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बिकरू कांड... पुलिस के गले की फांस पार्ट-2:फर्जी सिम मामले में नाबालिग खुशी पर धोखाधड़ी का मुकदमा पुलिस के लिए बना आफत, बहस में जवाब नहीं दे पाए थानाध्यक्ष

कानपुर देहात2 वर्ष पहले
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मामले की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में चल रही है। नियत तिथि पर सोमवार को अमर दुबे की पत्नी को न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया गया। - Dainik Bhaskar
मामले की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में चल रही है। नियत तिथि पर सोमवार को अमर दुबे की पत्नी को न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

कानपुर के बिकरू कांड में आरोपित अमर दुबे की पत्नी की सोमवार को किशोर न्याय बोर्ड में पेशी हुई। फर्जी दस्तावेज लगाकर सिम लेने के मामले में बचाव पक्ष ने पत्रावली में एसआईटी रिपोर्ट न होने की दलील दी। आरोपित व विवेचक के बयान दर्ज कर किशोर न्याय बोर्ड ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 23 सितंबर तय है। मामले में आरोपित अमर दुबे की पत्नी पर फर्जी दस्तावेज लगाकर सिम लेने का मुकदमा पुलिस ने दर्ज कराया था।

मामले की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में चल रही है। नियत तिथि पर सोमवार को अमर दुबे की पत्नी को न्यायाधीश के सामने पेश किया गया।

अधिकांश सवालों के जवाब नही दे पाये विवेचक

बचाव पक्ष ने एसआईटी रिपोर्ट के आधार पर मुकदमा दर्ज होने व पत्रावली में एसआईटी रिपोर्ट न होने की दलील दी। वहीं विवेचक कृष्ण मोहन राय से आरोपित के नाबालिग होने के बाद भी बालिग जैसा व्यवहार करने का कारण पूछा, जिस पर वह स्पष्ट उत्तर नहीं दे सके। करीब दो घंटे चली बहस के दौरान बचाव पक्ष की ओर से कई तर्क दिए गए और विवेचक से सवाल किए गए, जिस पर वह अधिकांश प्रश्नों के जवाब नहीं दे सके।

बोर्ड ने बचाव पक्ष व चौबेपुर थाने के विवेचक कृष्ण मोहन राय का बयान दर्ज किया। बचाव पक्ष के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि न्यायालय में विवेचक व आरोपित के बयान दर्ज किए गए हैं और सुनवाई के लिए 23 सितंबर की तिथि नियत की गई है।

खुशी के सवाल पर नजरें नहीं मिला पाये थानाध्यक्ष

खुशी ने जब थानाध्यक्ष कृष्ण मोहन राय से सवाल किया कि आपने तो कहा था कि हमें छोड़ दिया जाएगा। लेकिन मेरी तो जिंदगी ही बर्बाद हो गई। इस पर राय कुछ नही बोल पाए। जिस पर खुशी ने फिर से रोते हुये कहा कि जवाब दीजिए मुझे। इस पर चौबेपुर थानाध्यक्ष कृष्ण मोहन राय नजरें झुका कर बोले, कोर्ट पर भरोसा रखों। तुम्हारे साथ न्याय जरूर होगा। इसके बाद खुशी न्यायालय परिसर में रोने लगी। खुशी से बातचीत के दौरान विवेचक लगातार अपना अपना सिर झुकाए रहे।

फंस सकते हैं विवेचक

बिना किसी पड़ताल के नाबालिग खुशी को जिला जेल भेजने में विवेचक की बड़ी गलती माना जा रहा है। खुशी के अधिवक्ता शिवकांत ने बताया कि कानून में पुलिस की यह बडी गलती है, जो कि पूरी तरह से गैर कानूनी भी है। इस पूरे मामले पर कोर्ट के संज्ञान में लाया जाएगा। इसी तरह फर्जी सिम मामले में भी खुशी पर कोई मामला नहीं बनता है। पुलिस ने बदले की भावना के तहत उसके खिलाफ कार्रवाई की है।

मां के सिम पर पुलिस ने दर्ज किया धोखाधड़ी का केस

अधिवक्ता शिवकांत ने बताया कि पुलिस ने खुशी की मां गायत्री देवी के मोबाइल नंबर पर खुशी को अभियुक्त बना डाला। जबकि खुशी की मां गायत्री तिवारी उस सिम को इस्तेमाल कर रही हैं। खुशी ने उस सिम को कभी इस्तेमाल ही नहीं किया। बिकरू कांड में खुशी पूरी तरह से बेगुनाह है।

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