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  • The Groundwater Level Of The States Of Punjab And Haryana In North West India Has Fallen To The Lowest Level In The Last 4 Decades, The Groundwater Of Uttar Pradesh And Bihar Is Also Affected.

आईआईटी कानपुर के शोध में खुलासा:उत्तर-पश्चिम भारत के पंजाब और हरियाणा राज्यों का भूजल स्तर पिछले 4 दशकों में सबसे नीचे गिरा, उत्तर प्रदेश और बिहार का भूजल भी प्रभावित...

कानपुर2 वर्ष पहले
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आईआईटी कानपुर फाइल फोटो - Dainik Bhaskar
आईआईटी कानपुर फाइल फोटो

आईआईटी कानपुर ने एक नए शोध किया है जिससे यह पता चला है कि उत्तर-पश्चिम भारत के राज्यों का भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है। इस शोध को आईआईटी कानपुर डिपार्टमेंट ऑफ़ अर्थ साइंसेज ने किया है। इस अध्ययन में न केवल उत्तर पश्चिम भारत बल्कि उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों को कवर कर गंगा के अधिकांश मैदानों के लिए भूजल प्रबंधन के लिए स्थायी रणनीति तैयार करने के लिए ज़रूरी बातें भी बताई है जिससे भूजल के कम होते स्तर को रोका जा सकता है।

प्रो राजीव सिन्हा डिपार्टमेंट ऑफ़ अर्थ साइंसेज, आईआईटी कानपुर
प्रो राजीव सिन्हा डिपार्टमेंट ऑफ़ अर्थ साइंसेज, आईआईटी कानपुर

पंजाब और हरियाणा सबसे ज्यादा प्रभावित...

पंजाब व हरियाणा में धान की फसल ने किसानों को आर्थिक रूप से काफी मजबूत किया है लेकिन इसका प्रभाव भूजल पर पड़ा है। इन दोनों प्रदेशों में भूजल का स्तर पिछले 4 से पांच दशकों में खतरनाक स्तर तक गिर चुका है। यह चौंकाने वाला खुलासा किया है आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. राजीव सिन्हा की शोध रिपोर्ट में किया है। उन्होंने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और केंद्र भूजल बोर्ड के निर्देशन में यह शोध कार्य किया है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द भूजल प्रबंधन ने इसको रोकने के लिए उचित रणनीति तैयार नहीं की तो स्थिति बेकाबू हो सकती है और इन इलाकों में भूजल का भारी संकट हो सकता है।

धान की खेती कई गुना बढ़ी...

आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. राजीव सिन्हा व पीएचडी स्कॉलर्स डॉ. सुनील कुमार जोशी की देखरेख में टीम ने पंजाब व हरियाणा में भूजल स्तर पर अध्ययन किया। प्रो. सिन्हा के मुताबिक हरियाणा में धान की खेती का क्षेत्र वर्ष 1966-67 में 192,000 हेक्टेअर था, जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 1422,000 हेक्टेअर तक पहुंच गया। इसी तरह पंजाब में धान का धान का क्षेत्र वर्ष 1966-67 में 227,000 हेक्टेअर था, जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 3064,000 हेक्टेअर तक पहुंच गया है। इस नतीजा कृषि मांग को पूरा करने के लिए भूजल का तेजी से अवशोषण किया जा रहा है। सबसे अधिक गिरावट कुरुक्षेत्र, पटियाला व फतेहाबाद जिले और पानीपत व करनाल में हुआ है।

पंजाब और हरियाणा अलावा यूपी और भर भी है प्रभावित...

प्रो सिन्हा द्वारा किये गए शोध के मुताबिक यह हश्र सिर्फ पंजाब व हरियाणा में नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश और बिहार के गंगा किनारे वाले जिलों का भी है। प्रो. सिन्हा ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में कहा है कि जहां, खेती अधिक है, वहां भूजल के बजाए सिंचाई के अन्य साधनों का उपयोग बढ़ाया जाए तभी इसको रोका जा सकता है। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका रेन वाटर हार्वेस्टिंग काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इसके अलावा चैनेलाइज्ड सिंचाई प्रणालियों से भी इस क्षेत्रों में भूजल के स्तर को कम होने से रोका जा सकता है।

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