लाल इमली कर्मियों ने कपड़ा मंत्रालय को चेतावनी दी है कि अगर उनके वेतन-पेंशन का भुगतान नहीं हुआ तो वे मेट्रो का काम नहीं होंने होने। लाल इमली की जमीन पर जहां मेट्रो का काम होगा, कर्मचारी विरोध जताते हुए वहा लेट जाएंगे। उनकी लाशों के ऊपर से ही गुजरकर मशीनें मेट्रो का काम कर सकेंगी। उनका कहना है कि भुगतान न होने की वजह से कर्मचारियों के परिवार भुखमरी की कमार पर हैं।
मंत्रालय से मिला आश्वासन
हाल ही में लाल इमली कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजय सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जाकर चेयरमैन गौरव कुमार, निदेशक फाइनेंस और प्रशासन से मिला था। बता दें कि गौरव कुमार इस वक्त कपड़ा मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार भी हैं। उनके समक्ष कर्मचारियों ने अपनी वेतन, बीआरएस और बकाया पेंशन दिलाने की मांग रखी थी। इस संबंध में उन्हें मंत्रालय से आश्वसन मिला है कि एक हफ्ते में उनकी सभी मांगों पर विचार कर पूरा किए जाने के प्रयास होंगे। प्रतिनिधिमंडल में महामंत्री राशिद अली, विधि सलाहाकार सुरेश कुमार श्रीवास्तव सहित अन्य भी मौजूद रहे।
मिल की जमीन पर ठप होगा मेट्रो का काम
कपड़ा मंत्रालय के अफसरों से बातचीत के दौरान कर्मचारियों को एक हफ्ते में समस्याओं के निस्तारण का आश्वासन मिला है। साथ ही तय हुआ है कि मेट्रो परियोजना के तहत लाल इमली की जिस जमीन का अधिग्रहण होगा, उसका मुआवजा कर्मचारियों को दिया जाएगा। कर्मचारी नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे लाल इमली की जमीन पर मेट्रो का काम ठप कर देंगे। मशीनों के आगे लेट जाएंगे और उनके ऊपर से ही गुजर कर मशीनें ले जान होंगी। मेट्रो का काम उनकी लाशों के ऊपर से ही गुजर कर पूरा हो सकेगा।
ये हैं कर्मचारियों की मांगें
पिछले 37 महीने से लाल इमली कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। इसके अलावा पांच साल का बोनस भुगतान भी बकया है। 2017 से रिटायर्ड हुए कर्मचारियों और मृतक आश्रित परिवारों का बकाया भुगतान भी नहीं किया गया है। 2013 से अवकाश नकदीकरण लंबित है और बिना कारण बताए कर्मचारियों की छुट्टियां निरस्त कर दी गई हैं। इसके साथ ही बिना वेतन वितरण और गे्रज्युटी का भुगतान किए बिना कर्मचरियों से दंड के रूप में श्रेणी के अनुसार डैमेज चार्ज काटा जा रहा है।
परिवार भुखमरी की कगार पर
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि लगातार उनका उत्पीडऩ किया जा रहा है। मांगों के न माने जाने से कर्मचारियों के परिवार भुखमरी की कगार पर हैं। उन्हें परिवार का भरण-पोषण करने में परेशानियां उठानी पड़ रही है। इसके अलावा, कर्मचारियों के बच्चों का भविष्य भी अंधकार में है क्योंकि आमदनी न होने से उनकी पढ़ाई चौपट हो रही है। इसके बावजूद सरकार और प्रशासन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रहा है। इस कारण कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
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