भाजपा जॉइन करने के बाद भी कानपुर पुलिस कमिश्नर असीम अरुण अपने पद पर बने हुए हैं। वे वीआरएस के लिए अप्लाई कर चुके हैं। वीआरएस शासन द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद भी उन्हें पद से नहीं हटाया गया है। यही नहीं वे वर्दी में पुलिस कर्मियों को संदेश भी दे रहे हैं। इसे आचार संहिता का उल्लंघन भी माना जा रहा है। बुधवार को पहले वर्दी में उनका एक वीडियो संदेश सामने आया। इसके बाद उन्होंने अपने साथियों को एक पत्र भी लिखा। इसमें वे अंतरात्मा की आवाज सुनने की बात कह रहे हैं।
भाजपा नेताओं से मिल रहे
आईपीएस अधिकारी न सिर्फ इस दौरान भाजपा नेताओं से मिल रहे हैं। बल्कि पुलिस कर्मियों को बावर्दी संदेश भी जारी कर रहे हैं। इसको लेकर चुनाव आयोग पर भी सवाल उठने लगे हैं। बता दें कि असीम अरुण ने 8 जनवरी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के साथ ही राजनीति में आने के संकेत दिए थे। इसके अगले दिन उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी मुलाकात की थी। इसके बाद भी वे अभी तक अपने पद पर बने हुए हैं।
15 जनवरी से स्वीकृति
बता दें कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को लेकर उन्हें 15 जनवरी तक स्वीकृति दी गई है। इस मामले में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार का कहना है कि पुलिस कमिश्नर पद पर बने हुए हैं, लेकिन इस दौरान वे छुट्टी पर चल रहे हैं। आचार संहिता लागू होने के बाद शासन द्वारा किसी भी अधिकारी को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। इस पर चुनाव आयोग फैसला लेगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय शुक्ला के मुताबिक प्रकरण आयोग के संज्ञान में है। वही इस पर निर्णय लेगा।
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