नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने झांसी शहर में स्थित लक्ष्मी तालाब को अवैध कब्जे से बचाने में अधिकारियों के असफल रहने का आरोप लगाने वाली अर्जी पर संज्ञान लेते हुए इस मामले में दो महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक समिति गठित की है। जिसमें उत्तर प्रदेश के शहरी विकास मंत्रालय के प्रमुख सचिव, झांसी विकास प्राधिकरण और झांसी के जिलाधिकारी शामिल होंगे।
NGT में मामले की अगली सुनवाई 25 अक्टूबर तय की है,
याचिकाकर्ता गिरिजा शंकर राय और अन्य द्वारा झांसी में लक्ष्मी ताल को अतिक्रमणों से बचाने में अधिकारियों की ढुलमुल रवैये के खिलाफ दायर याचिका पर NGT सुनवाई कर रहा था। पीठ ने कहा कि प्रमुख सचिव शहरी विकास समन्वय और क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी होंगे। स्थानीय सदस्यों के साथ मिलकर जिलाधिकारी जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण करेंगे और ठोस कार्रवाई के लिए शहरी विकास सचिव को रिपोर्ट सौंपेंगे। उसने कहा, इस संबंध में स्थिति की रिपोर्ट दो महीने के भीतर ई-मेल के जरिए भेजी जा सकती है।
अतिक्रमण और कचरा निस्तारण का पूरा ब्यौरा दें अधिकारी
एनजीटी ने कहा कि रिपोर्ट में जिला पर्यावरण योजनाओं की तैयारी और क्रियान्वयन की स्थिति, जारी किए गए नोटिस की पूरी जानकारी के साथ जल निकायों की सुरक्षा के आदि की पूरी रिपोर्ट मांगी है। NGT ने झांसी ताल की सीमाओं का सीमांकन, पानी की गुणवत्ता, सीवेज और ठोस और अन्य कचरे को ताल में और इसके जलग्रहण क्षेत्र में निर्वहन और निपटान की रोकथाम, अतिक्रमण हटाने और जागरूकता फैलाने के लिए समय सीमा के भीतर कार्ययोजना का पूरा ब्यौरा मांगा है।
लक्ष्मी तालाब की 8 एकड़ जमीन मौके से गायब
लक्ष्मी ताल ऐतिहासिक धरोहर के साथ-साथ यह शहर से सटा पानी का बड़ा स्रोत भी है। लेकिन, अनदेखी के चलते मौजूदा वक्त में ताल बर्बादी की कगार पर है। प्राचीन धरोहर गंदगी की चपेट में है, जिससे इसका पानी भी इस्तेमाल में लेने लायक नहीं है। इतना ही नहीं, तालाब की जमीन पर भू माफिया की नजर है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि भू राजस्व अभिलेखों में ताल का रकबा लगभग 80 एकड़ है, लेकिन मौके पर जमीन सिर्फ 72 एकड़ ही बची है। बाकी जमीन का पता लगाने के लिए राजस्व विभाग कई बार पैमाइश कर चुका है, लेकिन अब तक इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। जानकारों का कहना है कि ताल की जमीन पर कब्जा हो चुका है। जमीन के अवैध कारोबारियों ने तालाब के साथ-साथ पहाड़ों की जमीन को भी नहीं छोड़ा है। कई पहाड़ियों को काटकर सपाट मैदान बना दिया है। प्लॉटों की खरीद-फरोख्त कर निर्माण तक कर लिए गए हैं।
तालाब के सुंदरीकरण के लिए प्लान तैयार
लक्ष्मी तालाब सड़क के दूसरी ओर नारायण बाग की तरफ डडियापुरा में ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया है। लक्ष्मी ताल में गिरने वाले आसपास के 7 नालों के गंदे पानी को सीधे प्लांट में ले जाकर रोजाना 26 एमएलडी पानी का शुद्धीकरण होगा। इसमें से 22 एमएलडी पानी 10 बायोकेमिकल ऑक्सीजन तक शुद्ध किया जाएगा। यहां से पानी को नारायण बाग से होकर जाने वाले नाले से पहुज नदी में छोड़ा जाएगा। जबकि, बाकी 4 एमएलडी पानी का और अधिक शुद्धीकरण करके 4 बीओडी नहाने लायक किया जाएगा और यह पानी लक्ष्मी तालाब में छोड़ा जाएगा। तालाब भरा रहने से आसपास का भूजल स्तर भी रिचार्ज होगा और गंदगी साफ हो जाने से बदबू भी नहीं आएगी।
नालों का पानी सीधे तालाब में गिरने से रोका जाएगा
प्लांट अगले 15 साल यानी कि 2035 तक के लिए तैयार किया गया है, ताकि पानी की खपत बढ़ने के बाद नालियों में आने वाले पानी को फिल्टर किया जा सके। इसके अलावा ताल के इर्द गिर्द आकर्षक लाइट लगाई जाएंगी, किनारों पर पाथ वे और बेंच लगाई जाएंगी। तालाब के बीच फव्वारा भी लगाया जाएगा। इसके अलावा शहर के नालों का गंदा पानी तालाब में पहुंचने से रोका जाएगा। नालों का डायवर्जन होगा। यह काम शुरू भी हो गया है। जबकि, पानी की सफाई के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया जाएगा। इसका भी निर्माण जारी है।
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