हैलट अस्पताल में ओपीडी के समय अब मेडिकल रिप्रजेंटेटिव्स यानी एमआर नहीं दिखाई देंगे। यह आदेश चार दिन पहले हैलट कैंपस के नोडल अधिकारी डॉ गणेश ने दिए थे, उन्होंने अस्पताल के गार्ड्स और कर्मचारियों को भी कहा था कि ओपीडी के समय अगर कोई एमआर कैंपस में दिखाई देता है तो उसे तुरंत कैंपस छोड़ने के लिए कहा जाए अगर वो न माने तो मुझे फोन पर सूचना दें। लेकिन मंगलवार को हैलट के एक कर्मचारी को एमआर को डॉक्टर के कमरे में जाने से रोकना भारी पड़ गया। दरअसल ओपीडी के दौरान 36 नम्बर ऑर्थो कमरे में एमआर बिना किसी से पूछे घुसता चला जा रहा था, जब उसे एक कर्म चारि ने रोका तो कमरे में बैठे जूनियर डॉक्टर ने एचओडी डॉ एके गुप्ता के सामने कर्मचारी को थप्पड़ जड़ दिया। इस घटना के बाद हैलट अस्पताल के कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार करने की धमकी तक दे डाली।
क्या हुआ था
14 मई को हैलट अस्पताल में ओपीडी चलने के दौरान एक अभियान चलाया गया था, जिसमे परिसर में बने ओपीडी ब्लॉक में ओपीडी के समय घूमने वाले एमआर को वहां से जाने और बाद में डॉक्टर से समय लेकर आने की बात कही गयी थी। इस चलाए गए अभियान का लक्ष्य ओपीडी के समय एमआर को रोकना था, इसके लिए सभी जूनियर रेजिडेंट, गार्ड्स और कर्मचारियों को भी बोला गया था। मंगलवार को दोपहर करीब तीन बजे जब एक कर्मचारी ने एक एमआर को रोका तो जूनियर रेजिडेंट ने उसे एचओडी के सामने ही थप्पड़ मार दिया। यह सब ओर्थपेडीक ओपीडी के कमरा नंबर 36 में हुआ। वहां मौजूद एचओडी डॉ एसके गुप्ता भी यह सब देखते रहे। जब उस कर्मचारी ने इस घटना की जानकारी और शिकायत नोडल अधिकारी की और साथ में यह भी कहा की अगर कोई कार्यवाही नहीं होती है तो हम लोग तुरंत कार्य का बहिष्कार करेंगे। कार्य बहिष्कार की सूचना मिलते ही मौके पर उप प्रधानाचार्य डॉ रिचा गिरी पहुंची जिन्होंने दोनों पक्षों में सुलह करवाई और आगे ऐसी घटना न हो इसकी हिदायत डॉ एसके गुप्ता को दी।
इस घटना से कर्मचारियों में रोष
इस घटना के बाद हैलट के कर्मचारियों में काफी रोष देखने को मिल। कई लोगों ने तो यह तक बोल दिया अगर अगली बार ऐसा कुछ हुआ तो हम लोग यह भूल जाएंगे की सीनियर डॉक्टर कौन है और जूनियर।
मरीजों के इलाज में आती है दिक्कतें
आपको बता दें कि हैलट ओपीडी में जब मरीजों की भीड़ लगी होती है तो उस वक्त ये एमआर वहां पहुंचकर डॉक्टरों की विजिट करने लगते है। इससे डॉक्टर्स का टाइम बर्बाद होता है और सभी मरीजों को ठीक से देखा नहीं जाता। इससे दूर-दराज से आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता और कभी-कभार तो कुछ मरीज बिना डॉक्टर के परामर्श के ही बैरंग लौटने को मजबूर होते हैं।
नोडल अधिकारी को मिल रही थी शिकायतें
इस तरह की शिकायतें लगातार नोडल अधिकारी डॉ गणेश शंकर को मिल रही थी। इस पर उन्होंने सख्ती दिखाते हुए ओपीडी टाइम में एमआर के प्रवेश पर बैन लगाने का फैसला लिया। उन्होंने हेल्प डेस्क इंचार्ज सुरेंद्र यादव को इस संबंध में कार्रवाई करने के आदेश दिए। इस पर सुरेंद्र कुमार ने कई बार इन एमआर को समझाया और हिदायत भी दी पर वह नहीं मानेl चेतावनी के बाद भी एमआर का ओपीडी टाइम पर आना जारी रहा।
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