बुधवार को कानपुर नगर निगम और कानपुर मेट्रो के बीच एक बार विवाद सामने आया। महापौर प्रमिला पांडेय की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में कानपुर मेट्रो ने जमीनों के मुआवजे के बदले 17.71 करोड़ रुपए का इस्टीमेट दिया। इस पर महापौर ने कड़ी नाराजगी जताई। कहा कि मुआवजा राशि 106.19 करोड़ रुपए मांगी गई थी। इतनी कम मुआवजा राशि किसी भी सूरत में मान्य नहीं है।
थर्ड पार्टी जांच के बाद फैसला
महापौर ने कहा कि नगर निगम और कानपुर मेट्रो के अधिकारी दोबारा सर्वे करें। इसके बाद जो रिपोर्ट तैयार होगी, उसकी थर्ड पार्टी जांच कराई जाएगी। इसके बाद ही फैसला लिया जाएगा। बता दें कि कानपुर मेट्रो ने निर्माण के चलते नगर निगम की भूमि, पार्क समेत कई जगहों पर निर्माण किया है। महापौर ने सर्किल रेट के आधार पर 106 करोड़ रुपए का मुआवजा यूपी मेट्रो रेल कार्पोरेशन (यूपीएमआरसी) से मांगा था।
महापौर ने जताई नाराजगी
मीटिंग में मेट्रो अधिकारियों से कई बार नाराजगी जताई। उन्होंने मेट्रो की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मेट्रो बिना सूचना दिए कहीं भी तोड़-फोड़ कर देती है। बेनाझाबर स्थित अपर नगर आयुक्त के बंगले के पास अवैध तरीके से निर्माण शुरू करा दिया गया। तोड़ा गया मलबा अभी तक नहीं हटाया गया है। आईआईटी से मोतीझील के बीच मेट्रो ने जितनी भी स्ट्रीट लाइट और खंभे हटाए गए, उन्हें मेट्रो खुद ही लगाए।
मेट्रो कराएगी काम
मीटिंग में अधिशाषी अभियन्ता (सिविल) मेट्रो एसके अग्निहोत्री ने कहा कि मेट्रो हटाए गए खंभे और स्ट्रीट लाइट का तत्काल लगवाना शुरू करेगा। मीटिंग में अपर नगर आयुक्त अरविंद राय, चीफ इंजीनियर एसके सिंह, जोनल अभियंता यशवीर सिंह, जलकल जीएम नीरज गौड़ मौजूद रहे।
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