कानपुर के जघन्य रेप-हत्याकांड में पुलिस 80 दिन बाद भी जांच पूरी नहीं कर सकी है। जबकि राजस्थान के नागौर में बच्ची से रेप के मामले में पुलिस ने 7 दिन में चार्जशीट और 30 में कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाकर ऐतिहासिक फैसला दिया है। अगर 10 दिन के भीतर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल नहीं की तो आरोपी को जमानत मिलने की पूरी संभावना है। अधिवक्ता का कहना है कि पुलिस आरोपी को फायदा पहुंचाने की नीयत से चार्जशीट रोके हैं। बगैर डीएनए रिपोर्ट के सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की जा सकती है।
पुलिस ने CM की भी नहीं सुनी, रसूखदार को बचाने की कोशिश
रेप के बाद युवती को 10वीं मंजिल से फेंक कर हत्या के मामले का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी संज्ञान लिया था। कानपुर पुलिस कमिश्नर असीम अरुण को लखनऊ तलब किया था। इसके साथ ही मामले में 10 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करने का आदेश और फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रायल कराने का आदेश दिया था। लेकिन मामले में तीन जांच अफसर बदल गए और 80 दिन बीत गए लेकिन चार्जशीट कोर्ट में दाखिल नहीं हो सकी। अगर अब 10 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं हुई तो आरोपी को कोर्ट से जमानत मिलने में आसानी हो जाएगी।
पीड़िता की पैरवी कर रहीं निर्भया कांड में आरोपियों को फांसी की सजा तक पहुंचाने वाली अधिवक्ता सीमा समृद्धि का साफ तौर पर कहना है कि पुलिस आरोपियों को फायदा पहुंचाना चाहती है। इसके चलते अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं की है। अगर 21 दिसंबर 2021 तक मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं हुई तो आरोपी को कोर्ट से जमानत मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
ये था पूरा मामला
कानपुर के कल्याणपुर में गुलमोहर रेजीडेंसी अपार्टमेंट की 10वीं मंजिल पर कारोबारी प्रतीक वैश्य रहता है। प्रतीक 21 सितंबर को 19 वर्षीय अपनी पीए को झांसा देकर काम के बहाने फ्लैट पर लाया था। इसके बाद उसके साथ दुष्कर्म किया और विरोध करने पर उसकी 10वीं मंजिल से फेंककर हत्या कर दी थी। मामले में आरोपी प्रतीक वैश्य के खिलाफ पुलिस ने रेप, हत्या समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज करके जेल भेज दिया था। मुकदमा दर्ज होने के 80 दिन बीत गए और अब तक तीन जांच अफसर बदल गए लेकिन मामले की जांच पूरी नहीं हो सकी है।
आरोपी इतना रसूखदार की 18 दिन में बदल गए थे तीन जांच अफसर
हत्या के इस केस में 18 दिन में तीन बार जांच अफसर बदले गए। पहले तत्कालीन कल्याणपुर थाना प्रभारी वीर सिंह को जांच दी गई। लेकिन उन्होंने आरोपी को घर से गिरफ्तार किया, लेकिन केस को कमजोर करने के लिए उसकी लोकेशन बदल दी। सवाल उठने पर पुलिस कमिश्नर ने एडीसीपी वेस्ट बृजेश श्रीवास्तव और इसके बाद मौजूदा समय में जांच अफसर एडीसीप बसंत लाल हैं।
18 दिन में तीसरे जांच अधिकारी
पुलिस कमिश्नर बोले DNA रिपोर्ट का इंतजार
मामले में कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरुण से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आरोपी की डीएनए रिपोर्ट अभी तक फॉरेंसिक लैब से नहीं मिल सकी है। प्राथमिकता पर जांच रिपोर्ट मिलने के लिए कई बार पत्र भेजा जा चुका है, लेकिन जांच रिपोर्ट अब तक नहीं मिल सकी है। इसके चलते आरोपी की चार्जशीट फाइल नहीं हो सकी है। पुलिस ने अपने हिस्से का काम पूरा कर लिया है।
अधिवक्ता बोलीं... आरोपी को फायदा पहुंचा रही पुलिस
सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता सीमा समृद्धि मामले का केस देख रही हैं। सीमा ने बताया कि पुलिस मामले में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर सकती थी। इसी आधार पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रायल शुरू हो जाता। जब डीएनए रिपोर्ट आती तो उसे बाद में चार्जशीट में शामिल कर दिया जाता। लेकिन पुलिस ने रसूखदार आरोपी को फायदा पहुंचाने की नीयत से मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल नहीं की और हाथ पर हाथ धरे डीएनए रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। इसका पूरा फायदा आरोपी को मिलेगा।
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