कानपुर में प्रेयर (प्रार्थना) के दौरान कलमा पढ़वाने वाले फ्लोरेंट्स स्कूल पर केस दर्ज हो गया है। FIR स्कूल में पढ़ने वाले तीन बच्चों के पेरेंट्स ने लिखाई है। आरोप है कि बच्चों में धर्मांतरण का बीज बोया जा रहा है। अब पेरेंट्स की डिमांड है कि इस सेशन की फीस वापस करवाकर स्कूल की सभी ब्रांच को बंद करवा दिया जाए।
इस मामले को लेकर सोमवार को स्कूल के बाहर पेरेंट्स और हिंदू संगठनों ने हंगामा भी किया। LIU इस मामले की रिपोर्ट तैयार कर रहा है। DGP मुख्यालय ये रिपोर्ट भेजी जाएगी। कानपुर के डीएम विशाख जी. ने पूरे मामले में जांच बैठा दी है।
पेरेंट्स, विहिप और बजरंग दल के पदाधिकारियों में नाराजगी
इस मामले की शुरुआत एक पेरेंट के वीडियो ट्विटर पर पोस्ट करने से हुई थी। इसमें बच्चे से कलमा पढ़वाने के बारे में पूछा जा रहा था। बैकग्राउंड में कुछ और पेरेंट्स भी अपने बच्चों के विचारों में आए बदलाव की चर्चा करते हुए सुने जा सकते हैं। इसके बाद पेरेंट्स कानपुर पीरोड स्थित स्कूल पर पहुंचे। विहिप और बजरंग दल के पदाधिकारियों ने भी पहुंचकर हंगामा शुरू किया।
आरोप- बच्चों में धर्मांतरण का बीच बो रहा स्कूल
आरोप है कि उनके बच्चों को प्रार्थना सभा में कलमा पढ़वाया जाता है। स्कूल प्रबंधन बच्चों में धर्मांतरण का बीज बो रहा है। ये इलाका सीसामऊ में आता है। सोमवार देर शाम सीसामऊ थाने में रवि राजपूत, दीपू तिवारी और शिवम दीक्षित ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ तहरीर सौंप दी। मामले की रिपोर्ट दर्ज करके जांच दरोगा सुरेंद्र कुमार को सौंपी गई है।
पेरेंट्स की डिमांड- हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया जाए
इस मामले में पेरेंट्स में गुस्सा है। प्रशासन से उन्होंने डिमांड की,"हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया जाए। फीस वापसी के साथ बच्चों का एडमिशन दूसरे स्कूल में करवाने में मदद की जाए।" फिलहाल डीएम कार्यालय की तरफ से पेरेंट्स को कोई जवाब नहीं मिला है।
धाराओं को भी समझिए, जिसमें एफआईआर हुई
धारा-295-ए : अगर कोई व्यक्ति भारतीय समाज के किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करता है या उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर काम करता है। या इससे संबंधित बात कहता है। तो वह भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 295 ए के तहत दोषी माना जाएगा।
धारा-उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021- 5(1) -विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 के मसौदे के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कराने के मामले में सख्त सजा का प्रावधान है।
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