चूल्हा और अलाव दिल्ली में धुंध की वजह:IIT कानपुर की रिसर्च में हुआ खुलासा, असमय होने वाली मौतों में 18 फीसदी प्रदूषण जिम्मेदार

कानपुर3 महीने पहले
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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और धुंध पर आईआईटी कानपुर के रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इंडो गंगा मैदान के घरों में जलने वाले चूल्हे और अलाव दिल्ली में धुंध और प्रदूषण की मुख्य वजह है। असमय होने वाली मौतों में 18 फीसदी लोगों की प्रदूषण की वजह से मौत की बात सामने आई है। नेचर जियोसाइंस जर्नल में पब्लिश एनालिसिस को आईआईटी कानपुर की टीम ने लीड किया।

इंडो-गंगा मैदान के चूल्हे और अलाव धुंध की सबसे बड़ी वजह

दिल्ली प्रदूषण पर हुए रिसर्च को लीड करने वाले आईआईटी कानपुर के प्रो. सच्चिदा नंद त्रिपाठी ने बताया कि ''इंडो-गंगा के मैदान में आवासीय हीटिंग और खाना पकाने के लिए अनियंत्रित बायोमास (लकड़ियां, फसल अवशेष, घास-फूस) जलने से अल्ट्राफाइन कण बनते हैं, जो दुनिया के 5 फीसदी जनसंख्या के स्वास्थ्य और क्षेत्रीय जलवायु को प्रभावित करते हैं। बेतहासा बायोमास जलाने पर अगर नियंत्रण किया जाए तो दिल्ली में रात की धुंध को रोका जा सकता है। इसके साथ ही स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिल सकती है। यह एनालिसिस और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्यों कि भारत में होने वाली कुल वार्षिक अकाल मृत्यु के 18 फीसदी लोगों की मौत की वजह वायु प्रदूषण होती है।

इन संस्थानों के विशेषज्ञ ने किया संयुक्त अध्ययन

नेचर जियोसाइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन का नेतृत्व आईआईटी कानपुर कर रहा है, जिसमें भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) आईआईटी दिल्ली, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पॉल शेरर इंस्टीट्यूट (पीएसआई) स्विट्जरलैंड और हेलसिंकी यूनिवर्सिटी, फिनलैंड ने योगदान दिया है। इस शोध पत्र की सह-लेखिका सुनीति मिश्रा और सह-लेखिक प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी कानपुर हैं।

दिल्ली की धुंध को जानने किया शोध

यह एनालिसिस 2019 के सर्दियों के महीनों के दौरान दिल्ली के लिए डिज़ाइन किया गया था। जहां व्यापक एरोसोल आकार वितरण और गैसों की आणविक संरचना को मापा गया था। इस माप ने रात के समय एरोसोल के स्रोतों और गैसों के स्रोतों के साथ-साथ एरोसोल के विकास की गणना करने में मदद की।

अध्ययन में पाया गया कि दुनिया के अन्य स्थानों की तुलना में विशेष रूप से 100 नैनो मीटर (नैनो कण) से छोटे एयरोसोल की बहुत उच्च विकास दर (दसियों नैनो मीटर प्रति घंटा) प्रतिकूल नए कण निर्माण की स्थिति में पाए गए हैं। जिससे अत्यधिक प्रदूषण की घटनाओं के दौरान कुछ घंटों के अंतराल में धुंध का निर्माण होता है।