कोरोना की तीसरी लहर को लेकर IIT कानपुर के प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल ने अब एक नया दावा किया है। उन्होंने बताया कि संक्रमण की तीसरी लहर अक्टूबर के अंत या नवंबर के शुरुआती हफ्ते में आ सकती है। इसमें वैक्सीन न लगवाने वाले 37% लोगों को खतरा ज्यादा है। प्रो. अग्रवाल के मुताबिक, वैक्सीनेशन करा चुके 9% ऐसे भी लोग हैं जो एंटीबॉडी खो चुके हैं या खो रहे हैं। ऐसे में इन्हें भी संक्रमण का खतरा ज्यादा है। संक्रमण से ठीक होने के 90 दिन के अंदर जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई है उन्हें भी कोरोना का ज्यादा खतरा है।
कोरोना के वेरिएंट पर भी निर्भर होगी तीसरी लहर
प्रो. अग्रवाल के मुताबिक, अगर डेल्टा से मजबूत या उसी की तरह कोई नया म्यूटेंट आता है तो अक्टूबर या नवंबर में तीसरी लहर का आना संभव है। इस दौरान देश में हर रोज एक लाख लोग संक्रमित पाए जा सकते हैं। हालांकि दूसरी लहर के मुकाबले इसका असर कम होगा। अगर म्यूटेंट कमजोर रहा तो 40 हजार लोग ही हर रोज संक्रमित मिलेंगे।
तीसरी लहर आने के तीन कारण?
1. हर महीने लोग एंटीबॉडी खो रहे हैं, ऐसे में उन पर भी कोरोना का खतरा बढ़ने लगा है।
2. लोग बगैर मास्क के घूम रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग नजरअंदाज कर रहे हैं।
3. संक्रमण की तीसरी लहर अगस्त में ही आनी थी, लेकिन वैक्सीनेशन की रफ्तार ने इसे आगे बढ़ा दिया।
कैसे तैयार की रिपोर्ट?
प्रो. अग्रवाल ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार की ओर से जारी किए जा रहे कोरोना संक्रमितों के आंकड़े और सीरो सर्वे की रिपोर्ट की मदद से तैयार की है। इसे बनाने में गणितीय मॉडल सूत्र का प्रयोग किया गया। इसी आधार पर प्रो. अग्रवाल ने कोरोना संक्रमण को लेकर सोमवार को अपनी नई स्टडी जारी की।
प्रो. अग्रवाल ने कहा, केरल में कोविड के मामलों में भारी वृद्धि तीसरी कोविड लहर का संकेत नहीं था। उसका सबसे बड़ा कारण वहां पर लॉकडाउन में जो बंदिशे लगानी चाहिए थी, वो नहीं लगाई गई। केरल में जून में लगभग 45% लोग सीरो सर्वे में पॉजिटिव पाए गए। पूरे देश में यह औसत 67% था।
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