बुन्देलखण्ड की गंगा कही जाने बाली बेतवा नदी पर लगातार दो दशक से भी अधिक का समय बीत जाने के बाद भी खनन खत्म नहीं हुआ है, जो काफी समय पहले हो जाना चाहिए था। देश के दूर दराज से आए माफियाओं ने स्थानीय प्रशासन से हाथ मिलाया और बेतवा नदी का सीना चीरने में लग गए। सरकारें किसी की भी रही हो, लेकिन बेतवा का आंचल बराबर नीलाम होता रहा है।
आज नतीजा यह है कि माफियाओं के हौंसले इतने बुलन्द है कि वह बेतवा नदी के सेतु के करीब ही खनन करने में लग गए और पूरा प्रशासन दूर खड़ा तमाशा देख रहा है। आज तक माफियाओं पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई, जिससे उनके द्वारा लगातार खनन किया जाता रहा है और वर्तमान समय में भी किया जा रहा है। इतना ही नहीं खनन के कारोबार में कई लोग देश के दूर दराज के इलाकों से आए और रातों रात धन कुबेर बन कर चले गए।
स्थानीय लोगों की माने तो लोगों का कहना है की यदि पुल के करीब चल रहे खनन को रोका नहीं गया तो पुल को नुकसान होने से कोई नहीं बचा सकता, क्योंकि बड़ी-बड़ी मशीनों से कई फीट की गहराई से बालू को उठाया जा रहा है। जब नदी में उफान आता है तो जो बालू पुल के नीचे बने पिलर के पास होती है बो बालू पिलर के नीचे से हटकर इन गढ्ढों में चली जाती है, जिससे पुल के पोलों का क्षतिग्रस्त होना स्वाभाविक हो जाता है।
इसके पहले एक बार पुल क्षतिग्रस्त हो चुका था, जिसके एक माह बाद तक यातायत प्रभावित रहा था। अगर इसी तरह पुल के आस पास खनन होता रहा, तो करोड़ों की लागत से बना पुल कभी भी धराशाई हो सकता है। इस संबंध में जब जिला खनिज अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पुल के आसपास खनन करने पर रोक है, मशीनों से तीन मीटर से ज्यादा खुदाई नहीं की जा सकती है।
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