कानपुर चिड़ियाघर की टॉय ट्रेन हादसे में टीचर अंजू की मौत के बाद जांच शुरू हुई तो लापरवाही की परतें उधड़नी शुरू हो गई हैं। मानकों को दरकिनार करते हुए चिड़ियाघर में टॉय ट्रेन दौड़ाई जा रही थी। पता चला है कि ट्रेन में जुगाड़ का इंजन लगा था। ड्राइवर भी अनट्रेंड था।
बस के इंजन में CNG फिट कर दौड़ा रहे थे ट्रेन
चिड़ियाघर प्रशासन हादसे के बाद मामले को दबाने में लगा है। निदेशक केके सिंह मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। टॉय ट्रेन संचालन से जुड़े लोगों से बात की गई, तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि टॉय ट्रेन जुगाड़ से बनाई गई है।
ई-टॉय ट्रेन सक्सेस नहीं हो रही थी तो बस के इंजन को ट्रेन में लगाया गया है। बाद में इसमें CNG फिट कर इसे दौड़ा रहे थे। मानक के मुताबिक, भले ही ट्रेन महज 20 किमी/ प्रति घंटा की रफ्तार से चला सकते हैं, लेकिन CNG इंजन होने के बाद इसे तेजी से दौड़ाया जा रहा था।
निजी कंपनी ने टॉय ट्रेन में गार्ड तक नहीं रखा
इतना ही नहीं चिड़ियाघर ने ट्रेन संचालन के लिए एक निजी कंपनी को ठेका दिया गया है। मानक के मुताबिक, ट्रेन में एक गार्ड भी होना चाहिए। जब वो पीछे से हरी झंडी दिखाए तब ट्रेन को आगे बढ़ाना चाहिए, लेकिन मौजूदा समय टॉय ट्रेन में कोई गार्ड नहीं है। इसी के चलते मृतक शिक्षिका की बेटी और परिवार के लोग ट्रेन रोकने के लिए चिल्लाते रहे और ट्रेन झटके से आगे बढ़ गई और महिला की जान चली गई।
ट्रेन चलाने वाले को अनुभव तक नहीं
ट्रेन ड्राइवर करन की शिक्षा क्या है? क्या उसे कोई ट्रेन चलाने का अनुभव है? ट्रेन ड्राइविंग के क्या मानक होने चाहिए? जिस कंपनी को ट्रेन संचालन का ठेका दिया है उसका अनुभव क्या है? एक-दो नहीं ऐसे सैकड़ों सवाल हैं। जो मृतक के परिवार के लोगों से लेकर शहर के एक-एक लोगों के मन में उमड़ रहा है, लेकिन इसका जवाब किसी के पास नहीं है। निदेशक केके सिंह, रेंजर दिलीप गुप्ता समेत सभी लोग ट्रेन हादसे के बाद से चुप्पी साधे हैं। एक कर्मचारी ने बताया कि करन को अच्छे से ट्रेन चलानी भी नहीं आती।
CCTV कैमरे खराब
ट्रेन हादसा कैसे हुआ, किसकी लापरवाही रही? यह जानने के लिए निदेशक समेत अन्य अफसर टॉय ट्रेन स्टेशन पर पहुंचे तो CCTV खराब मिला। टॉय ट्रेन के स्टेशन का एक भी CCTV कैमरा नहीं चल रहा है। अगर CCTV कैमरा चल रहा होता तो हादसे की वजह सबके सामने आ जाती, लेकिन अब जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। हादसे का शिकार हुए परिवार के लोगों ने बताया कि प्लेटफॉर्म पर मानकों को ताक पर रखकर पिलर लगाए गए हैं। इसी से टकराने के बाद मौत हुई है।
करोड़ों का खर्च और हादसे पर हादसे
कानपुर की टॉय ट्रेन का यह कोई पहला हादसा नहीं है। 2014 में टॉय ट्रेन संचालन शुरू होने के बाद से एक के बाद एक हादसे होते जा रहे थे, लेकिन महिला की मौत के बाद बेपरवाह अफसरों की नींद टूटी है। अनट्रेंड ड्राइवर ने जनवरी 2016 में ट्रेन पलटा दी थी। तब भी इसमें बैठीं कई सवारियां घायल हो गईं थी। इसके बाद लगातार हादसे होते रहे थे।
पुलिस के साथ जू प्रशासन कर रहा जांच
इस पूरे मामले पर जू निदेशक केके सिंह ने कहा कि जब शिक्षिका अंजू ने चलती ट्रेन में चढ़ने का प्रयास किया तो ट्रेन प्लेटफॉर्म से चल चुकी थी। महज दो से तीन मीटर ही ट्रेन चली। लोहे के पहिए होने के चलते वह नीचे दब गईं और बुरी तरह घायल हो गईं। जब टॉय ट्रेन चलती है तो बच्चे बहुत तेज आवाज करते हैं। इस वजह से ड्राइवर को सुनाई नहीं पड़ा। ट्रेन का संचालन राज कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया है।
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