीक नहीं है। 1500 रुपयों में किसी तरह परिवार का गुजारा होता था। पिछले 7 महीनों से मानदेय नहीं मिला है। उधार लेकर परिवार का गुजारा हो रहा था। लेकिन जिसने पैसे उधार दिए थे अब वह भी अपना पैसा वापस मांग रहा है। किसी तरह से दशहरा का त्योहार बीत गया। सामने दीपावली का त्योहार है लेकिन पैसे नहीं हैं। ऐसे में परिवार के सामने संकट बना हुआ है।
मानदेय के इंतजार में रसोइये
जौनपुर में कुल 8756 रसोइए हैं। कोरोना की दूसरी लहर के बाद से इन रसोइयों को मानदेय नहीं मिला है। प्राइमरी विद्यालय में नौनिहालों का भोजन बनाने वाले रसोईया खुद के परिवार की स्थिति को लेकर परेशान हैं। विमला और लालमणि की तरह बाकी रसोईये की भी पारिवारिक स्थिति यही है। एक तरफ रसोईये अपने मानदेय के इंतजार में हैं तो वहीं दूसरी तरफ बड़ा संकट यह है कि अगर मानदेय नहीं आया तो दीपावली के त्योहार में उनका घर अंधेरे में रहेगा।
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