शहर में चल रहे एक इंटरनेशनल कॉल सेंटर से करोड़ों की ठगी का मामला सामने आया है। कानपुर की क्राइम ब्रांच और काकादेव थाना पुलिस ने संयुक्त रूप से कार्रवाई कर गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने ऐसे चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो की पहले इंटरनेशनल कॉल सेंटर में काम कर चुके है। पिछले साल कोरोना काल के बाद आयी मंदी में इन चारों ने अपना कॉल सेंटर शुरू किया था। बीते एक साल में कई अमेरिकी लोगों से 10 हज़ार डॉलर से ज्यादा की ठगी कर चुके है। इन सबसे में सबसे खास बात यह है कि यह कॉल सेण्टर भाजपा सांसद के भाई के घर में चल रहा था।
चारों लोग टेक्निकल एक्सपर्ट है...
पुलिस के शिकंजे में फंसे हथकड़ी में जकड़े यह चारों टेक्निकल एक्सपर्ट है और कानपुर में बैठकर अमेरिकी नागरिकों को ऑनलाइन सपोर्ट देने के नाम पर डॉलर्स में ठगी करते थे। सरगना समेत गिरफ्तार ये चारों ने अपनी टीम के साथ बीते एक साल में अमेरिकियों से 10 हज़ार डॉलर से ज्यादा की ठगी की है। इन चारों की पिछले साल कोरोना काल में नौकरी चली गई थी जिसके बाद सरगना मोहिन्द्रा शर्मा जोकि पेशे से इंजीनियर है, ने कॉल सेंटर खोलने का प्लान बनाया। क्राइम ब्रांच ने नोएडा सेक्टर 25 मोहिन्द्रा शर्मा के अलावा संजीव कुमार गुप्ता, जिकुरल्ला और सूरज सुमन को अरेस्ट किया है।
लोगों को लुभाने के लिए तरह तरह के विज्ञापन भेजते थे...
कानपुर क्राइम ब्रांच के डीसीपी सलमान ताज पाटिल ने बताया कि, इस कॉल सेंटर के काम करने का तरीका औरों से अलग था। इनकी पूरी टीम अमेरिका के लोगों के कंप्यूटर पर लुभावने विज्ञापन भेजते थे जैसे जैसे 10 दिन में मोटापा घटाएं, पेट कम करें, घुटनों को मजबूत करें, लंबाई बढ़ाए, झड़ने वाले बालों को रोके आदि को जैसे ही अमेरिका में बैठा कोई व्यक्ति क्लिक करता था। वैसे ही मालवेयर जो कि एक प्रकार का वायरस होता था उसके सिस्टम में आ जाता था।
बार-बार आता था पॉप-अप मैसेज...
एक बार मालवेयर सिस्टम में जाने के बाद बार-बार पाप अप मैसेज स्क्रीन पर आता था। इसके साथ ही एक हेल्पलाइन नंबर जो कि इस कॉल सेंटर का होता था वह भी ब्लिंक करने लगता था। लोग टेक सपोर्ट के लिए जब इस पर फोन करते थे तो वह कुछ ऐप डाउनलोड करने के लिए कहते थे। जैसे ही लोग कालर की बातों में आकर ऐप डाउनलोड करते थे वैसे ही उनका सारा डेटा यह हैक कर लेते थे।
सर्विस के नाम पर बेचते थे प्लान...
मालवेयर हटाने और सर्विस देने के नाम पर कॉल सेंटर द्वारा प्लान बेंचा जाता था। यह प्लान छह माह और साल भर का होता था। जब कभी सर्विस सही नहीं मिलती थी तो पैसा वापस करने के नाम पर लोगों को ठगने का खेल शुरू होता था। कॉल सेंटर पर आने वाली विदेशी काल को भी साफ्टवेयर से अलग अलग समय पर अलग अलग लोगों को ट्रांसफर कर दिया जाता था।
ले लेते थे रिमोट एक्सेस...
डाटा हैक करने के बाद वह उनके अकाउंट आदि की डिटेल के एचटीएमएल में जाकर कोडिंग चेंज कर देते थे। इसके बाद सर्विस देने के नाम पर फीस लेते थे। खेल इसके बाद शुरू होता था। लोगों के एकाउंट में जमा रकम को कई गुना बढ़ाकर दिखाते और फिर पैसे वापस करने के नाम पर बड़ा अमाउंट उनके अकाउंट में डाल देते, जो कि बस कोडिंग चेंज होने के कारण दिखता था। असलियत में एक रुपया भी नहीं जाता था।
वापस मांगते थे ज्यादा पैसा...
जैसे किसी को एक हजार डॉलर वापस करने होते थे वह उसको दस हजार का मैसेज भेजते थे। जब सर्विस लेने वाला व्यक्ति देखता तो उसे वाकई में दस हजार डॉलर शो करता था। इसके बाद वह मानवता के नाते कॉल सेंटर को नौ हजार डालर वापस कर देता था। इस प्रकार अब तक कॉल सेंटर द्वारा अमेरिका के 12 हजार लोगों को ठगा जा चुका है, जिससे नौ लाख डॉलर के ट्रांजेक्शन की बैंक स्टेटमेंट से डिटेल मिल चुकी है।
27 हार्ड डिस्क कई बैंकों के कार्ड और कई पासपोर्ट बरामद...
क्राइम ब्रांच और काकादेव पुलिस ने इस कॉल सेंटर के ठग गिरोह से 27 हार्ड डिस्क , अलग अलग बैंकों के 16 एटीएम कार्ड्स , अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक का डेबिट कार्ड और कई पासपोर्ट बरामद किए।
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