चंद्र शेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय (सीएसए) में युवा संसद में बढ़ती जनसंख्या और पर्यावरण सरंक्षण पर चर्चा हुई। युवा संसद में इस बात पर सभी सहमति दिखे कि उक्त दोनों ही विषय पाठयक्रम में शामिल कर युवाओ को जागरूक किया जा सकता है। दो दिन चली युवा संसद की बहस से दो निष्कर्ष निकल के सामने आए पहला पापुलेशन पॉलिसी जनसंख्या के नियंत्रण की अवधि को कम कर देगी और साथ में जरूरत है सरकार को ऐसे नीतियां निकालने की जिससे हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर पर ज्यादा ध्यान दिया जायेगा। दूसरा निष्कर्ष यह निकला कि स्वदेशी ज्ञान के साथ-साथ वैज्ञानिक ज्ञान भी जरूरी है पर्यावरण संरक्षण के लिए ।
दो दिन की युवा संसद का हुआ समापन
CSA की पर्यावरण सुरक्षा समिति द्वारा दो दिवसीय युवा संसद कार्यक्रम का आज समापन हुआ। कार्यक्रम आयोजक डॉक्टर वाई के सिंह ने बताया कि इस युवा संसद कार्यक्रम में युवाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। पहले दिन युवाओं ने भारत में वर्तमान जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बहस की और दूसरे दिन युवाओं ने पर्यावरण संरक्षण में स्वदेशी ज्ञान का उपयोग को लेकर बहस हुयी। दोनों ही दिन डॉ वाई के सिंह ,शशांक शुक्ला और तुषारिका शर्मा जज के रूप में मौजूद रहे। पहले दिन प्रतिभागियों का मनोबल बढ़ाने के लिए स्पेशल गेस्ट के रुप में मुदिता मिश्रा मौजूद रही। जो राष्ट्रीय युवा संसद 2021 में विजय हासिल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी है।
प्रतिभागी स्टूडेंट्स को दिये गये प्रमाणपत्र
युवा संसद में भाग लेने वाले प्रतिभागिओं को CSA द्वारा सहभागिता प्रमाण पत्र सौपे गये। पहले दिन हुई बहस में सुकृति श्रीवास्तव , तनु उपाध्याय और अमरीश सिंह विजेता रहे, जबकि दूसरे दिन के बहस में देबारती र्चक्रवर्ती , मुकुल कुमार , कोशिका छाबड़ा विजेता रहे। युवा संसद में विजेताओं को सम्मनित किया गया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में दीप्ति नारायण (केंपस एम्बेसडर ऑफ पर्यावरण संरक्षण गतिविधि ) और कोर टीम सदस्य कीर्ति शुक्ला, सुष्मित वर्मा ,अनुष्का मेहरोत्रा ,शिवानी सिंह का भी योगदान रहा। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डीआर सिंह ने युवाओं को पर्यावरण गतिविधियों में बढ़-चढ़कर भाग लेने को अच्छा संकेत बताया।निदेशक शोध डॉ एच जी प्रकाश ने कहा कि युवा पर्यावरण संरक्षण में विष पटल पर नाम रोशन करेगे।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.