शासन स्तर से 10 फर्मो को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। यह सभी फर्म में एक ही व्यक्ति के द्वारा संचालित की जा रही थी। पिछले वर्षों की गई शिकायत के बाद एसटीएफ को जाँच सौपी गयी थी। एसटीएफ की जाँच में पाया गया कि सभी फर्मो द्वारा प्रदेश भर में किए गए कार्यों में मानकों को दरकिनार किया गया है। STF की रिपोर्ट के बाद शासन ने पूरे मामले को संज्ञान में लिया और सभी फर्मों को ब्लैक लिस्टेड करते हुये प्रदेश सरकार के 8 विभागों को पत्र लिखकर सूचना दी है कि यह सभी फर्में काली सूची में डाली गई है। इसमे से एक फर्म ने GSVM में फार्मेसी के भवन में जीर्णोद्धारका कराया था, जिसमे मानकों के विपरीत कार्य पाया गया है।
GSVM के फार्मेसी भवन के जीर्णोद्धार के नाम पर 2.70 करोड़ के घोटाले का आरोप...
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के फार्मेसी विभाग में नियम विरुद्ध टेंडर हासिल करने वाली फर्म को घटिया निर्माण करने पर ब्लैक लिस्ट कर दिया है। भवन के जीर्णोद्धार के नाम पर धनराशि की बंदरबांट किये जाने के आरोप पर शिकायत की गयी थी। कई करोड़ के काम होने के बाद भी वजह आज तक भवन बेकार पड़ा हुआ है। फार्मेसी विभाग ने उसे लेने से हाथ खड़े कर दिए हैं। तत्कालीन महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. बीएन त्रिपाठी ने महेश चंद्र श्रीवास्तव की फर्म को फार्मेसी विभाग के भवन के जीर्णोद्धार के लिए 2.70 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। कालेज आफ नर्सिंग परिसर स्थित डिप्लोमा फार्मेसी स्कूल की बिल्डिंग के जीर्णोद्धार के नाम पर धनराशि हजम कर ली गई। आज भी बिल्डिंग जर्जर हालत में पड़ी है।
शिकायत पर STF टीम ने की है जांच...
जब इस पुरे मामले की शिकायत शासन से की थी। तब इस प्रकरण की जाँच स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) से कराने की मांग की गयी थी। मुख्यमंत्री ने एसटीएफ को जांच सौंपते हुए कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए थे। एसटीएफ ने कानपुर मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन डॉ. आरबी कमल के साथ जाकर डिप्लोमा फार्मेसी स्कूल छात्रावास पर छापा मारा था। घटिया निर्माण को पकड़ा। स्लेब के कार्य मे मानकों को दरकिनार किया गया था। घटिया प्लाईवुड का इस्तेमाल किया गया था। सीमेंट भी मानकों के हिसाब इस्तेमाल नही की गयी थी। टाइल्स और बिजली के उपकरण भी घटिया क्वालिटी के मिले थे। निर्माण सामग्री भी गैरस्तरीय इस्तेमाल की गई थी।
STF ने रिपोर्ट में सभी 10 फर्मो के काम को बताया मानकों के खिलाफ़...
एसटीएफ की रिपोर्ट के आधार पर शासन ने फर्म को ब्लैक लिस्टेड करने की संस्तुति के साथ मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके आधार पर शासन ने महेश चंद श्रीवास्तव की सभी 10 फर्मों को 6 सितंबर 2021 को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। फर्म के ब्लैक लिस्ट होने के बाद कंपनी को कार्य देने वाले एक शीर्ष अधिकारी और मेडिकल कॉलेज की एक विभागाध्यक्ष पर भी गाज गिर सकती है। बताया जा रहा है कि इस महिला विभागाध्यक्ष का भाई दिल्ली में एक बड़े पोस्ट पर है, जिसकी बजह से कोई किसी तरह कार्यवाही की हिम्मत नही जुटा पा रहा है। इस वजह से अधिकारी दबाव में हैं। चर्चा यह भी है कि भ्रष्टाचार पर तत्कालीन मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य ने 2 फरवरी 2019 को पत्र लिखकर तत्कालीन जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत को गुमराह करने का कार्य किया था।
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