शहर में जीका वायरस के मामलों की संख्या 118 हो गई है। दिन पर दिन जीका का प्रकोप शहर में बढ़ता जा रहा है। प्रशासन और शासन की तरफ से जो तेजी दिखनी चाहिए वह दिख नहीं रही है। 23 अक्टूबर को शहर में पहला केस सामने आया था। इसके बाद से ही प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग और दिल्ली से आयी टीम के डॉक्टर और अन्य टीमें इसका सोर्स पता लगाने में लगी हुई है। लेकिन 16 दिन बीतने के बाद भी इसके सोर्स का अब तक कुछ पता नहीं चल सका है। प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और दिल्ली से आयी टीम का मुख्य केंद्र सिर्फ चकेरी एरिया बना हुआ है, बल्कि कानपुर 80 किमी. के दायरे में फैला हुआ है। जब जीका कानपुर से कन्नौज पहुंच सकता है तो क्या शहर के अन्य हिस्सों में इसका खतरा नहीं हो सकता। प्रशासन का पूरा धयान चकेरी एरिया में ही है, शहर के अन्य हिस्सों ने तो फोगिंग हो रही है और नाही दवा का छिड़काव।
कानपुर से कन्नौज तक पहुंच चूका है जीका, लेकिन नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग सुस्त...
कानपुर में जीका वायरस के पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद शनिवार को इस बीमारी ने कन्नौज में भी पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। लेकिन इसके बाद भी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का फोकस सिर्फ चकेरी क्षेत्र ही बना हुआ है। शहर के किसी भी अन्य क्षेत्र में ना तो फॉगिंग हो रही है और नाही दवा का छिड़काव। कानपुर जिला 80 किमी के दायरे में फैला है। लेकिन प्रशासन के लिए हॉटस्पॉट सिर्फ चकेरी बना हुआ है। सीएमओ डॉ नेपाल सिंह से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि यह काम नगर निगम का है मेरे विभाग से उन्हें ऑर्डर जारी कर सूचना भी दे दी गई थी। अगर वह लोग नहीं कर रहे है तो मैं सख्त कार्यवाही करुगा।
शहर में जहां डेंगू से हुई मौतें वहां हफ्ते में एक बार फॉगिंग...
कल्याणपुर ब्लॉक के कुरसौली गांव में डेंगू से सबसे ज्यादा 17 मौतों हुई थी। लेकिन इस गांव में हफ्ते में सिर्फ एक ही बार फोगिंग और दवा का छिड़काव कराया जा रहा है। चकेरी क्षेत्र के अगल बगल भी कई ग्रामीण इलाके है जहां ना तो प्रशासन जा रहा और नाही स्वास्थ्य विभाग। एयरपोर्ट के करीब बने पटेल नगर, विमान नगर, मवईया गांव, टटियाँ झनाका की तरफ प्रशासन का ध्यान नहीं है।
जीका के कानपुर पहुंचने पर स्वास्थ्य विभाग का अनुमान...
शहर में 118 मरीज मिलने के बाद भी इसके सोर्स का पता नहीं लगाया जा सका है। कानपुर जोन के अपर निदेशक (स्वास्थ्य) डॉ जीके मिश्रा का कहना है जो अनुमान लगाए जा रहे है उस हिसाब से यह वायरस किसी दूसरे प्रदेश से ही आया है। जिस मरीज में इसकी सबसे पहले पुष्टि हुई थी वह एयरफोर्स कर्मी है। उसके घर के 300 मीटर के दायरे में किसी भी व्यक्ति की ट्रेवल हिस्ट्री नहीं पाई गई है। जहां वास् एयरफोर्स कर्मी का ऑफिस है वह चकेरी एयरपोर्ट के काफी नजदीक है माना जा रहा है कि एयरफोर्स के ही किसी विमान से गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र या केरल से संक्रमित व्यक्ति या मच्छर लगेज केबिन या यात्रियों के केबिन से कानपुर पहुंच गया हो। इसके बाद शहर में संक्रमण की चेन बढ़नी शुरू हुई हो।
फॉगिंग और दवा के छिड़काव से रोका जा सकता है जीका को...
आईआईटी कानपुर के वायरस एक्सपर्ट डॉ दिब्येंदु दास का कहना है कि वायरस जिस प्रकृति में है वह उसी हिसाब से अपना रूप बदल लेता है। शहर में मिल रहे है जीका के पॉजिटिव केस भी इसी का कारण हो सकते है। इसे आसानी से फॉगिंग और दवा के छिड़काव से रोका जा सकता है। जीका के संक्रमित मच्छर दिन और शाम के शुरुआती घंटों में ज्यादा एक्टिव रहते है। अगर उस समय फोगिंग की जाए तो इस वायरस को बढ़ने से रोका जा सकता है।
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